Updated: Mon, 29 Sep 2025 03:20 PM (IST)
पौड़ी के नरेंद्र कठैत ने दुनिया के शीर्ष 100 हिंदी साहित्यकारों में 48वां स्थान पाकर क्षेत्र का नाम रौशन किया है। आकाशवाणी पौड़ी में कार्यरत कठैत गढ़वाली व्यंग्यकार के रूप में जाने जाते हैं। उनके कई काव्य संग्रह विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। राही रैंकिंग में उनका चयन साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने की एक पहल है।
जागरण संवाददाता, पौड़ी। हिंदी व गढ़वाली साहित्य के मुखर हस्ताक्षर नरेंद्र कठैत को दुनिया के शीर्ष सौ हिंदी साहित्यकारों में स्थान बनाया है। हाला ही में जारी राही रैंकिंग-2025 की सूची में उन्हें 48वां स्थान मिला है। उनकी इस उपलब्धि पर जिला मुख्यालय पौड़ी सहित प्रदेश व देशभर की साहित्य, संस्कृति, संगीत व रंगकर्म से जुड़ी विभूतियों ने खुशी जाहिर की है।
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पौड़ी जिले के कोट विकासखंड स्थित सल्डा गांव निवासी नरेंद्र कठैत वर्तमान में आकाशवाणी पौड़ी में सेवारत हैं। दिल्ली के किदवईनगर में 28 अप्रैल 1966 को जन्मे कठैत की बचपन से ही साहित्य के प्रति रुचि रही है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के लोधी रोड स्थित नेहरू माउंटिंग स्कूल और माध्यमिक शिक्षा इंटर कॉलेज पौड़ी से हुई।
गढ़वाल विवि के बीजीआर परिसर पौड़ी से स्नातक करने के बाद भी उनकी साहित्यिक यात्रा चलती रही और हिंदी व गढ़वाली साहित्य के क्षेत्र में वह निरंतर योगदान देते रहे। गढ़वाली व्यंग्यकार के रूप में उन्हें विशेष ख्याति मिली।
अब गढ़वाली व हिंदी की विभिन्न विधाओं में कठैत के आठ व्यंग्य संग्रह, दो खंडकाव्य, दो कविता संग्रह, दो नाटक, चार अनुदित ग्रंथ, तीन आलेख संग्रह, एक संपादित व एक जीवनी प्रकाशित हो चुकी है। कठैत विभिन्न भाषाओं की 500 से अधिक कविताओं का गढ़वाली में अनुवाद करने के साथ ही पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर कविता, व्यंग्य, अनुवाद व सम-सामयिक आलेख लिख चुके हैं।
इंडिया नेटबुक्स की ओर से प्रकाशित 21वीं सदी के 251 अंतरराष्ट्रीय श्रेष्ठ व्यंग्यकारों की सूची में भी वह शामिल रहे हैं। साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को दिवंगत साहित्यकार डा. नागेंद्र ध्यानी ‘अरुण’ ‘गढ़वाली लोक साहित्य का कालजयी व्यंग्यकार नरेंद्र कठैत: समालोचना के निकर्ष’ पुस्तक में पिरो चुके हैं।
उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम का हिस्सा है कठैत का साहित्य कठैत का काव्य संग्रह ‘तबारि अर अबारि’ श्री गुरु रामराय विवि देहरादून के बीए द्वितीय सेमेस्टर और व्यंग्य संग्रह ‘बक्कि तुमारि मर्जी’ एमए द्वितीय सेमेस्टर के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। उत्तराखंड मुक्त विवि के गढ़वाली भाषा प्रमाण पत्र कार्यक्रम में उनकी पुस्तक पढ़ाई जाती है।
नरेंद्र कठैत को मिले पुरस्कार
साहित्यकार कठैत को वर्ष 2008-09 में आदित्यराम नवानी पुरस्कार, हिमाद्री रत्न पुरस्कार, डा. गोविंद चातक सम्मान, महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान, उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान-2022 और हिमवंत साहित्य सम्मान-2023 मिल चुके हैं।
हर वर्ष सौ श्रेष्ठ साहित्यकारों की सूची होती है जारी
ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर में पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के प्रोफेसर, पूर्व निदेशक एवं प्रख्यात लेखक प्रबोध गोविल ने बताया कि वर्ष 2014 में ज्योति विद्यापीठ से हिंदी साहित्य के क्षेत्र में योगदान दे रहे साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने के लिए राही रैकिंग की शुरुआत की गई।
इसमें विद्यापीठ के साथ ही देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के हिंदी विभाग और देश के कुछ पुस्तकालयों ने सहयोग प्रदान किया। बताया कि पहली रैंकिंग वर्ष 2016 में जारी की गई। इसके तहत हर वर्ष देश-विदेश के सौ श्रेष्ठ हिंदी साहित्यकारों की सूची जारी की जारी की जाती है।
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