फूलों से महकेगा बिनसर अभयारण्य, कुमाऊं की पहली फूलों की घाटी विकसित करने की योजना
प्रवेशद्वार अयारपानी से जैवविविधता से लबरेज बिनसर के चीड़ जोन तक सड़क से नीचे व ऊपरी भूभाग में सैलानियों व प्रकृति प्रेमियों को रिझाने के लिए फूलों की घाटी विकसित की जाएगी।
अल्मोड़ा, जेएनएन : इको टूरिज्म के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध बिनसर अभयारण्य नए स्वरूप में नजर आएगा। प्रवेशद्वार अयारपानी से जैवविविधता से लबरेज बिनसर के चीड़ जोन तक सड़क से नीचे व ऊपरी भूभाग में सैलानियों व प्रकृति प्रेमियों को रिझाने के लिए फूलों की घाटी विकसित की जाएगी। खास बात कि अभयारण्य के निचले भूभाग पर चीड़ बहूल जंगलात में हिमालयी आबोहवा वाले पारंपरिक फूलों के विलुप्त होते छोटे बड़े पौधे महक व रंगत बिखेरेंगे। कुमाऊं में यह पहला वन क्षेत्र होगा जहां पर्यावरण संरक्षण में सहायक पेड़ पौधों के बीच फूलों का जंगलात मूर्तरूप लेगा।
अगले सीजन तक बिनसर अभयारण्य का रुख करने वाले पर्यटक, बर्ड वॉचर हों या पर्यावरण प्रेमी अथवा जैवविविधता पर शोध करने वाले छात्र, प्रवेश करते फूलों की वादियों का आनंद ले सकेंगे। यहां फूलों के वह पौधे और उनकी सुंगध भी आकर्षित करेगी जो अब कम ही दिखाई देते हैं। माल रोड पर गुलाबी रंगत बिखेरने वाले बोगनवेलिया की तमाम कटिंग यहां लगा ब्रितानी दौर की इस दक्षिण अमेरिकी प्रजाति को नया जन्म दिया जा रहा है। हिमालयी क्षेत्र में होने वाली गुलाब की विभिन्न प्रजातियों के पौधे यहां लगाए जा रहे। इनमें कई प्रजातियां गुलाब जल, गुलकंद आदि के रूप में आर्थिकी का आधार भी बनेंगी। वहीं गुड़हल, सेमल, गुलबहार, कनेर आदि बड़े पौधों के साथ ही जंगली पुष्प प्रजातियां नजारे को खूबसूरत बनाएंगी।
फल के पौधों को भी महत्व
अयारपानी से बिनसर चीड़ जोन तक फ्लॉवर जोन विकसित करने को अभियान शुरू हो गया है। वन क्षेत्राधिकारी आशुतोष जोशी के मुताबिक फूलों के तमाम पौधे लगा दिए गए हैं। बीच बीच में वन्यजीवों के लिए बमौर, मेहल, तिमिल, दाड़िम, अखरोट आदि के पौधे भी लगाए गए। पौधों की बेहतर बढ़वार, रोग व कीटों से सुरक्षा को जीवमृत, नीम की खली व जैविक खाद डाली जा रही। रविवार को चले अभियान में वन दरोगा जीवन सिंह बोरा, वन रक्षक हरीश चंद्र सती, हेमंत सिंह रावत, शंकर सिंह बिष्ट, दीवान राम, कैलाश भट्ट, ललित मोहन लोहनी, भानुप्रकाश बेलवाल, गाविंद सिंह जीना, दीपक रावत, भगवत सिंह भोज आदि शामिल रहे।
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