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    ग्रामीणों ने एक सप्‍ताह तक श्रमदान कर रामगंगा नदी में अस्थाई पुल बनाया nainital news

    व्यवस्था से त्रस्त ग्रामीणों ने एक बार फिर से नल नील बन कर नदी पार करने के लिए अस्थाई पुल का निर्माण कर दिया है।

    By Skand ShuklaEdited By: Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:08 PM (IST)
    ग्रामीणों ने एक सप्‍ताह तक श्रमदान कर रामगंगा नदी में अस्थाई पुल बनाया nainital news

    नाचनी (पिथौरागढ़) जेएनएन : व्यवस्था से त्रस्त ग्रामीणों ने एक बार फिर से नल, नील बन कर नदी पार करने के लिए अस्थाई पुल का निर्माण कर दिया है। पुल बहने के डेढ़ माह बाद भी विभाग, प्रशासन और सरकार पुल के इस्टीमेट से आगे नहीं बढ़ सकी और लाचार ग्रामीणों को फिर से एक बार आदम युग की तरह लकड़ी, पत्थर जुटा कर अस्थाई पुल का निर्माण कर दिया है। नवंबर से लेकर मई माह तक पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले के ग्रामीणों को अब आवाजाही के लिए ट्राली की रस्सी खींचने से राहत मिली है।

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    मुनस्यारी तहसील के नाचनी में रामगंगा नदी पर बना पुल 11 जुलाई 2018 को आपदा के दौरान बह गया  था। पुल बहे अब डेढ़ साल पूरे होने के आए हैं । दो -दो जिला प्रशासनों के बाद भी पुल निर्माण नहीं हुआ। पिथौरागढ़ प्रशासन द्वारा पुल बहने के बाद नदी पर ट्राली लगाई गई है। इस ट्राली से नदी पार करने के लिए रस्सी खींचनी पड़ती है। बागेश्वर जिले के गांवों  से पिथौरागढ़ के नाचनी स्थित विद्यालयों में पढऩे के लिए आने वाले सौ के आसपास स्कूली बच्चे रोज रस्सी खींच कर विद्यालय आते जाते हैं। इस ट्राली की रस्सी खींचते समय कई लोग घायल हो चुके हैं। हाल ही में एक महिला की अंगुली कट चुकी है।

    शासन -प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से पुल की मांग करते थक चुके पिथौरागढ़ के नाचनी और  बागेश्वर जिले के छह गांवों के ग्रामीणों ने श्रमदान से पुल निर्माण का निर्णय लिया। इसके लिए लकड़ी, पत्थरों की व्यवस्था की। एक सप्ताह के मेहनत के बाद रामगंगा नदी पर 60 मीटर लंबे पुल का निर्माण कर दिया गया है। रविवार को पुल तैयार हो चुका है। सोमवार से स्कूली बच्चों सहित ग्रामीणों को अब नदी पार करने के लिए रस्सी खींचने से राहत मिलेगी।

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