Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    टाइगर सफारी के नाम पर हो रही मनमानी, कभी पेड़ों की कटान तो कभी अवैध निर्माण; अब बिना अनुमति बिछाई विद्युत लाइन

    By Ajay khantwalEdited By: riya.pandey
    Updated: Fri, 08 Sep 2023 08:01 AM (IST)

    कोटद्वार कालागढ़ टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के नाम पर सिर्फ हजारों पेड़ काटने या अवैध निर्माण की मनमानी ही नहीं की गई। बल्कि कदम-कदम पर नियमों का मखौल उड़ाया गया। सनेह से पाखरो के बीच भूमिगत विद्युत लाइन भी शासन की अनुमति के बिना बिछा दी गई। कार्य की गुणवत्ता जांचे बगैर ही संबंधित ठेकेदारों को 90 लाख रुपये भुगतान भी किया जा चुका है।

    Hero Image
    टाइगर सफारी के नाम अब बिना अनुमति के बिछा दी गई बिजली लाइन

    जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कालागढ़ टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के नाम पर सिर्फ हजारों पेड़ काटने या अवैध निर्माण की मनमानी ही नहीं की गई। बल्कि, कदम-कदम पर नियमों का मखौल उड़ाया गया। सनेह से पाखरो के बीच भूमिगत विद्युत लाइन भी शासन की अनुमति के बिना बिछा दी गई। यही नहीं, कार्य की गुणवत्ता जांचे बगैर ही संबंधित ठेकेदारों को 90 लाख रुपये भुगतान भी किया जा चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    टाइगर सफारी के नाम पर मनमानी

    पाखरो टाइगर सफारी में हुए कार्यों के विशेष आडिट ने इस मनमानी से पर्दा उठाया।  कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग में पाखरो टाइगर सफारी के निर्माण को वर्ष 2019 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने हरी झंडी दी थी।

    यह भी पढ़ें...

    बड़े पैमाने पर पेड़ कटान व अवैध निर्माण की शिकायतें

    इसके लिए रेंज में 106.16 हेक्टेयर भूमि का चयन किया गया। इसके पीछे मंशा कार्बेट टाइगर रिजर्व पर सैलानियों का दबाव कम करने की थी। लेकिन, सफारी के निर्माण में पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी, बड़े पैमाने पर पेड़ कटान और अवैध निर्माण की शिकायत सामने आई, जिन्हें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम के स्थलीय निरीक्षण के बाद विभागीय जांच में भी सही पाया गया।

    बिना अनुमति के बिछाई गई भूमिगत विद्युत लाइन

    साथ ही सनेह से पाखरो के बीच भूमिगत विद्युत लाइन भी नियम-कायदों को ताक पर रखकर बिछाई गई। लगभग 18.5 किमी का यह क्षेत्र आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग ने सनेह से पाखरो के बीच 11-केवी भूमिगत विद्युत लाइन बिछाने के लिए 550.33 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार किया था।

    कंपनियों के साथ तक नहीं किया गया एग्रीमेंट

    18 जून 2021 को वन विभाग ने फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट और नेशनल बोर्ड फार वाइल्ड लाइफ के नियमों को ताक पर रखकर शासन से प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति लिए बिना ही इस कार्य के टेंडर निकाल दिए। इतना ही नहीं, विभाग ने यह कार्य दिल्ली की तीन ऐसी कंपनियों को सौंपा, जिन्हें पूर्व में भूमिगत विद्युत लाइन बिछाने का कोई अनुभव तक नहीं था। इन कंपनियों के साथ एग्रीमेंट तक नहीं किया गया।

    Read Also

    अधिकारियों को किया गया निलंबित

    टाइगर सफारी बनाने के बहाने हजारों पेड़ काटने व अवैध निर्माण के मामले की सीबीआइ जांच के आदेश के बाद वन विभाग में खलबली मची है। इस प्रकरण में तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग और कालागढ़ के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को निलंबित कर दिया गया था। दोनों अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

    अवैध कटान व निर्माण के तत्कालीन वन मंत्री की भूमिका पर सवाल

    इसके अलावा कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल से कुछ समय बाद वन मुख्यालय से संबद्ध किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) ने अवैध कटान और निर्माण के लिए तत्कालीन वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे।

    comedy show banner