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पक्षी बचाने के लिए इस युवक ने छोड़ा नौकरी का सुख, पढ़िए पूरी खबर

उत्‍तराखंड का एक युवक पक्षियों को बचा रहा है। इसी युवक के प्रयासों से आज एक ओर जहां कोटद्वार क्षेत्र पक्षी प्रेमियों की पसंदीदा जगह बन चुका है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 01:17 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 04:06 PM (IST)
पक्षी बचाने के लिए इस युवक ने छोड़ा नौकरी का सुख, पढ़िए पूरी खबर
पक्षी बचाने के लिए इस युवक ने छोड़ा नौकरी का सुख, पढ़िए पूरी खबर

कोटद्वार,  जेएनएन। 'जंगल को बचाने के लिए जितना जरूरी बाघों का संरक्षण है, उतना ही पक्षियों का भी।' इस संदेश को लेकर समाज के बीच पहुंचे यह एक ऐसे युवक की कहानी है, जिसने किताबों की दुनिया से बाहर निकलकर समाज को प्रकृति की उन अनमोल धरोहरों से रूबरू करने का संकल्प लिया, जिनसे आमजन पूरी तरह अनभिज्ञ था। इसी युवक के प्रयासों से आज एक ओर जहां कोटद्वार क्षेत्र पक्षी प्रेमियों की पसंदीदा जगह बन चुका है, वहीं कई गांवों के ग्रामीण भी पक्षियों के संरक्षण को लेकर जागरूक हुए हैं। नतीजा, जिन पक्षियों का शिकार हुआ करता था, आज वही पक्षी गांवों के आंगन में दाना चुगने पहुंच रहे हैं।

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पौड़ी जिले की कोटद्वार तहसील के काशीरामपुर तल्ला निवासी राजीव बिष्ट ने देश के पक्षी प्रेमियों में न सिर्फ अपनी, बल्कि कोटद्वार क्षेत्र की भी एक नई पहचान बनाई है। देहरादून व दिल्ली के विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक रहे राजीव एक दौर में हेमवती गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की हॉकी टीम के कप्तान रहे हैं। हॉकी के साथ ही एथलेटिक्स में भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर चुके राजीव चाहते तो मजे से नौकरी कर सकते थे। लेकिन, लेकिन प्रकृति के प्रति अनुराग उन्हें अपनी ओर खींच लाया। नौकरी छोड़कर राजीव कोटद्वार वापस लौटे और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया। इसके लिए उन्होंने कोटद्वार क्षेत्र में मौजूद पक्षियों के संसार को तलाशने से अपने कार्य की शुरुआत की।

पक्षी विशेषज्ञ सरवनदीप ने बदली जीवन की धारा

काशीरामपुर तल्ला निवासी राजीव की पूरी शिक्षा कोटद्वार में ही हुई। 2011 में उनके जीवन में उस वक्त बड़ा बदलाव आया, जब वे स्कूल में दस दिन का अवकाश होने के कारण दुधवा नेशनल पार्क की सैर को निकले। पार्क भ्रमण के दौरान उनकी मुलाकात पक्षी विशेषज्ञ सरवनदीप से हुई और वहीं से उनके जीवन की धारा बदल गई। सरवनदीप सिंह ने राजीव को पक्षियों के संसार से जुड़ी एक किताब पढ़ने को दी और यहीं से हुई राजीव के नए सफर की शुरुआत। राजीव के प्रयासों ने ही आज कोटद्वार क्षेत्र को बर्ड वाचिंग की दुनिया में नई पहचान दिलाई है। 

ग्रामीणों को किया जागरूक

क्षेत्र में पक्षियों की तलाश में कोटद्वार क्षेत्र का भ्रमण करते हुए राजीव करीब तीन वर्ष पूर्व जब एक गांव में पहुंचे तो वहां कुछ परिचितों ने उन्हें भोजन में मांस परोसा। खाने के दौरान जैसे ही उन्हें पता चला कि उन्हें थाली में जंगली मुर्गे का मीट परोसा गया है, उन्होंने खाना छोड़ दिया और उसी वक्त से जुट गए ग्रामीणों को जागरूक करने में। आज स्थिति यह है कि जमरगड्डी, सुनारगांव, फतेहपुर, आमसौड़, झवाणा सहित कई गांवों में ग्रामीण पक्षियों के संरक्षण को लेकर पूरी तरह जागरूक नजर आ रहे हैं। अब ग्रामीणों को इंतजार रहता है उन पर्यटकों का, जो उनके गांव-खेतों में पक्षियों का अवलोकन करते नजर आते हैं।

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