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कोरोना संक्रमण के बाद अब मौसम ने अन्‍नदाता के आरमानों पर फेरा पानी nainital news

कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच अब मौसम किसानों पर कहर बनकर टूटा है। सुबह से ओलावृष्टि के साथ हो रही बारिश के कारण खेतों में खड़ी गेहूं की फसल जलमग्न हो गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 26 Apr 2020 06:40 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2020 06:40 PM (IST)
कोरोना संक्रमण के बाद अब मौसम ने अन्‍नदाता के आरमानों पर फेरा पानी nainital news

नैनीताल, जेएनएन : कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच अब मौसम किसानों पर कहर बनकर टूटा है। सुबह से ओलावृष्टि के साथ हो रही बारिश के कारण खेतों में खड़ी गेहूं की फसल जलमग्न हो गई है। वहीं सब्जी की फसल को भी भारी बारिश के कारण काफी नुकसान पहुंचा है। तराई के क्षेत्रों में जहां गेहूं और सरसों की फसल बारिश के कारण बर्बाद हुई है, वहीं पहाड़ पर सब्जी की फसल को भी खासा नुकसान  पहुंचा है। प्रशासन ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। 

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कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन से लोगों को खासा नुकसान हुआ है। एक महीने से छोटे से लेकर बड़ा कारोबार तक सबकुछ ठप पड़ा है। संकट की इस घड़ी में किसानों को उम्मीद थी कि फसल की पैदावार अच्छी हो जाए तो काफी कुछ सहेज लिया जाएगा। लेकिन मौसम ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है। बहुत सारे किसानों की फसल कटकर खेत में पड़ी है, तो बहुतों की खेत में खड़ी है। बेमौसम बारिश के कारण इसे काफी नुकसान पहुंचा है। इस बार पैदावार पर असर पड़ना लाजमी है। आसमान में अब भी बादलों का डेरा है। मौसम साफ होने के बाद ही नुकसान का ठीक-ठीक आकलनक किया जा सकेगा। वहीं किसानों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग शुरू कर दी है। 

चंपावत में बारिश से सब्जियों को भारी नुकसान 

चंपावत में दोहपर 1:30 बजे से चार बजे तक गरज चमक के साथ बारिश और ओलावृष्टि का दौर चलता रहा। लोहाघाट विकास खंड के फोर्ती, सुई, बनीगांव, कलीगांव,कोलीढेक, कर्णकरायत में गेहूं की खड़ी फसल के साथ शिमला मिर्च, बैगन, टमाटर, गोभी, खीरा, चप्पन कद्दू आदि सब्जी पौधों को व्यापक नुकसान पहुंचा है। बाराकोट तथा पाटी विकास खंडों में भी कई स्थानों पर ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ है। लोहाघाट के सुईं पऊ निवासी में भोला दत्त्त एवं गंगादत्त्त का पॉलीहाउस ओलावृष्टि से फट गया। उद्यान विभाग ने ओलावृष्टि से हुए नुकसान का आकलन करने का निर्णय लिया है। लोहाघाट एडीओ उद्यान भूपेंद्र प्रकाश जोशी ने बताया कि अगले कुछ दिनों में टीम गठित कर ओलावृष्टि से सब्जी पौधों को हुए नुकसान का जायजा लिया जाएगा।

बागेश्वर में भी फसलों को काफी नुकसान 

बागेश्वर में भी बारिश व ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद हुईं हैं । लोग अब अपने खराब फसल समेटने लगे हैं। काश्तकारों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है। वहीं नुकसान की जानकारी लेने नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश खेतवाल पहुंचे उन्होंने लोगों को मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने मंडलसेरा मार्ग में गधेरों से आए मलवा को भी हटाया।

बाजपुर में बारिश से फसलों को नुकसान 

काशीपुर में बारिश के साथ पड़े ओलों ने किसानों की फसल को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। वहीं रुद्रपुर में सुबह 11 बजे तक रुद्रपुर में करीब दो घंटे बारिश के चलते शहर व खेत पानी से जलमग्न नजर आए। अनुमान है कि पूरे जिले में 20 प्रतिशत खेत में खड़ी फसल को नुकसान हुआ है। जबकि 80 प्रतिशत गेहूं की फसल काटी जा चुकी है। इस बार करीब 97 हजार हेक्टेअर में गेहूं की फसल बोई गई थी। बाजपुर में तेज हवा के साथ मूसलाधार वर्षा गई । बारिश से किसानों को खेतों में पड़ी फसल संभालने का मौका भी नहीं मिल पाया। वहीं आम की फसल को भी काफी क्षति हुई है। वहीं बारिश ने गर्मी गन्ने की फसल को फायदा भी पहुंचाया है। नगरीय क्षेत्रों में पानी की निकासी पर्याप्त नहीं होने के चलते जगह-जगह जलभराव की स्थिति भी उत्पन्न हो गई।

पूर्वानुमान : मंगलवार तक मौसम से राहत नहीं

देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि सोमवार व मंगलवार को भी कुमाऊं के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। पर्वतीय इलाकों में कहीं-कहीं ओलावृष्टि होने व मैदानी इलाकों में 60 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से अंधड़ चल सकता है।

गेहूं की कटाई कर नुकसान सीमित करें

बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से गेहूं को नुकसान पहुंचा है। मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. धनपत कुमार ने बताया कि मैदानी इलाकों में अधिकांश फसल कट चुकी है, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में 50 फीसद फसल अभी खड़ी हैं। पानी लगने से गेहूं की क्वालिटी खराब होने की संभावना है। किसानों को अधिक नुकसान से बचने के लिए गेहूं की कटाई कर उसे सुरक्षित स्थान पर भंडारण कर लेना चाहिए।

फलों को नुकसान कर सर्वे कराएंगे

जिला उद्यान अधिकारी भावना जोशी ने बताया कि ओलावृष्टि से सेब, आडू का फूल गिरने से उत्पादन प्रभावित होने की संभावना रहती है। नुकसान का सर्वे कराया जाएगा। सेब उत्पादकों को कम नुकसान हो, इसके लिए जिले के 15 हजार काश्तकारों का बीमा कराया गया है। 

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