चीन सीमा पर ह्या गबला देव पूजा की धूम, आइएएस से लेकर तमाम अधिकारी पहुंचे अपने गांव
पवित्र वृक्ष की शाखा को सात किमी दूर बुग्याल से गांव के पुरुषों द्वारा लाया गया और अपने पारंपरिक परिधान में महिलाओं ने उनका स्वागत किया। गांव निवासी आइएएस अधिकारी लोकेश दताल और कमांडेंट धीरेंद्र सिंह दताल ने कहा कि यह परंपरा अतीत से चली आ रही है।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: चीन सीमा से लगी तहसील धारचूला की उच्च हिमालयी भगवान शिव की धरती दारमा में कुंभ की तर्ज पर आठ साल बाद होने वाली ह्या गबला देव पूजा की धूम मची है। गांव के देश, विदेश में उच्च पदों पर कार्य करने वाले भी सपरिवार गांव पहुंचे हैं।
हल्की बूंदाबांदी के बीच शुरू हुई पूजा में सभी अनुष्ठान किए जा रहे हैं। ह्या गबला देव मंदिर में स्थापित करने के लिए पवित्र वृक्ष की शाखा को सात किमी दूर बुग्याल से गांव के पुरुषों द्वारा लाया गया और अपने पारंपरिक परिधान में महिलाओं ने उनका स्वागत किया।
दांतू गांव के प्रसिद्ध ह्या गबला देव मंदिर में आठ साल बाद पूजा, अनुष्ठान हो रहा है। इस क्षेत्र की अति महत्वपूर्ण और गहन आस्था की इस पूजा में सभी ग्रामीण प्रतिभाग कर रहे हैं। पूजा का शुभारंभ पवित्र आलम लाने के साथ हुआ। गांव के युवा सात किमी दूर पैदल चल कर बुग्याल पहुंचे। जहां से पवित्र वृक्ष आलम का वृक्ष लाया गया। वृक्ष को लेकर लौटते समय मार्ग में पडऩे वाले बालिंग और दुग्तू के ग्रामीणों ने युवाओं का जोरदार स्वागत किया और नाश्ता और जलपान कराने के बाद शुभकामनाएं देते हुए उनके गांव को रवाना किया।
गांव पहुंचने पर अपने पारंपरिक परिधान से सजी गांव की महिलाओं से आलम लाने वाले युवाओं का जोरदार और विधि विधान के साथ स्वागत किया। इसके बाद गांव के युवाओं ने ह्या गलबा देव के जयकारे के साथ आलम को मंदिर परिसर में स्थापित किया और इसी के साथ मुख्य पूजा प्रारंभ हुई।
पुजारी नैन सिंह दताल और बछुवा दताल ने विधिवत पूजा अर्चना कराने के साथ सभी की मंगल कामला और खुशहाली की प्रार्थना की। इस मौके पर ग्रामीणों ने दीया, बाती और घंटियां चढ़ा कर अपने लिए मन्नतें मांगी। मंदिर में भजन कीर्तन के बाद सामूहिक भोज हुआ।
ग्राम प्रधान जमन सिंह दताल ने बताया कि ह्या गबला देव पूजा के बाद अब अठवान पूजा और रणचिम देव की पूजा होगी। इस आयोजन के दौरान लगभग दस हजार फीट की ऊंचाई पर बसे दांतू गांव के खेल मैदान में क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। जिसमें दारमा के सभी गांवों की टीमें प्रतिभाग करेेंगी।
पूजा में आए गांव के अधिकारियों ने कहा
आठ साल बाद होने वाली इस विशेष पूजा में प्रतिभाग करने आए गांव निवासी चंडीगढ़ में कार्यरत आइएएस अधिकारी लोकेश दताल और आरएएफ 103 बटालियन के कमांडेंट धीरेंद्र सिंह दताल ने कहा कि यह पूजा की परंपरा अतीत से चली आ रही है। पूर्वजों के समय से मनाई जा रही पूजा आज भी वैसे ही मनाई जाती है।
कुंभ और अद्धकुंभ की तर्ज पर मनाई जाने वाली आदि पूजा कराने का मुख्य उद्देश्य दूर -दूर रहने वाले लोगों में आपसी भाईचारा बढ़ाने एक दूसरे की समस्याओं को साझा कर समाधान करना है। दोनों अधिकारी सपरिवार पूजा में शामिल हुए हैं। इसके अलावा विभिन्न राज्यों में कार्य करने वाले क्षेत्र के अधिकारी और कर्मचारी अपने परिवार के साथ गांव पहुंचे हैं । गांव में काफी चहल पहल बनी है।
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