Move to Jagran APP

जनरल बि‍पिन रावत ने इस हवलदार के हौसले को किया सैल्‍यूट

जनरल बिपिन रावत ने अपने चाचा हवलदार भरत सिंह के उस हौसले को सैल्यूट किया, जिसकी बदौलत उनका गांव 'घोस्ट' विलेज नहीं बना।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 07 May 2018 08:58 AM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 05:14 PM (IST)
जनरल बि‍पिन रावत ने इस हवलदार के हौसले को किया सैल्‍यूट
जनरल बि‍पिन रावत ने इस हवलदार के हौसले को किया सैल्‍यूट

कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल [अजय खंतवाल]: विपरीत परिस्थितियों में हौसलों को बुलंद रखने का जज्बा सिखाती है भारतीय सेना। इसी भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए हवलदार भरत सिंह आज भी सेना से मिले सबक के दम पर उस गांव को आबाद किए हुए हैं, जहां से सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की यादें जुड़ी हुई हैं। पिछले दिनों पैतृक गांव सैंणा पहुंचे जनरल रावत ने अपने चाचा हवलदार भरत सिंह के उस हौसले को सैल्यूट किया, जिसकी बदौलत जनरल का यह गांव उत्तराखंड के उन 1668 गांवों की फेहरिस्त में शामिल नहीं हो पाया, जो आज 'घोस्ट' विलेज घोषित हो चुके हैं।

loksabha election banner

पौड़ी जिले के द्वारीखाल विकासखंड की ग्राम पंचायत बिरमोली का तोकग्राम है सैंणा, जहां का लाल आज सेना प्रमुख की कमान संभाल रहा है। वर्ष 2016 के अंतिम माह में जब जनरल बिपिन रावत ने थल सेना की कमान संभाली तो आमजन को उम्मीद थी कि उत्तराखंड का सरकारी सिस्टम उस गांव की सुध अवश्य लेगा, जहां जनरल ने बचपन गुजरा। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। हालात यह रहे कि बीते डेढ़ वर्षों में सिस्टम जनरल के पैतृक गांव को सड़क से जोडऩे के लिए डेढ़ किमी सड़क भी नहीं बना पाया। पिछले दिनों अपने पैतृक गांव पहुंचे जनरल रावत ने जहां एक ओर प्रोटोकॉल के तहत साथ में आए सरकारी नुमाइंदों से सड़क को लेकर चर्चा की, वहीं दूसरी ओर अपने चाचा भरत सिंह के हौसलों को भी सराहा। जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद गांव को वीरान नहीं होने दिया।

सैंणा गांव : एक नजर

कोटद्वार से करीब 50 किमी दूर है द्वारीखाल ब्लॉक की ग्राम पंचायत बिरमोली। इसी ग्राम पंचायत के अंतर्गत मुख्य सड़क से करीब डेढ़ किमी दूर खड़ंजे वाले रास्ते से जुड़ा है सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत का गांव सैंणा। कारगिल शहीद सुरमान सिंह बिष्ट की ग्रामसभा बिरमोली के 13 परिवारों वाले तोक ग्राम सैंणा में बीते करीब एक दशक से जनरल रावत के चाचा भरत सिंह पत्नी सुशीला देवी समेत रह रहे हैं। बाकी परिवारों ने धीरे-धीरे गांव छोड़ दिया। भरत सिंह ने अपने दम पर गांव को सरसब्ज किया हुआ है। वह पत्नी सुशीला देवी के साथ मौसमी सब्जियां उगाते हैं। आम, लीची, बेडू, तिमला, चीकू, अनार, नाशपाती व सेब के फलदार पेड़ भी उन्होंने गांव में लगाए हुए हैं। हालांकि, अन्य गांवों के समान इस गांव में भी जंगली जानवरों का आतंक है। भरत सिंह की मानें तो हिंसक गुलदार उनके मित्र की तरह है, जो उनके घर के आसपास ही रहता है और उसी के कारण अन्य जंगली जानवर घर के आसपास नहीं फटकते।

आम की होती थी पैदावार

पैतृक गांव सैंणा पहुंचे जनरल बिपिन रावत ने बताया कि उनके गांव में किसी जमाने में आम की अच्छी-खासी पैदावार होती थी। लेकिन वक्त के साथ सब खत्म होता चला गया। उन्होंने अपने चाचा भरत सिंह से मौसम के अनुकूल होने वाले फलों के संबंध में भी जानकारी ली।

सैंणा में आयोजित होगा पूजा कार्यक्रम

जनरल रावत के चाचा भरत सिंह ने बताया कि कुछ माह बाद सैंणा में एक पूजा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गांव के सभी प्रवासियों को न्यौता भेजा जाएगा। इसी दौरान गांव के विकास की आगामी रणनीति भी तय की जाएगी।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड पहुंचे आर्मी चीफ रावत ने भारतीय सेना पर दिया यह बयान, जानिए

यह भी पढ़ें: आर्मी चीफ बोले, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को बनाएंगे मिसाल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.