कोरोना के बाद उभरे कमर, कूल्हे के दर्द को हल्के में न लें, हड्डियों में हो रही गंभीर बीमारी
कोरोना से उबर चुके लोगों में नई तरह की दिक्कत देखने को मिल रही है। ऐसे लोग कमर कूल्हे व घुटनों में दर्द रहने जैसी शिकायत लेकर डाक्टरों के पास पहुंच रह ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोविड-19 से उबर चुके लोगों में नई तरह की दिक्कत देखने को मिल रही है। ऐसे लोग कमर, कूल्हे व घुटनों में दर्द रहने जैसी शिकायत लेकर डाक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। 22 से 35 वर्ष के लोगों में यह समस्या अधिक देखी गई है। यह लक्षण पोस्ट कोविड एवीएन यानी एवैस्कुलर नेक्रोसिस के हो सकते हैं।
वरिष्ठ लेजर स्पेशलिस्ट डा. हरप्रसाद ने दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही। रविवार को दैनिक जागरण के रामपुर रोड स्थित कार्यालय पहुंचे डा. हरप्रसाद ने पाठकों को बड़ी गंभीरता से सुना। उनकी समस्याएं जानी और मोबाइल फोन पर जरूरी परामर्श भी दिया।
यह है एवैस्कुलर नेक्रोसिस
डा. हरप्रसाद ने बताया कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस को डेथ आफ बोन नाम से भी जाना जाता है। शरीर के अंगों में खून का प्रवाह नियमित न होने व उसमें कमी आने के कारण हड्डियों के ऊतक मर जाते हैं। कुछ समय बाद शरीर की गड्डियां गलने लग जाती हैं। कोरोना होने के दौरान स्टेरायड लेने वालों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है।
शुरुआत में ही उपचार कराना बेहतर
एवैस्कुलर नेक्रोसिस का पता एक्सरे व एमआरआई से पता चलता है। आमतौर पर कोरोना होने के आठ माह से एक वर्ष बाद पोस्ट कोविड एवीएन के लक्षण उभरते हैं। डा. हरप्रसाद ने कहा कि शुरुआत में लोग दवा खाते हैं। तब तक बीमारी बढ़ जाती है। डा. हरप्रसाद ने कहा कि एवीएन का सही व पूर्ण इलाज रोबोटिक लेजर तकनीक से संभव है। बिना सर्जरी की यह तकनीक हड्डी का रक्त संचार बढ़ाती है। हड्डी की कोशिकाएं ठीक होने लगती हैं।
छह से आठ माह चलता है उपचार
डा. हरप्रसाद ने बताया कि पोस्ट कोविड एवीएन के उपचार में छह से आठ माह का वक्त लगता है। इस दौरान 25 से 30 बार रोबोटिक लेजर तकनीक से उपचार कराना होता है। पूर्ण उपचार में दो से ढाई लाख खर्च आता है।
दर्द से राहत के घरेलू उपाय
- हड्डी का दर्द कम करने को बर्फ से सेकाई करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- खानपान संतुलित रखें।
- डाक्टर की सलाह लेकर समय रहते उपचार कराएं।
इन्होंने लिया परामर्श
बागेश्वर से कमलेश तिवारी, गंगोलीहाट से चंद्रशेखर, बिंदुखत्ता से लक्ष्मण सिंह जग्गी, हल्द्वानी से ललित मोहन बिष्ट, गौलापार हल्द्वानी से अमीसा चौसाली, अल्मोड़ा से विभू शर्मा, खटीमा से अनीस।

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