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    पहाड़ी इलाकों में दिन-रात के तापमान में ज्यादा अंतर होने पर फसलों पर किस तरह पड़ता है असर

    Updated: Sat, 30 Nov 2024 12:05 AM (IST)

    पहाड़ी इलाकों में दिन-रात के तापमान में अंतर होने पर फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गेहूं और सब्जियों की फसलों का उत्पादन पूरी तरह से तापमान पर निर्भर है। जब फसल की बढ़वार पूरी तरह से तेजी से होनी हो उस समय पर गेहूं व सब्जियों के लिए दिन का तापक्रम 20 डिग्री सेल्सियस व रात्रि का तापमान 10-15 डिग्री सेंटीग्रेड रहना बहुत ही उपयुक्त माना जाता है।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, विकासनगर। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों की मानें तो मैदानी क्षेत्रों में गेहूं व सब्जियों के लिए वर्तमान मौसम उपयुक्त है, क्योंकि दिन का तापमान 20 व रात का 15 डिग्री सेल्सियस फसलों के लिए उपयुक्त रहता है। यदि दिन रात के तापमान में ज्यादा अंतर आ जाए तो फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। पर्वतीय क्षेत्र के ऊंचाई वाले इलाकों में दिन रात के तापमान में ज्यादा अंतर होने पर फसलें जरूरत प्रभावित हो रही है।

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    गेहूं व सब्जियों की फसलों का उत्पादन पूरी तरह से तापमान पर निर्भर है। जब फसल की बढ़वार पूरी तरह से तेजी से होनी हो, उस समय पर गेहूं व सब्जियों के लिए दिन का तापक्रम 20 डिग्री सेल्सियस व रात्रि का तापमान 10 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड रहना बहुत ही उपयुक्त माना जाता है।

    कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के कृषि विज्ञानी डॉ. संजय सिंह राठी ने बताया कि रबि की फसलों में अनाज वाली फसलों में गेहूं मुख्य है। तिलहनी फसलों में तोरिया, सरसों व अलसी की खेती सामान्य रूप से की जाती है। कई प्रकार की फसलें जैसे चना, मटर व मसूर बहुत ही महत्वपूर्ण दलहनी फसलें पछवादून में उगाई जाती हैं।

    इसके अतिरिक्त क्षेत्र की जलवायु के अनुसार बागवानी फसलों में आम, लीची, पपीता, अनार व आडू के बगीचे में भी काफी देखरेख की आवश्यकता रहती है। वर्तमान में गोभी वर्गीय सब्जियां जैसे फूलगोभी, पत्ता गोभी, गांठ गोभी, सरसों, राई, टमाटर, आलू, लहसुन, प्याज, मेथी, धनिया व पालक को बहुत बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।

    इन सभी फसलों की जलवायु के प्रति अलग-अलग तरह की आवश्यकता होती है, लेकिन हर स्थान पर एक जैसा मौसम नहीं पाया जाता, जिसके कारण किसान अपने खेत में मौसम की दशा के अनुसार फसलों का चुनाव करते हैं।

    कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिक डा. संजय सिंह ने जानकारी दी कि तापमान का फसलों पर काफी फर्क पड़ता है। सामान्य तौर पर गेहूं, सरसों व सब्जियों की फसलों के लिए बुवाई के समय से लेकर प्रारंभिक अवस्था तक अच्छे तापमान का रहना बहुत ही आवश्यक होता है।

    यदि बुवाई के समय पर तापमान में बहुत अधिक गिरावट हो जाए तो इससे फसलों का जमाव भली प्रकार नहीं हो पाता और खेत में प्रति इकाई क्षेत्र में पौधों की संख्या कम हो जाती है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ने के साथ-साथ फसल का उत्पादन कम होता है।

    जिससे प्रति इकाई क्षेत्र में फसल को तैयार करने में अधिक उत्पादन लागत प्रयुक्त होती है, अतः मुनाफा कम मिलता है। यहीं पर जब फसल की बढ़वार पूरी तरह से तेजी से होनी हो, उस समय पर उपयुक्त तापक्रम जैसे गेहूं एवं सब्जियों के लिए दिन का तापक्रम 20 डिग्री सेल्सियस एवं रात्रि का तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस रहना बहुत ही उपयुक्त माना जाता है। आजकल मैदानी क्षेत्रों में फसलों के लिए उपयुक्त मौसम है। इससे फसलों का अच्छा उत्पादन होगा।