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    ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का 65% काम पूरा, स्टेशनों में दिखेगी पहाड़ी शैली की झलक

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 02:07 PM (IST)

    ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के स्टेशन पहाड़ी शैली के प्रतीक होंगे। प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला और स्थानीय डिजाइन पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। 125 क ...और पढ़ें

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    श्रीबदरीनाथ, केदारनाथ व अन्य मंदिरों की वास्तुकला के होंगे दर्शन।

    विनय बहुगुणा, श्रीनगर गढ़वाल। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में बनने वाले स्टेशन पहाड़ी शैली का प्रतीक होंगे। इन स्टेशनों के निर्माण में प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला के साथ ही स्थानीय डिजायन के दर्शन होंगे, जो पर्यटकों और यात्रियों का आकर्षण का केंद्र भी बनेंगे। सभी स्टेशनों पर अत्याधुनिक सुरक्षा प्रबंधन होगा और उच्च यात्री सुविधाएं होंगी।

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    125 किमी लंबी ब्राड गेज ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना का कार्य लगभग 65 प्रतिशत पूरा हो चुका है। ज्यादातर सुरंगें आर-पार की जा चुकी हैं, जिनकी लाइनिंग का कार्य चल रहा है। वहीं, अब स्टेशनों के निर्माण की कवायद शुरू हो चुकी है। वीरभद्र और चंद्रभाग स्टेशन बनकर तैयार हो चुके हैं। वहीं, पहाड़ी क्षेत्र में शामिल स्टेशनों का निर्माण चार पैकेज में किया जाना है, जिसके लिए निविदा प्रिक्रया चल रही हैं। पहले पैकेज में शिवपुरी और ब्यासी रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू हो गया है।

    वहीं, दूसरे पैकेज में देवप्रयाग, जनासू, मलेथा और रानीहाट-श्रीनगर स्टेशन का निर्माण होना है, जिसके लिए निविदा खुल गई है। तीसरे पैकेज में धारी देवी, तिलणी, घोलतीर, गौचर रेलवे स्टेशन बनेंगे, जिसके लिए तकनीकी टेंडर की प्रिक्रया पूरी हो चुकी है। अभी अवार्ड किया जाना है। चौथे पैकेज में परियोजना के अंतिम रेलवे स्टेशन कर्णप्रयाग स्टेशन का कार्य होना है, जिसकी निविदा प्रिक्रया गतिमान है। खास बात यह है कि, रेल परियोजना के हर स्टेशन की अपनी अलग पहचान होगी। साथ ही यह सभी रेलवे स्टेशन उत्तराखंड की वास्तुकला और पहाड़ी शैली का प्रतीक होंगे।

    श्रीबदरीनाथ, श्रीकेदारनाथ मंदिर के साथ ही अन्य प्राचीन मठ-मंदिर और ऐूतिहासिक धरोहरों की वास्तुकला के दर्शन रेलवे स्टेशनों में देखने को मिलेगी। आरवीएनएल के अधिकारियों के अनुसार, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना पर्यटन, तीर्थाटन को बढ़ावा देने के साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति, डिजायन और वास्तुकला के संरक्षण व प्रचार-प्रसार में भी अहम भूमिका निभाएगी। सभी स्टेशनों में बेहतर यात्री सुविधाएं जुटाई जाएंगी। साथ ही यहां सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक कवच तैयार किया जाएगा।

    सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन

    ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना में कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन सबसे बड़ा होगा। यह स्टेशन सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि चमोली जनपद के बाडाहोती से चीन की सीमा भी शुरू होती है। आरवीएनएल के अनुसार, कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन में पहले 22 ट्रेक बनने थे, जिनकी संख्या बढ़ाकर अब 26 कर दी गई है। साथ ही स्टेशन पर चार अतिरिक्त ट्रेक भी बिछाए जाएंगे, जो दो सुरंगों के अंदर होंगे।

    ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के स्टेशन उत्तराखंड और पहाड़ का प्रीतक होंगे। स्टेशनों के निर्माण में पहाड़ी शैली का प्रयोग किया जाएगा। साथ ही प्राचीन मठ-मंदिरों की वास्तुकला को भी शामिल किया गया है। पहले पैकेज में शिवपुरी व ब्यासी में रेलवे स्टेशन का कार्य शुरू कर दिया गया है। दूसरे पैकेज में शामिल रेलवे स्टेशनों का कार्य जल्द शुरू हो जाएगा। शेष तीसरे और चौथे पैकेज में होने वाले कार्यों की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। - ओपी मालगुड़ी, उप महाप्रबंधक, सिविल, रेलवे विकास निगम

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