जागरण संवाददाता, कोटद्वार: देहरादून जनपद के अंतर्गत रानीपोखरी के पुल की तरह अगर किसी दिन कोटद्वार में सुखरो व मालन नदियों के पुल धराशायी हो गए तो चौंकिएगा नहीं। दरअसल, क्षेत्र में चैनेलाइजेशन के नाम पर धड़ल्ले से जारी खनन ने न सिर्फ पुलों की बुनियाद खोखली कर दी है, बल्कि ओवरलोडेड डंपरों की लगातार आवाजाही का असर पुल की क्षमता पर भी पड़ रहा है। अवैध खनन के कारण ऊर्जा निगम के कोटद्वार डिवीजन को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कोटद्वार क्षेत्र में बरसात के इस मौसम में खनन कार्य जोरों पर है। मालन व सुखरो नदियों से प्रतिदिन हजारों टन उपखनिज नदियों से बाहर निकालकर बाहर भेजा जा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि चैनेलाइजेशन के नाम पर हो रहा यह खनन वन क्षेत्र में हो रहा है और वन महकमा इस ओर से पूरी तरह आंखें फेरे हुए है। हालांकि चैनेलाइनेशन कार्य के लिए वन महकमे की ओर से जारी कार्यादेश में स्पष्ट उल्लेख है कि उपखनिज को नदी से बाहर नहीं निकाला जाएगा। ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि नदी से निकाले गए उपखनिज को नदी के दोनों तटों पर एकत्र किया जाना था, ताकि नदी का प्रवाह मध्य में रहे। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। नतीजा, सुखरो व मालन नदियों में बने तीन पुलों पर खतरा मंडराने लगा है। कोटद्वार-मोटाढाक-हल्दूखाता मोटर मार्ग पर दो पुल हैं, जबकि एक पुल मोटाढाक-कौड़िया मोटर मार्ग पर सुखरो नदी में बना हुआ है। तीनों ही पुल अवैध खनन के कारण खतरे की जद में हैं।

खोदी बुनियाद, पिल्लरों पर भी दबाव

खननकारियों ने जहां तीन पुलों की बुनियाद खोद दी है। वहीं, उपखनिज से लगे ओवरलोडेड डंपरों की आवाजाही से पुलों के पिल्लर भी कमजोर हो रहे हैं। दरअसल, क्षेत्र में पुलों की क्षमता बीस टन की है। पुल में एक समय में अधिकतम बीस टन लोड के वाहन गुजर सकते हैं। जबकि ओवरलोडेड डंपरों में चालीस से पचास टन माल लदा रहता है। इतना ही नहीं, कई मर्तबा डंपरों की कतार पुल के ऊपर भी लगी रहती है। ऐसे में पुलों के पिल्लरों का कमजोर होना तय है।

ऊर्जा निगम को लगी तीन लाख की चपत

कोटद्वार क्षेत्र की सुखरो नदी में वन विभाग की ओर से चैनेलाइजेशन के नाम पर करवाए जा रहे कथित अवैध खनन के चलते ऊर्जा निगम के कोटद्वार डिवीजन के चार विद्युत पोल धराशायी हो गए। साथ ही विद्युत तारों को भी नुकसान हुआ। विभागीय अधिकारियों की मानें तो प्रभावित क्षेत्र में नए सिरे से विद्युत पोल लगाए गए। साथ ही नई विद्युत लाइनें भी खींची गई, जिसमें तीन लाख से अधिक धनराशि व्यय हुई।

कोटद्वार क्षेत्र में लगातार अवैध खनन की शिकायतें आ रही हैं। उप जिलाधिकारी को खनन रोकने के लिए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। वन क्षेत्र में हो रहे खनन के संबंध में प्रभागीय वनाधिकारी को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई को कहा गया है।

वीके जोगदंडे, जिलाधिकारी, पौड़ी

Edited By: Jagran