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    Kargil Vijay Diwas: कारगिल युद्ध में दुश्मन पर टूट पड़े थे गढ़वाल रेजीमेंट के जांबाज, दुनिया मानती है इनका लोहा

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 01:00 AM (IST)

    कारगिल विजय दिवस पर गढ़वाल रेजीमेंट के साहस और बलिदान को याद किया गया। रेजीमेंट ने 1999 के युद्ध में अद्भुत पराक्रम दिखाते हुए दुश्मनों को हराया था। 10वीं 17वीं और 18वीं गढ़वाल राइफल्स और गढ़वाल स्काउट ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई वीर जवानों ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। गढ़वाल रेजीमेंट की वीरता आज भी प्रेरणादायक है।

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    10वीं, 17वीं व 18वीं गढ़वाल रेजीमेंट के साथ गढ़वाल स्काउट की प्लाटूनों ने भी मनवाया अपने कौशल का लोहा। फाइल

    अनुज खंडेलवाल, जागरण लैंसडौन। अदम्य साहस एवं अद्भुत पराक्रम के चलते कारगिल युद्ध में गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट ने दुश्मनों को लोहे के चने चबाने के लिए मजबूर कर दिया था।

    रेजीमेंट ने न सिर्फ अपनी दक्षता व शौर्य का परिचय देते हुए दुनिया की थल सेनाओं में एक बार फिर स्वयं को शीर्ष स्थान पर खड़ा किया, बल्कि पाक सेना को खदेड़कर अनेक हथियार जब्त करने में भी सफलता हासिल की।

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    इस युद्ध में 10वीं, 17वीं व 18वीं गढ़वाल रेजीमेंट के साथ गढ़वाल स्काउट की प्लाटूनों ने भी अपने कौशल का लोहा मनवाया। कारगिल युद्ध में दो अधिकारियों समेत एक जेसीओ व 46 जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

    विश्वभर में गर्व के साथ सुने जाते हैं वीरता के किस्‍से

    गढ़वाल रेजीमेंट की वीरता के किस्से विश्वभर में गर्व के साथ सुने जाते हैं। रेजीमेंट के जवान अपने आराध्य भगवान बदरी विशाल लाल की जयघोष के साथ दुश्मनों पर टूट पड़ते हैं। कारगिल युद्ध में भी गढ़वाल राइफल्स की तीन बटालियनों समेत गढ़वाल स्काउट ने अपने पराक्रम का जौहर दिखाया था।

    जम्मू-कश्मीर के उत्तर में कारगिल व द्रास सामरिक महत्व के उपक्षेत्र हैं, जो पाकिस्तान के साथ हमारी सीमा रेखा से जुड़े हुए हैं। यहां पर टाइगर हिल, तोलोलिंग, प्वाइंट 4700, प्वाइंट 5140, जुबेर हिल, काला पत्थर आदि अनेक चोटियां हैं, जिनकी ऊंचाई 16 से 20 हजार फीट तक है।

    पाकिस्तान ने वर्ष 1999 में मार्च-अप्रैल के बीच आतंकियों के साथ अपनी नियमित फौज को भेजकर इन ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया। साथ ही यहां गोला-बारूद व राशन का भंडार भी एकत्र कर लिया। इसके बाद भारत ने पाकिस्तानियों को इन चोटियों से खदेड़ने के लिए आपरेशन विजय की शुरुआत की।

    10वीं गढ़वाल: 10वीं गढ़वाल कारगिल में 121 इन्फेंट्री ब्रिगेड का हिस्सा थी। कर्नल वीरेंद्र डंगवाल इस बहादुर बटालियन को कमांड कर रहे थे। शत्रु से लोहा लेते हुए आठ गैर-कमीशन अधिकारी व जवान बलिदान हुए।

