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Man Ki Bat 85th episode : कौन हैं उत्तराखंड की पद्मश्री बसंती देवी, पीएम मोदी ने मन की बात में किसलिए सराहा

Padmashree Basanti Devi प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में उत्तराखंड की पर्यावरणविद बसंती देवी के कार्यों की सराहना की है। पीएम मोदी ने कहा कि बसंती देवी का जीवन संघर्षों में गुजरा है। उनका संघर्ष हर किसी के लिए प्रेरणादायी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 30 Jan 2022 03:16 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jan 2022 03:16 PM (IST)
Man Ki Bat 85th episode : कौन हैं उत्तराखंड की पद्मश्री बसंती देवी, पीएम मोदी ने मन की बात में किसलिए सराहा
Padmashree Basanti Devi : पीएम मोदी ने कहा कि बसंती देवी का जीवन संघर्षों में गुजरा है।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में आज उत्तराखंड की सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री से सम्मानित बसंती बहन की सराहना करते हुए लोगों को उनसे प्रेरणा लेने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि बसंती देवी का पूरा जीवन संघर्षों के बीच गुजरा। कम उम्र में ही उनके पति का निधन हो गया और वो एक आश्रम में रहने लगीं। जहां रहकर उन्होंने नदी बचाने के लिए संघर्ष किया और पर्यावरण संरक्षण के लिए असाधारण योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं के शसक्ति करण के लिए भी काम किया।

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पीएम मोदी के मन की बात में बसंती बहन का जिक्र करने से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी अभीभूत हैं। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि जागेश्वर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने मन की बात सुनी। पीएम मोदी ने उत्तराखंड की विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता बसंती देवी और पद्मश्री से सम्मानित बसंती बहम के कार्यों की सराहना की। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही बागेश्वर जिले के कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम की बसंती देवी को समाज सेवा के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई है। पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्षरत बसंती बहन ने सूखती कोसी नदी का अस्तित्व बचाने के लिए महिला समूहों के माध्यम से सशक्त मुहिम चलाई। घरेलू हिंसा और महिला उत्पीडऩ रोकने के लिए उनका जनजागरण आज भी जारी है।

पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के लिए किया काम

बसंती देवी को लोग बसंती बहन के नाम से ही जानते हैं। समाजसेवा की शुरुआत उन्होंने अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लाक मेें बालबाड़ी कार्यक्रमों के माध्यम से की। यहां उन्होंने महिलाओं के भी संगठन बनाए। 2003 में लक्ष्मी आश्रम की संचालिका राधा बहन ने उन्हें अपने पास बुलाया और कोसी घाटी के गांवों में महिलाओं को संगठित करने की सलाह दी। बसंती बहन के प्रयासों से कौसानी से लेकर लोद तक पूरी घाटी के 200 गांवों में महिलाओं के सशक्त समूह बने हैं। महिलाओं और पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए उन्होंने 2008 मेें काम शुरू किया। गांवों में महिला प्रतिनिधियों के साथ निरंतर संपर्क रखकर उन्हेें आत्मनिर्भर बनाया। वर्तमान में 242 महिला प्रतिनिधि सशक्तीकरण अभियान से जुड़ी हैं। हिमालय ट्रस्ट के संचालक लक्ष्मी आश्रम से जुड़े वरिष्ठ समाजसेवी सदन मिश्रा ने कहा कि कोसी बचाओ अभियान सहित महिलाओं और पंचायतों के सशक्तीकरण को बसंती बहन ने अभूतपूर्व काम किए हैं।

12 साल की उम्र में हो गई थी शादी

मूल रूप से पिथौरागढ़ के कनालीछीना निवासी बसंती सामंत शिक्षा के नाम पर मात्र साक्षर थीं। 12 साल की आयु में उनका विवाह हो गया था। कुछ ही समय के बाद पति की मृत्यु हो गई। दूसरा विवाह करने की बजाय उन्होंने पिता की प्रेरणा से मायके आकर पढ़ाई शुरू कर दी। इंटर पास करने के बाद गांधीवादी समाजसेविका राधा बहन से प्रभावित होकर सदा के लिए कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में आ गईं। वर्तमान में आश्रम संचालिका नीमा बहन ने बताया कि बसंती बहन कुछ समय से पिथौरागढ़ में ही रह रही हैं।


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