चारधाम यात्रा के टूटे सभी रिकॉर्ड, लेकिन घाटे में चांदी काटने वाला जीएमओयू; ऑफलाइन पंजीकरण कर वाहन बुक रहा रहें श्रद्धालु
यात्रा में मुनाफा कमाने वाला गढ़वाल मोटर आनर्स यूनियन (जीएमओयू) इस वर्ष सीजन में घाटा झेल रहा है। जीएमओयू के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल ने बताया कि वर्तमान में कंपनी के पास चार सौ बसें हैं जिसमें से दो सौ बसें यात्रा पर भेजी गई हैं। चारधाम के लिए समय पर यात्री नहीं मिलने से कंपनी को प्रति दिन दस से बीस लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है।

संवाद सहयोगी, कोटद्वार। भले ही इस वर्ष चारधाम यात्रा के सभी रिकॉर्ड टूट चुके हों। लेकिन, यात्रा में चांदी काटने वाला गढ़वाल मोटर आनर्स यूनियन (जीएमओयू) इस वर्ष यात्रा सीजन में घाटा झेल रहा है। हालात यह है कि चारधाम के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया होने से बसों को समय पर यात्री नहीं मिल पा रहे हैं। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने वाले यात्रियों के इंतजार में बसें ऋषिकेश व हरिद्वार में खड़ी हैं।
चारधाम यात्रा रूट पर लगातार यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है। यात्रा पर आने वाले अधिकांश श्रद्धालु ऑनलाइन पंजीकरण करवाकर अपने निजी वाहनों या फिर पूर्व से ही अपने वाहन बुक कर आवाजाही कर रहे हैं। ऐसे में यात्रियों के इंतजार में हरिद्वार व ऋषिकेश में खड़े जीएमओयू के वाहनों को समय पर यात्री नहीं मिल पा रहे हैं।
वर्तमान में हरिद्वार-ऋषिकेश में चल रही है ऑफलाइन प्रक्रिया
70 प्रतिशत बसों में से मात्र पचास प्रतिशत बसें ही प्रतिदिन यात्रा रूट पर संचालित हो रही हैं। जबकि, तीस प्रतिशत बसें यात्रियों के इंतजार में खड़ी हैं। दरअसल, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से पूर्व श्रद्धालु हरिद्वार व ऋषिकेश में पहुंचते थे और उन्हें यहां से सीधे बस उपलब्ध हो जाती थी। लेकिन, वर्तमान में हरिद्वार व ऋषिकेश में ऑफलाइन प्रक्रिया चल रही है।
ऑफलाइन प्रक्रिया के लिए भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़
ऑफलाइन प्रक्रिया के लिए भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। कई घंटे बाद भी रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। कई बार बीच में ही प्रक्रिया बंद कर दी जा रही है, जिससे बसों को पर्याप्त यात्री नहीं मिल पा रहे हैं।
जीएमओयू के अध्यक्ष जीत सिंह पटवाल ने बताया कि वर्तमान में कंपनी के पास चार सौ बसें हैं जिसमें से दो सौ बसे यात्रा पर भेजी गई हैं। चारधाम के लिए समय पर यात्री नहीं मिलने से कंपनी को प्रति दिन दस से बीस लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है।
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