World Heritage Day 2022 : कुमाऊं की पांच धरोहर निर्माण कला और नक्काशी का अद्भुत नमूना, देखें तस्वीरें
World Heritage Day 2022 / heritage of Kumaon कुमाऊं में कई ऐसी ऐतिहसिक और सांस्कृतिक धरोहर हैं जो अपनी निर्माण कला के कारण अद्भुत हैं। इनमें नैनीताल क ...और पढ़ें

नैनीताल जागरण संवाददाता : World Heritage Day 2022 : उत्तराखंड के कुमाऊं (Kumaon) मंडल में कई ऐतिहासिक धारोहर ऐसी हैं, जिनकी शानदार निर्माण शैली और बेजोड़ नक्काशी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इन इमारतों में नैनीताल का राजभवन (Raj Bhavan Nainital), अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर (Surya mandir katarmal), पिथौरागढ़ का लंदन फोर्ट (london fort Pithoragarh), अल्मोड़ा का जागेश्वर मंदिर (Jageshwar temple almora) और बागेश्वर का बागनाथ मंदिर (bagnath Temble) कुमाऊं की अनूठी धरोहरों में एक हैं।

राजभवन, नैनीताल Raj Bhavan nainital
इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तरह नैनीताल में चर्चित गौथिक शैली में बने राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 को रखी गई थी। अंग्रेजी के ई-आकार में बनी इस इमारत के निर्माण में सर एंथोनी पैट्रिक मैकडोनल्ड की अहम भूमिका थी। 220 एकड़ राजभवन क्षेत्र में 160 एकड़ क्षेत्र जंगल है, जबकि 1975 में 75 एकड़ क्षेत्रफल में गोल्फ मैदान बनाया गया। 1994 में राजभवन की सुंदरता को देखते हुए आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया। यह भवन 1900 में बनकर तैयार हुआ। चर्चित डिजाइनर फेड्रिक विलियम स्टीवन ने ही नैनीताल राजभवन का डिजाइन तैयार किया था।

लंदन फोर्ट, पिथौरागढ़ London fort Pithoragarh
पिथौरागढ़ में लंदन फोर्ट किले को वर्ष 1791 में गोरखाओं ने अपनी सुरक्षा के लिए बनाया था। ये किला पितरौटा गांव की चोटी पर स्थित है। इस किले में गोरखा सैनिक और सामंत ठहरते थे। किले में एक तहखाना भी बनाया गया था। इसमें कीमती सामना और असलहे रखे जाते थे। किला चारों तरफ से अभेद्य परकोटे नुमा सुरक्षा दीवार से घिरा हुआ है। इसके अंदर बंदूकें चलाने के लिए 152 छिद्र मचान बनाए गए हैं। पिथौरागढ़ में किले में प्रथम विश्व यु्द्ध में प्राण न्योछावर करने वाले सैनिकों का उल्लेख किया गया है।
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जागेश्वर मंदिर, अल्मोड़ा Jageshwar Temple Almora
अल्मोड़ा में जागेश्वर मंदिर समूह का निर्माण कत्यूरी राजाओं के शासनकाल में सातवीं से सत्रहवीं शताब्दी के मध्य किया गया था। मान्यता है कि जगद्गुरुआदि शंकराचार्य ने इस स्थान का भ्रमण किया और इस मंदिर की मान्यता को पुनर्स्थापित किया था। जागेश्वर मंदिर नागर शैली का है। जागनाथ मंदिर में भैरव को द्वारपाल के रूप में अंकित किया गया है। जागेश्वर लकुलीश संप्रदाय का भी प्रमुख केंद्र रहा। जागेश्वर मंदिर समूह के अंतर्गत शिव, महामृत्युंजय, लकुलीश, केदारेश्वर, बालेश्वर, पुस्टिदेवी सहित छोटे बड़े 124 मंदिर हैं।
बागनाथ मंदिर, बागेश्वर Bagnath Temple Bageshwar
बागेश्वर का बागनाथ मंदिर धर्म के साथ पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। नगर को मार्केंडेय ऋषि की तपोभूमि के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव के बाघ रूप में यहां निवास करने से इसे व्याघ्रेश्वर नाम से जाना गया। जो बाद में बागेश्वर हो गया। नगर शैली के वर्तमान बागनाथ मंदिर को चंद्र वंशी राजा लक्ष्मी चंद ने सन 1602 में बनाया था।

कटारमल सूर्य मन्दिर, अल्मोड़ा Surya mandir katarmal
अल्मोड जिले में स्थित कटारमल सूर्य मन्दिर का निर्माण कत्यूरी राजवंश के तत्कालीन शासक कटारमल ने छठीं से नवीं शताब्दी में कराया था। मुख्य मन्दिर के आस-पास 45 छोटे-बड़े मन्दिरों का समूह भी बेजोड़ है। मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार उच्चकोटि की काष्ठ कला से बना था, जो अब कुछ अन्य अवशेषों के साथ नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में रखवा दिया गया है।

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