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    लैंसडौन की पहाड़ियों पर बांज-बुरांश की शीतल छांव में लीजिए ट्रेकिंग का आनंद

    लैंसडौन में ट्रेकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए नौ प्रमुख ट्रेक रूट तैयार हैं। बांज बुरांश चीड़ व देवदार के जंगलों से गुजरने वाले ये ट्रेक 4 से 30 किमी तक लंबे हैं। पर्यटक भैरवगढ़ी ट्रेक का भी आनंद ले रहे हैं जो गढ़वाल के 52 गढ़ों में से एक है। यहां ईको फ्रेंडली पर्यटन बढ़ रहा है पर्यटक कचरा एकत्र कर स्वच्छता में योगदान दे रहे हैं।

    By Anuj khandelwal Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Fri, 20 Jun 2025 06:12 PM (IST)
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    लैंसडौन क्षेत्र में भैरवगढ़ी ट्रेक से गुजरते पर्यटक। जागरण आर्काइव

    अनुज खंडेलवाल, लैंसडौन। आप पर्यटन नगरी लैंसडौन (कालौंडांडा) घूमने आए हैं और ट्रेकिंग का शौक रखते हैं तो आसपास के नौ प्रमुख ट्रेक रूट आपके स्वागत को तैयार हैं। बांज, बुरांश, चीड़ व देवदार के जंगल की शीतल छांव के बीच से गुजरने वाले चार से लेकर 30 किमी तक लंबे ये ट्रेक स्वयं में अद्भुत रोमांच समेटे हुए हैं।

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    इनसे गुजरते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि मानो हम अलग ही दुनिया में विचरण कर रहे हैं। यही वजह है कि सैर-सपाटे के लिए लैंसडौन आने वाले पर्यटक अब ट्रेकिंग का आनंद उठाए बगैर वापस नहीं लौटते। ट्रेकिंग के दौरान पर्यटकों को सूर्योदय व सूर्यास्त का दीदार करना भी काफी लुभाता है।

    बाकी बादलों की ओट से झांकती हिमालय की गगनचुंबी चोटियों को निहारने का रोमांच तो है ही। विशेष यह कि पर्यटकों के पसंदीदा ट्रेकिंग रूट में अब भैरवगढ़ी का ट्रेक भी शामिल हो गया है।

    लैंसडौन क्षेत्र में पड़ने वाला प्रसिद्ध भैरवगढ़ी मंदिर। पर्यटकों को मंदिर का यह ट्रेकिंग रूट खूब भाता है। जागरण

    गढ़वाल के 52 गढ़ों (किलों) में शामिल यह वही गढ़ी है, जहां वर्ष 1790 में गढ़वाल के राजा प्रद्युम्न शाह की सेना ने 28 दिन चले युद्ध में आक्रमणकारी गोरखा सेना को नाकों चने चबाने के लिए विवश कर दिया था। वर्तमान में यहां बाबा भैरवनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है।

    बढ़ रहा ईको फ्रेंडली पर्यटन

    पौड़ी जिले में समुद्रतल से 6,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित पर्यटन नगरी लैंसडौन में बीते कुछ वर्षों से ईको फ्रैंडली पर्यटन काफी बढ़ रहा है। यहां ऐसे पर्यटक आ रहे हैं जो नगर समेत आसपास के क्षेत्र में पैदल घूमना ज्यादा पसंद करते हैं।

    लैंसडौन से फतेहपुर की ओर जा रहा पैदल ट्रेक। यह भी पर्यटकों का पसंदीदा ट्रेक है। जागरण

    साथ ही रास्ते में अन्य पर्यटकों की ओर से फैलाए जाने वाले कचरे को एकत्र कर नगर की स्वच्छता में योगदान भी दे रहे है। नगर में ऐसे पर्यटकों का पहुंचना पर्यावरण के लिए तो सुखद है ही, अन्य पर्यटकों के लिए परिवेश को स्वच्छ रखने का संदेश भी है।

    होटल भी करवा रहे ट्रेकिंग

    पर्यटन नगरी के कई होटलों की ओर से भी पर्यटको को ट्रेकिंग करवाई जाती है। इन होटलों की ओर से पर्यटकों को दिए जाने वाले प्लान में बाकायदा ट्रेकिंग को भी शामिल किया जाता है। इन होटलों के कर्मचारी ट्रेकिंग के इच्छुक पर्यटकों का दल बनाकर सुबह के समय उन्हें पैदल सैर करवाते हैं।

    लैंसडौन क्षेत्र में भैरवगढ़ी ट्रेक से वापस कीर्तिखाल लौटे पर्यटक। जागरण आर्काइव 

    पर्यटक भी छोटे-बड़े ट्रेक रूट से गुजरकर आनंद की अनुभूति करते हैं। बीते वर्षों के दौरान ट्रेकिंग करने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, इसलिए होटलों की ओर से वीकेंड के अलावा गर्मियों के सीजन में भी इसे निरंतर जारी रखा जाता है।

    लैंसडौन क्षेत्र के प्रमुख ट्रेकिंग रूट

    • लैंसडौन एसबीआइ से राठी प्वाइंट होते हुए डेरियाखाल तक : 5 किमी
    • कैंट कार्यालय के निकट चर्च रोड से झारापानी हवाघर होते हुए जयहरीखाल तक : 7 किमी
    • टिप-इन-टाप से संतोषी माता मंदिर होते हुए झारापानी व हवाघर तक : 4 किमी
    • जयहरीखाल मार्ग पर हवाघर के निकट केंद्रीय विद्यालय से भुल्ला ताल होते हुए सदर बाजार तक : 8 किमी
    • लैंसडौन सदर बाजार-कोर्ट रोड-डिग्गी लाइन-धूरा-फतेहपुर ट्रेक : 16 किमी
    • लैंसडौन-जयहरीखाल-गुमखाल-कीर्तिखाल-भैरवगढ़ी ट्रेक : 18 किमी
    • लैंसडौन-डेरियाखाल-चुंडई-मधुगंगेश्वर ट्रेक : 20 किमी
    • लैंसडौन-डेरियाखाल-चुंडई-सिसल्डी-घांघलीखाल-अधारियाखाल-चखुलियाखाल-ताड़केश्वर ट्रेक : 30 किमी
    • चखुलियाखाल-गुंडलखेत-रज्जागढ़ी ट्रेक : 10 किमी

    ऐसे पहुंचें

    दिल्ली से कोटद्वार के लिए परिवहन निगम की बस सेवा हर आधे घंटे में उपलब्ध है। रेल से भी आप कोटद्वार पहुंच सकते हैं। कोटद्वार से लैंसडौन की दूरी 42 किमी है। आप यह सफर टैक्सी या परिवहन निगम की बस से कर सकते हैं। टैक्सी कैब बुक करवाने के साथ अपने वाहनों से भी आसानी से लैंसडौन पहुंच सकते हैं।

    लैंसडौन क्षेत्र में चखुलियाखाल-गुंडलखेत-रज्जागढ़ी ट्रेक पर मौजूद पुराने किले के खंडहर। जागरण आर्काइव

    गढ़वाली व्यंजनों का आनंद

    पर्यटन नगरी समेत आसपास के होटल-होम स्टे में आप मंडुवे की रोटी, चैंसू, फाणू, भांग की चटनी, झंगोरे की खीर आदि गढ़वाली व्यंजनों का आनंद भी ले सकते हैं।