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    Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में धूं-धूंकर जल रहे जंगल, उठ रहे कई सवाल; परेशान करने वाले हैं आंकड़े

    Uttarakhand Forest Fire जंगलों में लगी आग दिन-प्रतिदिन विकराल हो रही है। वन कर्मी भी लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। सभी की नजरें आसमान पर टिकी हैं। लेकिन इंद्रदेव भी मेहरबान होते नजर नहीं आ रहे। दिन-प्रतिदिन आग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। जंगलों में लगी आग ने महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।

    By Ajay khantwal Edited By: Swati Singh Updated: Thu, 25 Apr 2024 06:30 PM (IST)
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    उत्तराखंड में धूं-धूंकर जल रहे जंगल, उठ रहे कई सवाल

    जागरण संवाददाता, कोटद्वार। यह वास्तव में हैरानी का विषय है कि फरवरी में वनों को आग से बचाने की तैयारी के बावजूद अप्रैल माह में तमाम जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। जंगलों में लगी आग ने न महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि दो माह पूर्व ही महकमे द्वारा जंगलों को आग से बचाने के लिए फायर लाइन कटान के नाम पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाने पर भी सवाल उठाए हैं। दो माह के भीतर ही फायर लाइन कटान कार्यों की पोल खुल गई।

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    प्रतिवर्ष वन विभाग की ओर से फायर सीजन शुरू होने से पूर्व वन क्षेत्रों में फायर लाइनों की सफाई की जाती है। साथ ही नई फायर लाइनों का कटान भी किया जाता है। मकसद यही होता है कि जंगल के किसी हिस्से में आग लगे तो वह फायर लाइन तक पहुंचते ही बुझा जाए। लेकिन, प्रदेश में जिस तरह जंगल जल रहे हैं, उसने फायर लाइन कटान पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।

    दिन-प्रतिदिन विकराल हो रही जंगल की आग

    जंगलों में लगी आग दिन-प्रतिदिन विकराल हो रही है। वन कर्मी भी लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। सभी की नजरें आसमान पर टिकी हैं। लेकिन, इंद्रदेव भी मेहरबान होते नजर नहीं आ रहे। दिन-प्रतिदिन आग की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।

    24 घंटों में आग का ऐसा है आंकड़ा

    पिछले 24 घंटों की बात करें तो वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनपद पौड़ी में करीब 12 हेक्टेयर जंगल दावानल से राख हुआ है। हालांकि, सैटेलाइट से मिले आंकड़ों की बात करें तो पिछले 24 घंटे में लैंसडौन वन प्रभाग में 31 व गढ़वाल वन प्रभाग में 71 स्थानों में जंगलों में आग रिकॉर्ड की गई।

    सीएम धामी ने दिए निर्देश

    पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में विकराल होती जंगलों की आग ने सरकार की चिंता और चुनौती, दोनों बढ़ा दी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में शासन भी जंगल की आग रूपी आपदा से निपटने को सक्रिय हो गया है। जंगल बचाने को वन विभाग फौरी तौर पर तो कदम उठा ही रहा है, अब दीर्घकालिक योजनाओं पर भी काम चल रहा है। लोकसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में स्थिति की समीक्षा करने के साथ ही वनों को आग से बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे।

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