मानसून के ख्याल से सहमे ग्रामीण
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: बरसात का सीजन शुरू होने में अभी कुछ महीने शेष है। मगर गाहे-बगाहे बादलों क
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: बरसात का सीजन शुरू होने में अभी कुछ महीने शेष है। मगर गाहे-बगाहे बादलों की गड़गड़ाहट मंदाल घाटी के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों की सांसे अटका देती है। वजह छह साल पहले मंदाल नदी के उफान में बहे कई पुल आज तक नहीं बन पाए हैं। बरसात में जान जोखिम में डालकर मंदाल नदी पार करने की बात सोचकर ग्रामीणों की रुह कांप जाती है।
वर्ष 2009-10 में दैवीय आपदा में रिखणीखाल प्रखंड के तहत करीब सौ नाली से अधिक भूमि मंदाल नदी की भेंट चढ़ गई थी। वहीं करीब कई दो मुख्य पुल नदी में समा गए थे। इनमें बंजा देवी-रिखणीखाल पैदल मार्ग पर वर्ष 1997 में बना बंजा देवी-नौदानू झूला पुल व झर्त पुल-रथुवाढाब मार्ग पर वर्ष 1989 में तीस लाख की लागत से बना झूला पुल शामिल है। छह साल बाद भी इन पुलों का निर्माण नहीं होने से मंदाल घाटी के ग्रामीण बरसात की आहट से सहम जाते हैं। जाने कब मंदाल विकराल रूप धारण कर ले।
पुल मंजूर, बजट से आनाकानी
वर्ष 2010 में तत्कालीन सरकार ने झर्त में 170 मीटर स्पान झूला पुल के सर्वे, डिजाइन व डीपीआर बनाने को 12.54 लाख की धनराशि अवमुक्त की थी। ग्रामीणों की मांग पर लोनिवि दुगड्डा डिवीजन ने दैवीय आपदा के तहत डेढ़ लेन के 200 मीटर लंबे मोटर पुल निर्माण को करीब नौ करोड़ का प्रस्ताव भी शासन को भेजा, लेकिन शासन ने हाथ खड़े कर दिए। बाद में पुल निर्माण के लिए वर्ल्ड बैंक से प्रस्ताव तैयार कराया गया। सूत्रों की माने तो वर्ल्ड बैंक ने पुल व एप्रोच रोड के लिए करीब 20 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया है, लेकिन अभी तक धनराशि अवमुक्त नहीं हो पाई है।
शिलान्यास पट चिढ़ा रहा मुंह
बंजा देवी-नौदानू झूला पुल के लिए शासन ने पूरा बजट तो मंजूर नहीं किया, अलबत्ता आनन-फानन में पुल निर्माण का शिलान्यास कर दिया। शासन ने बंजा देवी पुल निर्माण के लिए करीब साढ़े चार करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर 243 लाख की धनराशि अवमुक्त कर दी, लेकिन लोनिवि लैंसडौन डिवीजन ने पर्याप्त बजट न मिलने के चलते हाथ खड़े कर दिए। नतीजा, ढाई करोड़ मिलने के बावजूद छह वर्ष बाद भी इस पुल पर एक भी पत्थर नहीं रखा जा सका है। हालांकि, अब विभाग अवमुक्त धनराशि से स्टील गार्डर पुल का निर्माण करने की तैयारी में है।
बंजा देवी पुल से प्रभावित गांव
बंजा देवी, कांडा, दियोड, जवाडयू रौल, खदरासी, तैड़िया, ल्वींठिया, जुई, पापड़ी सेरा, हैड़ा ग्वाड़।
झर्त पुल से प्रभावित गांव
ढौटियाल चौड़, गंगा गांव, ढुंग्या चौड़, पारता चौड़, खरड़ी चौड़, झर्त, ढिकोलिया, बसाली चौड़, ज्वाला चौड़, उमरा चौड़, चैरियूं, बबल्याणी, गजरजाल।
पूर्व में झर्त पुल का निर्माण दैवीय आपदा मद के तहत होना था, लेकिन इस मद में धनराशि खत्म हो जाने के कारण निर्माण नहीं हो पाया। अब पुल का निर्माण वर्ल्ड बैंक के जरिए कराने की तैयारी है। हालांकि अभी तक पुल निर्माण के लिए कोई धनराशि अवमुक्त नहीं हो पाई है। लाल ¨सह रावत, सहायक अभियंता, लोनिवि दुगड्डा डिवीजन।
बंजा देवी पुल के लिए धनराशि स्वीकृत हो गई थी। इस झूला पुल के स्थान पर स्टील गार्डर पुल बनाया जाना है। शासन से स्टील गार्डर पुल की स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
प्रमोद कुमार सुयाल, सहायक अभियंता, लोनिवि लैंसडौन।
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