बिछते ही उखड़ने लगा डामर, गुणवत्ता पर सवाल
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: सत्ता के गलियारों से निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के दावे तो कई मर्तबा कि
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: सत्ता के गलियारों से निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के दावे तो कई मर्तबा किए जाते हैं। लेकिन, धरातल पर शायद ही कभी यह दावे आकार लेते नजर आते हों। ताजा मामला यमकेश्वर विधानसभा के अंतर्गत प्रखंड द्वारीखाल का है, जहां इन दिनों देवीखेत-चैलूसैण से बमोली मोटर मार्ग पर द्वितीय चरण का कार्य चल रहा है। द्वितीय चरण में सड़क पर डामर बिछाया जा रहा है। कार्य की गुणवत्ता किस कदर घटिया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सड़क पर डामर बिछाने के साथ ही उखड़ने भी लगा है।
प्रखंड द्वारीखाल के अंतर्गत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत देवीखेत- चैलूसैंण मोटर मार्ग के किमी. पांच से बमोली तक 4.82 किलोमीटर सड़क स्वीकृत हुई। केंद्र से सड़क निर्माण को साढ़े चार करोड़ से अधिक धनराशि अवमुक्त की गई। करीब दो वर्ष पूर्व उक्त धनराशि एनपीसीसी एजेंसी को हस्तांतरित कर दी गई व एजेंसी ने सड़क कटान कार्य शुरू कर दिया। ग्राम सभा बमोली की प्रधान विनीता रावत ने बताया कि एजेंसी ने किए गए सर्वे के अनुरूप सड़क कटान करने के बजाय मनमर्जी से सड़क का कटान कार्य किया। नतीजा, बंदाखड़ी, पुंडोली, पच्छी, क्षेत्रपाल गांवों की जिस जनता के घर के पास से सड़क गुजरनी थी, उन्हें सड़क तक पहुंचने के लिए आधा किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। इतना ही नहीं, सड़क कटान के दौरान खेतों में मलबा गिरने से ग्रामीणों की कई हेक्टेयर भूमि बर्बाद हो गई।
प्रथम चरण का कार्य पूर्ण करने के बाद द्वितीय चरण में सड़क में डामर बिछाने का कार्य शुरू हुआ। डामरीकरण कार्य की गुणवत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डामर बिछने के साथ ही उखड़ने लगा है। हालात यह हैं कि डामर बिछने के बाद सड़क में गहरी दरार पड़ जा रही हैं। ग्राम प्रधान ने बताया कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से शिकायत भी की गई, लेकिन कोई फायदा न हुआ। उन्होंने शासन-प्रशासन से इसकी शिकायत की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 'ग्रामीणों की ओर से शुरुआत में भूमि नहीं दी गई, जिस कारण सड़क का एलाइनमेंट बदलना पड़ा। बावजूद इसके स्वीकृत लंबाई से करीब साढ़े चार सौ मीटर सड़क अतिरिक्त बनाई गई, ताकि गांवों को सड़क से जोड़ा जा सके। डामरीकरण के दौरान अचानक बारिश आने से कहीं-कहीं डामर उखड़ सकता है, जिसे मानसून समाप्त होने के बाद ठीक कर दिया जाएगा। मानकों के अनुसार वर्तमान में सड़क पर 20 मिमी मोटाई में डामर बिछाया जा रहा है।
..जोगेंद्र प्रताप सिंह, अधिशासी अभियंता, एनपीसीसी'
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