Tilu Rauteli Award: खेती को आबाद करने की चढ़ी धुन, और रोशमा को मिला तीलू रौतेली पुरस्कार
डुंगरी गांव की रोशमा ने बंजर खेतों को आबाद करके सफलता की कहानी लिखी है। वह 2.50 हेक्टेयर में सब्जी उत्पादन करती हैं और पशुपालन से अपनी जीविका बढ़ा रही हैं। उन्हें तीलू रौतेली पुरस्कार मिला है। रोशमा स्वयं सहायता समूहों से भी जुड़ी हैं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रही हैं। वह जैविक रूप से विभिन्न प्रकार की सब्जियां और फसलें उगाती हैं।

जागरण संवाददाता, पौड़ी। पहाड़ में ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जो गांव में ही रहकर सफलता की नई इबारत लिख रही हैं। इन्हीं में एक हैं, डुंगरी गांव की रोशमा, जिन्हें गांव के निष्प्रयोज्य पड़े खेतों को आबाद करने की धुन सवार है।
वह स्वयं 2.50 हेक्टेयर में सब्जी उत्पादन कर आजीविका का मजबूत आधार तैयार कर रही हैं। साथ ही पशुपालन कर आजीविका को विस्तार दे रही हैं। इसके लिए सरकार ने उनका चयन तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए किया है।
पौड़ी जनपद के खिर्सू विकासखंड स्थित गुमडू गांव निवासी रोशमा का विवाह वर्ष 2010 में पौड़ी विकासखंड के ग्राम डुंगरी निवासी ध्रुव सिंह से हुआ। ध्रुव एक उन्नत किसान हैं। रोशमा मायके से ही खेती-किसानी में माता-पिता का हाथ बंटाती रही हैं, इसलिए ससुराल में भी उन्होंने खेती व पशुपालन को आजीविका का आधार बनाने की ठानी।
इसके लिए उन्होंने सब्जी, तिलहन व अन्य फसलों के उत्पादन को साकार रूप देने की इच्छा परिवार के साथ साझा की। परिवार के प्रोत्साहन से वह आज 2.50 हेक्टेयर में सब्जी उत्पादन कर रही हैं। इसके अलावा बकरी पालन व मशरूम उत्पादन में भी उन्होंने कदम बढ़ाये हैं।
दो समूहों से जुड़ी हैं रोशमा
रोशमा दो स्वयं सहायता समूहों मां लक्ष्मी व मां बालमातेश्वरी मधुरम से जुड़ी हैं। क्षेत्र में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए 1,200 से अधिक विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपकर उनके संरक्षण का संकल्प लिया है।
इन सब्जियों का करती हैं उत्पादन
रोशमा पत्तागोभी, फूलगोभी, मटर, तुरई, बीन्स, चचिंडा, आलू, प्याज, शिमला मिर्च, लौकी, कद्दू, भिंडी, टमाटर सहित अन्य सब्जियों का उत्पादन करती हैं। ये सभी सब्जियां जैविक रूप में उत्पादित की जाती है। इसके अलावा वह तिलहन, मसूर, पहाड़ी भट, सोयाबीन, काली दाल, गहत, तोर, राई की भी खेती कर रही हैं।
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