उत्तराखंड के लिए चौखंबा आवश्यक पर्वत श्रृंखला
जागरण संवाददाता श्रीगनर गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थायी जल प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण

जागरण संवाददाता, श्रीगनर गढ़वाल: हिमालयी क्षेत्र में स्थायी जल प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण और योजना विषय को लेकर गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग और जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान गढ़वाल क्षेत्र ने संयुक्त रूप से कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला के संयोजक और विवि ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजेंद्र सिंह नेगी ने कार्यशाला आयोजन के उद्देश्यों और उसकी जरूरत के बारे में विस्तार से बताया। मुख्य अतिथि गढ़वाल केंद्रीय विवि के कुलसचिव डा. एके खंडूड़ी ने कार्यशाला की शुरुआत कराते कहा कि जल मिट्टी और वन के महत्व को लेकर युवा पीढ़ी को बहुत जागरूक होना जरूरी है। गढ़वाल केंद्रीय विवि के भूविज्ञान के प्रो. एचसी नैनवाल ने कहा कि उत्तराखंड के लिए चौखंबा अतिआवश्यक पर्वत श्रेणी है। इसमें स्थित सतोपंथ, भगीरथी, गंगोत्री और चौराबारी ग्लेशियर हमारी सभी बड़ी नदियों के जनक होने के साथ ही नदियों में सदा पानी भी बनाए रखते हैं। इन ग्लेशियरों पर खतरा हमारी नदियों पर खतरा बन सकता है। प्रो. एचसी नैनवाल ने कहा कि हमारी धरती 4.6 विलियन साल पुरानी है।
आइआइटी रुड़की के प्रो. एसके मिश्रा ने कहा कि जल प्रबन्धन और संरक्षण को लेकर युवा पीढ़ी को आगे आना चाहिए।
गढ़वाल केंद्रीय विवि के ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आरएस नेगी ने जल संभर प्रबन्धन में तकनीकी मापन और सामाजिक संरचना के प्रभाव पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। विवि वानिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके नेगी ने कहा कि सर्वांगीण सतत विकास के लिए वनों के प्रबन्धन के साथ ही एकीकृत जलागम प्रबन्धन भी जरूरी है। इस मौके पर जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान गढ़वाल क्षेत्र के वैज्ञानिक डा. एस तरफदार , डा. एसएस रावत, डा. एलएस रावत और एमएससी के छात्र मयंक रावत, दीक्षिता शर्मा मौजूद थे।
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