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धरा का धरा रह गया ईको टूरिज्म विलेज का सपना

ईको टूरिज्म विलेज का सपना धरा का धरा रह गया है। 16 गांवों के बाशिंदे आजतक भी उस घड़ी का इंतजार कर रहे हैं जब उनके गांवों का ईको टूरिज्म के तहत विकास होना है।

By Edited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 03:03 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 08:57 PM (IST)
धरा का धरा रह गया ईको टूरिज्म विलेज का सपना
धरा का धरा रह गया ईको टूरिज्म विलेज का सपना

कोटद्वार, [अजय खंतवाल]: कालागढ़ टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट की अदनाला और मैदावन रेंज के 16 गांवों के बाशिंदे बीते दो दशक से उस घड़ी का इंतजार कर रहे हैं, जब उनके गांवों का ईको टूरिज्म के तहत विकास होना है। दरअसल, करीब दो दशक पूर्व पौड़ी जिले के रिखणीखाल ब्लॉक में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे इन गांवों को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित करने के लिए ढाई-ढाई लाख की धनराशि स्वीकृत हुई थी। लेकिन, आज तक न तो इस धनराशि का पता है और न ही योजना की सुध ली जा रही है।

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साल 1999 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के अंतर्गत आने वाले कालागढ़ टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट की अदनाला व मैदावन रेंज के 16 गांवों को ईको-टूरिज्म के रूप में विकसित करने की बात शुरू हुई। जिससे यहां के ग्रामीण विकास के सपने देखने लगे। उन्हें लगा कि अब उनके गांव भी पर्यटन की दृष्टि से नई पहचान हासिल करेंगे। साथ ही क्षेत्र में होने वाले मानव-वन्य जीव संघर्ष से भी निजात मिल जाएगी। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ हुआ नहीं। 

असल में योजना के तहत वन एवं वन्य जीव संरक्षण के साथ ही गांवों का विकास किया जाना था। इसके लिए गांवों में ईको विकास समितियों का भी गठन किया गया। साथ ही गांवों के विकास को ढाई-ढाई लाख की धनराशि अवमुक्त कर दी गई। वर्तमान में ईको विकास समितियां तो गांव में मौजूद हैं, लेकिन न तो शासन से मिलने वाली धनराशि का पता है, न विभागीय अधिकारियों ने कभी इन गांवों की सुध ली। 

ये गांव हुए थे चयनित

मैदावन रेंज: तैड़िया, खदरासी, लूठिया, कांडा, पांड, नौदानू उपगांव।

अदनाला रेंज: बगेड़ा, बरई, डाबरू, चांदपुर, तिमलसैण, मेरुड़ा, रामीसेरा, ढिकोलिया, चपड़ेत।

यह है वर्तमान स्थिति

जिन गांवों को ईको टूरिज्म डेवलपमेंट के नाम पर विकसित किया जाना था, वह आज भी विकास की किरणों से कोसों दूर हैं। उस पर जंगली जानवरों का खौफ भी यहां बराबर बना हुआ है। वर्ष 2008 में भी सीटीआर की ओर से मंदाल घाटी के गांवों को ईको-टूरिज्म की तर्ज पर विकसित करने की बात कही गई, लेकिन इस पर अमल आज तक नहीं हो पाया।

कालागढ़ टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट के प्रभागीय वनाधिकारी अंजनी कुमार का कहना है कि यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है। पर्यटन विभाग से इस संबंध में वार्ता कर जानकारी ली जाएगी।

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