    17वीं गढ़वाल: 17वीं गढ़वाल कुछ माह पूर्व ही तीन साल तक जम्मू-कश्मीर में रहने के बाद पटना पहुंची थी। पलटन की कमांड कर्नल सुधाकर सतपती के हाथों में थी। पलटन को बटालिक पहुंचकर मंथोडोलो इलाके में माउंट और काला पत्थर पर कब्जा करने की जिम्मेदारी मिली। 29 जून की शाम कैप्टन जिंटू गोगाई को एक टुकड़ी के साथ काला पत्थर से शत्रु को खदेड़ना था। टुकड़ी ने शत्रु के कई बंकर ध्वस्त करने के साथ पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया। इसी दौरान शत्रु की एलएमजी का ब्रस्ट सीने पर लगने से कैप्टन गोगाई बलिदान हो गए। मरणोपरांत उन्हें वीरचक्र से सम्मानित किया गया।

    18वीं गढ़वाल: 18वीं गढ़वाल कश्मीर के लोलाब क्षेत्र में डटी हुई थी। पलटन की कमांड कर रहे थे कर्नल एसके चक्रवर्ती। 22 मई को पलटन को द्रास उप क्षेत्र में पहुंचने का आदेश मिला। प्वांइट 5140 पर कब्जा करने का आदेश मिलने के साथ पहला प्रयास असफल रहा। लेकिन, 19 जून को दूसरे प्रयास में बिना किसी जनहानि के नो पोस्टों पर विजय हासिल की।

    गढ़वाल स्काउट: गढ़वाल स्काउट की एक प्लाटून काकसर के कठिन क्षेत्र में उस समय भेजी गई, जब निपुण सैनिकों को पर्वतारोहण की आवश्यकता महसूस की गई। प्लाटून ने अपनी क्षमता का पूरा प्रयोग करते हुए पाकिस्तानियों को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई।

    कारगिल युद्ध के बलिदानी

    • बटालियन, अफसर, जेसीओ, अन्य पद
    • 10 गढ़वाल, 00, 00, 08
    • 17 गढ़वाल, 01, 01, 19
    • 18 गढ़वाल, 01, 00,19

    कारगिल युद्ध में घायल

    • बटालियन, अफसर, जेसीओ, अन्य पद
    • 10 गढ़वाल, 00, 00, 24
    • 17 गढ़वाल, 03, 02, 37
    • 18 गढ़वाल, 03, 05, 48

    वीर चक्र विजेता

    • मेजर राजेश शाह,
    • कैप्टन जिन्टू गोगोई (मराणोपरांत),
    • कैप्टन सुमित राय (मराणोपरांत)
    • कैप्टन एमबी सूरज,
    • नायक कश्मीर सिंह (मराणोपरांत),
    • राइफलमैन कुलदीप सिंह (मराणोपरांत)
    • राइफलमैन अनुसूया प्रसाद (मराणोपरांत)

    12 सेना मेडल भी रेजीमेंट के खाते में

    कर्नल एसके चक्रवर्ती, मेजर एसके जोशी, कैप्टन राजेश भनोट व सूबेदार सुरेंद्र सिंह को सेना मेडल प्रदान किए गए। जबकि, नायक जगत सिंह, नायक शिव सिह, राइफलमैन डबल सिंह, लांस नायक किशन सिंह, लांसनायक सुरमान सिंह, लांसनायक देवेंद्र प्रसाद, राइफलमैन नरपाल सिंह व राइफलमैन सुनील कुमार कोटनाला को मरणोपरांत यह सम्मान मिला।

    गढ़वाल राइफल्स ने कारगिल युद्ध में अदम्य साहस, बलिदान, और अनुकरणीय सैन्य कौशल का जो प्रदर्शन किया, वह सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। दुश्मन के कब्जे से चोटियों को मुक्त कराने में हमारी बटालियनों ने निर्णायक भूमिका निभाई। इस आपरेशन में रेजीमेंट को सात वीर चक्र और 12 सेना मेडल प्राप्त हुए। 17वीं व 18वीं बटालियन को बटालिक और द्रास बैटल आनर के साथ ही कारगिल थियेटर आनर भी प्राप्त हुए। - कमांडेंट विनोद सिंह नेगी, ब्रिगेडियर, गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट सेंटर, लैंसडौन