Move to Jagran APP

पहाड़ के दर्द को अपनी कहानी में बयां करने वाले सशक्त हस्ताक्षर पानू खोलिया नहीं रहे nainital news

चर्चित कहानीकार पानू खोलिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 09:02 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 09:02 AM (IST)
पहाड़ के दर्द को अपनी कहानी में बयां करने वाले सशक्त हस्ताक्षर पानू खोलिया नहीं रहे nainital news
पहाड़ के दर्द को अपनी कहानी में बयां करने वाले सशक्त हस्ताक्षर पानू खोलिया नहीं रहे nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : चर्चित कहानीकार पानू खोलिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। बुधवार को रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर उनकी अंत्येष्टि की गई। बेटे गौरव खोलिया ने चिता को मुखाग्नि दी। मूल रूप से अल्मोड़ा के देवली गांव निवासी पानू खोलिया का जन्म 13 अक्टूबर 1939 को हुआ था। गांव में पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका चयन राजस्थान के डिग्री कॉलेज में ङ्क्षहदी प्रवक्ता के रूप हुआ था। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होने के बाद वह हल्द्वानी के मल्लीबमौरी जगदंबा नगर में रहने लगे थे। पिछले कुछ दिनों से पानू खोलिया अस्वस्थ थे। बुधवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में चार बेटियां और एक बेटा है।

loksabha election banner

मौन साधक पानू चकाचौंध से रहे दूर

वर्ष 1967 से 1987 तक उनकी कहानियां धर्मयुग से लेकर तमाम प्रसिद्ध पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही। अन्ना, दंडनायक, एक किरती और जैसी रचनाओं से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली। वह संवेदनशील रचानाकार थे। उनकी मर्मस्पर्शी कहानियों में उपेक्षित, शोषित, पीडि़त और अमानवीय जीवन बिता रही नारी का चित्रण मिलता है। उनकी सबसे बड़ी खासियत यही रही कि वह मौन साधक के रूप में रचनाकर्म में डूबे रहे। चकाचौंध और साहित्यिक दलबंदी से दूर रहे। वाहन उनका जीवनीपरक उपन्यास है। सत्तर के पार शिखर, टूटे हुए सूर्यबिंब आदि उपन्यास भी चर्चित हैं।

पानू खोलिया का रचना संसार अनूठा  : दिवाकर भट्ट

साहित्यकार व पत्रकार दिवाकर भट्ट ने कहा कि पानू खोलिया का रचना संसार अनूठा है। उनके लेखन की विशेषता सबसे हटकर थी। उन्होंने जिस सृजनात्मक क्षमता के साथ अपनी विशिष्ट भाषा शैली गढ़ी, वह चमत्कृत करने वाली थी। साहित्यकार दिनेश कर्नाटक ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया और बताया कि पानू खोलिया की कहानियां अपने पात्रों के जीवन को जिस विस्तार तथा बारीकी से दिखाती हैं, वह सिनेमा से भी बढ़कर है। आप खोलिया जी की पनचक्की, समाधि और अन्ना जैसी कहानियों को पढ़ते हुए पात्रों के साथ जीने लगते हैं और उस यंत्रणा के भुक्तभोगी हो जाते हैं।

उस दौर के प्रमुख कथाकार : देवेंद्र मेवाड़ी

प्रसिद्ध विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ी लिखते हैं, बहुत दुखद समाचार। कल ही तो साथी सतीश छिम्पा ने याद करते हुए अपनी पोस्ट में उन्हें उस दौर का एक प्रमुख कथाकार बताया था। दोनों उपन्यासों और उनकी चर्चित रचनाओं का जिक्र करते हुए लिखा था, युवा रचनाकारों और पाठकों को चाहिए कि वे इस बेहतरीन कहानीकार को जरूर पढ़ें। प्रसिद्ध उपन्यासकार लक्ष्मण सिंह बटरोही ने कहा कि वह हमारे दौर के प्रेरक कहानीकार थे। उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि। कहानीकार सुदर्शन वशिष्ठ लिखते हैं। बहुत पहले धर्मयुग में हम साथ छपते थे।

यह भी पढ़ें : जानिए उस गांव के बारे में जहां अब शराब पीने पर होगा सामूहिक ब‍हिष्कार

यह भी पढ़ें : भारतीयों को बर्बाद कर रहे हैं नेपाल के कैसिनो, देश की सुरक्षा भी पड़ रही खतरे में


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.