आस्था के सामने हर कोई नतमस्तक
जागरण संवाददाता, पौड़ी: मंडल मुख्यालय पौड़ी से सटे गगवाड़स्यू घाटी में श्री नंदादेवी राजजात की तर्ज पर बारह वर्ष बाद आयोजित हुए मौरी मेले में रविवार को आस्था के सामने हर कोई नतमस्तक दिखा। दिन भर ढोल-दमाऊं की थाप पर पांडव नृत्य से पूरी घाटी भक्ति में डूबी रही। इसी के साथ गांव में छह माह से आयोजित हो रहा मौरी मेला भी संपन्न हो गया।
तमलाग गांव में गत वर्ष दिसंबर माह में मौरी मेला शुरू हुआ। तब से यहां यह धार्मिक मेला आयोजित किया जा रहा है। दिन व रात के निर्धारित किए गए पहर में पांडव नृत्य आयोजित किए गए। बीते कुछ दिनों से गांव में मंडाण-पांडव नृत्य को देखने हर रोज दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों का हुजूम उमड़ा रहा। समापन के मौके पर रविवार को तड़के से ही दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का यहां तांता लगना शुरू हो गया। इसके बाद तमलाग व कंडी गांव से बड़ी संख्या में ढोल-दमाऊं की थाप पर अवतारी पुरुष, महिलाएं व श्रद्धालु सुमेरपुर के जंगल में पहुंचे। श्रद्धालु यहां स्थित मौरी-नारायण मंदिर में नतमस्तक हुए। बाद में अलग-अलग स्थान पर अवतारी पुरुषों ने चीड़ के वृक्ष को उखाड़ा तो इसे देख सभी धन्य हो गए। पूरी श्रद्धा के साथ चीड़ के वृक्षों को तमलाग गांव स्थित मंदिर में विराजित किया गया। ग्रामीणों की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इसी के साथ गांव में छह माह से आयोजित हो रहा मौरी मेला भी संपन्न हो गया। मेला समिति की अध्यक्ष मौनी देवी, महासचिव मनोहर सिंह नेगी, चंद्रमोहन नैथानी, मेहरवान सिंह, प्रदीप रावत ने बताया कि गांव से पलायन कर चुके ग्रामीण भी गांव लौटे। सभी ने धार्मिक आयोजन के प्रति पूरा सहयोग दिया।
ल्वाली में करीब दो घंटे तक लगा रहा जाम
गगवाड़स्यू घाटी में आयोजित मौरी मेले के समापन अवसर पर श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ उमड़ी कि सड़क पर वाहन रेंगते नजर आए। जैसे ही सुमेरपुर के जंगल में आयोजित धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ। इसी बीच ल्वाली में वाहनों की भीड़ ने करीब दो घंटे तक जाम की स्थिति पैदा कर दी। पुलिस कर्मियों व स्थानीय लोगों के सहयोग से जाम खुल पाया।