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पर्यटन स्थल होने के बावजूद कोटद्वार क्षेत्र से पर्यटकों का नहीं हो पाया जुड़ाव

पर्यटन नगरी लैंसडौन का मोह ही पर्यटकों को कोटद्वार लाता है। क्षेत्र में पहुंचने वाले करीब 70 फीसद पर्यटक लैंसडौन शेष 30 फीसद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व घूमने के लिए आते हैं।

By Edited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 10:37 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 10:25 AM (IST)
पर्यटन स्थल होने के बावजूद कोटद्वार क्षेत्र से पर्यटकों का नहीं हो पाया जुड़ाव
पर्यटन स्थल होने के बावजूद कोटद्वार क्षेत्र से पर्यटकों का नहीं हो पाया जुड़ाव

कोटद्वार, अजय खंतवाल। आसपास तमाम पर्यटन स्थल होने के बावजूद आज तक कोटद्वार क्षेत्र से पर्यटकों का जुड़ाव नहीं हो पाया। राज्य गठन के 19 साल बाद भी पर्यटन नगरी लैंसडौन का मोह ही पर्यटकों को कोटद्वार लाता है। क्षेत्र में पहुंचने वाले करीब 70 फीसद पर्यटक लैंसडौन, शेष 30 फीसद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व घूमने के लिए ही इधर का रुख करते हैं।

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कोटद्वार व आसपास के क्षेत्र में पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है, लेकिन कभी भी सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसलिए वीकेंड पर पर्यटक यहां आते तो हैं, लेेेकिन सिर्फ लैंसडौन घूमने के बहाने। लैंसडौन में पर्यटकों के पास घूमने को भुल्ला लेक, सेंट मेरी चर्च, टिप-इन-टॉप जैसे विकल्प हैं, जबकि, कोटद्वार क्षेत्र के पर्यटन स्थलों में जरूरी सुविधाएं न होने से पर्यटक वहां जाने से परहेज करते हैं। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर कहते हंै कि कोटद्वार क्षेत्र में पर्यटन विकास को कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। कण्वाश्रम का विकास इनमें एक है। कोशिश है कि पर्यटक लैंसडौन से बाहर निकलकर कोटद्वार क्षेत्र का भ्रमण भी करें।

कोटद्वार के आसपास मौजूद पर्यटन स्थल

  • ताड़केश्वर धाम: लैंसडौन से 30 किमी देवदार के जंगल से घिरा ताड़केश्वर धाम पर्यटकों से अछूता है। समुद्रतल से करीब 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित शिव के इस धाम में प्रकृति ने खुले हाथ नेमतें बिखेरी हैं। 
  • रज्जा गढ़ी: पंवार राजवंश की यह धरोहर न सिर्फ पुरातत्व विभाग, बल्कि पर्यटकों की नजरों से भी ओझल है। 1500 ईस्वी की यह धरोहर आज खंडहर हो चुकी है। 
  • भैरव गढ़ी: गढ़वाल के 52 गढ़ों में से एक भैरव गढ़ी को गोरखा सैनिक कभी नहीं जीत पाए। लैंसडौन से करीब 17 किमी का सफर तय करने के बाद करीब डेढ़ किमी के पैदल ट्रैक से भैरवगढ़ी पहुंचा जाता है।
  • कण्वाश्रम: कोटद्वार से महज 12 किमी दूर महर्षि कण्व की तपोस्थली एवं चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम आज भी अंधेरे में है। 

वन प्रेमियों का स्वर्ग हल्दूपड़ाव

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में पडऩे वाला हल्दूपड़ाव क्षेत्र अनूठी जैवविविधता के लिए प्रसिद्ध है। अब कोटद्वार में सीटीआर का रिसेप्शन सेंटर खुलने के बाद डे-विजिट के लिए यहां पहुंचना आसान हो गया है। 

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पर्यटन विकास को बनी योजनाएं

  • पौड़ी-खिर्सू-लैंसडौन पर्यटन सर्किट
  • टिफ-इन-टॉप से जयहरीखाल के बीच रोप-वे निर्माण
  • जयहरीखाल में हर्बल गार्डन, लैंसडौन में ट्रैकिंग रूट व बर्ड वाचिंग प्वाइंट का विकास
  • टिफ-इन-टॉप में दूरबीन की स्थापना

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वर्षवार कोटद्वार क्षेत्र में पहुंचे पर्यटक

  • वर्ष-------------भारतीय----------विदेशी
  • 2019----------355480--------10560 (अब तक)
  • 2018----------119742----------4314 
  • 2017----------101533----------4865
  • 2016----------118388----------4060
  • 2015----------87393----------3311

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