Kotdwar: पुलिंडा गांव में गहराता भूस्खलन का खतरा, दीवारों पर बढ़ी दरारें; विस्थापन की बाट जोह रहे ग्रामीण
Landslide In Uttarakhand दशकों से भूस्खलन का दंश झेल रहे घाड़ क्षेत्र के पुलिंडा गांव के ग्रामीणों की समस्या और अधिक बढ़ गई है। वर्षाकाल के बाद गांव के अधिकांश भवनों में आई दरारें और गहरी होने लगी हैं। ऐसे में गांव में रह रहे 120 परिवारों पर कब कहर टूट पड़े कुछ कहा नहीं जा सकता। जबकि ग्रामीण लगातार शासन-प्रशासन से उनके विस्थापन की मांग उठा रहे हैं।

संवाद सहयोगी, कोटद्वार। Landslide In Uttarakhand: दशकों से भूस्खलन का दंश झेल रहे घाड़ क्षेत्र के पुलिंडा गांव के ग्रामीणों की समस्या और अधिक बढ़ गई है। वर्षाकाल के बाद गांव के अधिकांश भवनों में आई दरारें और गहरी होने लगी हैं। ऐसे में गांव में रह रहे 120 परिवारों पर कब कहर टूट पड़े कुछ कहा नहीं जा सकता। जबकि, ग्रामीण लगातार शासन-प्रशासन से उनके विस्थापन की मांग उठा रहे हैं।
पुलिंडा गांव में वर्ष 1978 से लगातार हो रहा भूस्खलन
दुगड्डा ब्लाक के घाड़ क्षेत्र के अंतर्गत पुलिंडा गांव में वर्ष 1978 से लगातार भूस्खलन हो रहा है। स्थिति यह है कि गांव में हो रहे भूस्खलन से कई घरों में दरारें पड़ चुकी हैं लेकिन, अगस्त माह में हुई वर्षा के बाद यह दारारे और अधिक गहरी होने लगी हैं। ऐसे में गांव के अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है।
किया गया थी भूगर्भीय सर्वेक्षण
ग्रामीणों ने बताया कि 24 अगस्त, 2015 के शासनादेश में जनपद में स्थित संवेदनशील गांवों को तीन श्रेणियों में बांटकर चरणबद्ध तरीके से ग्रामीणों के पुनर्वास के प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिए गए थे। भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई उद्योग निदेशालय उत्तराखंड ने गांव पहुंचकर भूगर्भीय सर्वेक्षण किया था।
आबादी की ओर बढ़ रहा भूस्खलन
रिपोर्ट में कहा गया था कि भूस्खलन धीरे-धीरे आबादी की ओर विस्तार ले रहा है। भूस्खलन प्रभावित स्थल के नीचे की चट्टानें अत्यधिक कमजोर होने के कारण लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट में संपूर्ण ग्रामीणों को किसी सुरक्षित स्थल पर विस्थापित किए जाने की संस्तुति की गई है लेकिन, तब से अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
गांव के पास हुए भूस्खलन से सड़क का ज्यादातर हिस्सा ध्वस्त
मार्ग को भी खतरा पुलिंडा गांव के समीप स्थित रामणी-कोटद्वार मोटर मार्ग को भी भूस्खलन से खतरा पैदा हो गया है। गांव के समीप हुए भूस्खलन से सड़क का अधिकांश हिस्सा धराशायी हो गया है। ऐसे में अगर जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कोटद्वार-रामणी के मध्य यातायात पूरी तरह ठप हो जाएगा। जबकि, वर्षा काल में यह मार्ग कोटद्वार-दुगड्डा राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने के बाद एक विकल्प भी बना था।
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