Updated: Thu, 11 Sep 2025 07:40 AM (IST)
पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार में कण्वाश्रम क्षेत्र में पत्थर की मूर्तियां और अवशेष मिले हैं। एएसआई की टीम ने मूर्तियों की जानकारी जुटाई जो दसवीं ईस्वी की हो सकती हैं। सांसद अनिल बलूनी के निर्देश पर टीम ने निरीक्षण किया। कण्वाश्रम का विकास सांसद की प्राथमिकता है जहाँ संग्रहालय और पर्यटक स्थल बनेंगे। महापौर ने कहा कि इससे संस्कृति के बारे में जानकारी मिलेगी।
संवाद सहयोगी, जागरण, कोटद्वार। पौड़ी जिले के कोटद्वार शहर से 11 किमी दूर कण्वाश्रम क्षेत्र में मिली पत्थर की मूर्तियां और अवशेष बताएंगे कि इसका अतीत कितना गौरवशाली रहा है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) देहरादून की टीम ने बुधवार को कण्वाश्रम पहुंचकर इन मूर्तियों के बारे में जानकारी जुटाई।
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इसके अलावा पूर्व में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार समेत अन्य संस्थाओं को भेजे गए कण्वाश्रम से प्राप्त अवशेषों की भी गहनता से जांच की जाएगी। ताकि कण्वाश्रम के विकास की एक ठोस रूपरेखा तैयार की जा सके।
गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी के निर्देश पर कण्वाश्रम पहुंची एएसआइ की टीम ने इस क्षेत्र में अब तक मिली पत्थर की मूर्तियों के बारे में जानकारी जुटाई। टीम में शामिल डॉ. एमसी जोशी ने बताया कि कण्वाश्रम में प्राप्त यह मूर्तियां दसवीं ईस्वी की हो सकती हैं, जो किसी मंदिर या आश्रम के द्वार पर लगी रही होंगी।
ऐसे क्षेत्र से भी यह मूर्तियां प्राप्त हुई हो सकती हैं, जहां पूर्व में कभी भारी मात्रा में पानी बहता रहा होगा। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि पत्थर की मूर्तियां बहकर इधर-उधर बिखर गई हों। बताया कि निरीक्षण के दौरान कण्वाश्रम में जो भी अवशेष मिले हैं, उसका गहनता का अवलोकन किया जाएगा।
डॉ. जोशी ने कहा कि कण्वाश्रम का अधिकांश हिस्सा वन क्षेत्र से लगा हुआ है। ऐसे में यहां खोदाई या सर्वे करने से पूर्व वन विभाग की अनुमति अनिवार्य है। इस संबंध में एएसआइ ने पहले भी वन विभाग को पत्र भेजा था, लेकिन तब अनुमति नहीं मिल पाई।
वहीं, भाजपा जिलाध्यक्ष राजगौरव नौटियाल ने बताया कि कण्वाश्रम क्षेत्र का विकास सांसद अनिल बलूनी की प्राथमिकता में है। उनके निर्देश पर एएसआइ की टीम ने कण्वाश्रम का निरीक्षण किया। बताया कि कण्वाश्रम में संग्रहालय सहित अन्य पर्यटक स्थल विकसित किए जाएंगे।
नगर निगम कोटद्वार के महापौर शैलेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मालिनी नदी के तट पर स्थित कण्वाश्रम का वर्णन ऋग्वेद के साथ ही पुराण, महाभारत, वाल्मीकि रामायण और महाकवि कालिदास की रचनाओं में हुआ है।
कण्वाश्रम का विकास होने से आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति के बारे में पता चलेगा। इस मौके पर गोसेवा आयोग के अध्यक्ष राजेंद्र अणथ्वाल, जगमोहन रावत, सुरेंद्र आर्य सहित अन्य भाजपा कार्यकर्ता व स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।
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