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    बारिश शुरू होते ही उत्तराखंड के इस इलाके के लोगों को सताने लगा भूस्खलन का खतरा, कई परिवार रातजगा करने को मजबूर

    Updated: Mon, 14 Jul 2025 05:16 PM (IST)

    पौड़ी गढ़वाल के दुगड्डा ब्लॉक स्थित आमसौड़ गांव में भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। पिछले साल हुई भारी बारिश के बाद से ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हैं। भूस्खलन के कारण कई घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और कुछ परिवार पलायन कर गए हैं। प्रशासन द्वारा अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल है।

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    बीते वर्ष 22 अगस्त की रात हुई बारिश के दौरान आमसौड़ गांव में हुए भूस्खलन के दौरान बना नाला।जागरण आर्काइव

    जागरण संवाददाता, कोटद्वार। वर्षाकाल शुरू होते ही दुगड्डा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम आमसौड़ में ग्रामीण एक बार फिर रतजगा करने लगे हैं। दरअसल, बीते वर्ष गांव भूस्खलन की जद में आ गया है। हालात यह है कि वर्षा शुरू होते ही आमसौड़ के कई परिवार रातजगा करने को मजबूर हैं।

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    बताते चलें कि वर्ष 2023 के सितंबर माह में अतिवर्षा के चलते आमसौड़ गांव के ऊपर केलापानी का पहाड़ दरकने लगा व मलबा व बोल्डर गांव की ओर आ गए। प्रशासन ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया।

    ग्रामीणों की उम्मीद थी कि सरकारी तंत्र उन्हें भूस्खलन के दंश से निजात दिलाएगा। लेकिन, वर्ष भर सरकारी सिस्टम ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली। उधर, भूस्खलन जोन पर ट्रीटमेंट कार्य नहीं हुए।

    इस बीच बीते वर्ष छह जुलाई को भी पहाड़ी का हिस्सा दरकते हुए भारी मलबे व बोल्डर के साथ गांव के ऊपर गिर गया, जिससे पहाड़ी के नीचे कई भवनों के कमरों में मलबा भर गया था। साथ ही गांव के लिए बिछाई गई पेयजल लाइन भी टूट गई थी।

    इसके बाद बीते वर्ष 22 अगस्त की मध्य रात्रि अतिवृष्टि के दौरान पहाड़ी फिर दरक गई और भारी मलबा व बोल्डर गांव के ऊपर आ गए। भारी मलबे की चपेट में आने से जहां राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित सीएचसी सेंटर व एक दुकान की दीवार ढह गई थी।

    वहीं, कई घरों में भारी मलबा भी आ गया था। ग्रामीणों ने रात के अंधेरे में अपने घरों को छोड़कर पंचायत भवन में शरण ली। सुरक्षा को देखते हुए गांव में पहाड़ी के नीचे रहने वाले 25 परिवारों में से दस परिवारों ने कोटद्वार व दुगड्डा में किराए के कमरे में शिफ्ट हो गए।

    आज तक नहीं ली गई सुध

    प्रशासन ने आमसौड़ गांव में भूस्खलन रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं किए हैं। हालात यह है कि अभी तक गांव का भूगर्भीय सर्वे तक नहीं हुआ। नतीजा, आपदा प्रभावित होने के बावजूद गांव को आपदाग्रस्त गांवों की सूची में शामिल नहीं किया गया है। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य कुंदन सिंह ने बताया कि बीते वर्ष आई आपदा के दौरान पहाड़ी से नाले के रूप में पूरा पानी गांव की ओर आया। इस नाले में जमा मलबे की अभी तक सफाई नहीं हो पाई है। ऐसे में इस वर्षा काल में भी ग्रामीणों के लिए खतरा बना हुआ है।

    आमसौड़ गांव में भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। भूगर्भीय सर्वे के बाद गांव को आपदाग्रस्त गांव की सूची में रखा जाएगा। उसके बाद ही प्रभावित परिवारों के विस्थापन की कवायद होगी। वर्तमान में प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान में रहने को कहा गया है।

    दीपेश कुमार काला, जिला आपदा प्रबंध अधिकारी, पौड़ी