Dharali Disaster: भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में नियम विरुद्ध बने होटल-रिजॉर्ट, हाई कोर्ट ने प्रशासन से पूछे तीखे सवाल
नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तरकाशी में भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में अवैध निर्माणों पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने जिलाधिकारी और सिंचाई विभाग से एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन की जानकारी मांगी है। याचिकाकर्ता ने नदी के किनारे अतिक्रमण और व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है जिससे धराली जैसी आपदा से बचा जा सके।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने उत्तरकाशी में भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में नियम विरुद्ध बने होटल, रिजॉर्ट से नदी का रुख मुड़ने से भविष्य में धराली में आई आपदा जैसे हालात होने की आशंका को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने उत्तरकाशी के जिलाधिकारी व सिंचाई विभाग से पूछा है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशा निर्देशों का कितना अनुपालन हुआ है। कहीं ऐसा तो नही है कि नदी के मुहाने व उससे बहने वाले क्षेत्र में अतिक्रमण कर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हो।
एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का अवलोकन कर वहां निरीक्षण करते हुए कोर्ट को चार सप्ताह में अवगत कराएं। एनजीटी ने अपने आदेश में स्पस्ट किया है कि नदी क्षेत्र से 200 मीटर की दूरी तक कोई निर्माण कार्य नहीं होगा, उसका ध्यान रखा जाए। अब मामले की सुनवाई को चार सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
खंडपीठ में जिलाधिकारी उत्तरकाशी व सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए और उन्होंने वस्तुस्थिति की जानकारी दी।
हिमालयन नागरिक दृष्टि मंच के नागेंद्र जगूड़ी ने जनहित याचिका में कहा है कि भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में बड़े स्तर पर नियमों को ताक में रखकर अवैध मकान,होटल,रिजॉर्ट बने हैं, जिससे कभी भी नदी का रुख बदल सकता है। यह धराली की तरह की आपदा के कारण बन सकता है।
याचिका में इको सेंसिटिव जोन व बाढ़ संभावित जोन में बने रिजॉर्ट को बंद करते व भागीरथी इको सेंसटिव जोन के नियमों का पालन कराए जाने की मांग की गई है।
याचिका में यह भी कहा है कि एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का अनुपालन न करते हुए व्यावसायिक गतिविधियों को करने की अनुमति प्रशासन ने दे दी है, जबकि नदी क्षेत्र से 200 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण कार्य करना प्रतिबंधित है।
धराली जैसी घटना उत्तरकाशी में न हो इसलिए भागीरथी नदी के समीप हुए अतिक्रमण को हटाया जाए।
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