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    Uttarkashi Cloudburst Reason: ...तो इस वजह से उत्तरकाशी में फटा बादल, सामने आ गई बड़ी वजह

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 11:57 PM (IST)

    उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने का मुख्य कारण खड़ी पहाड़ियों के बीच नमी वाले बादलों का फंसना था। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डा.नरेंद्र सिंह के अनुसार पिछले डेढ़ दशक में बादल फटने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। धराली की भौगोलिक स्थिति ऐसी घटनाओं के लिए अनुकूल है। अभी तक बादल फटने को रोकने का कोई वैज्ञानिक उपाय नहीं है।

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    भारी नमी से भरे बादलों को पहाड़ी से निकलने की जगह न मिलने से आया जलसैलाब

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र के खड़ी चढ़ाई वाले पहाड़ों के बीच भारी नमी लिए बादलों को बाहर निकलने की जगह नहीं मिली। यह बादल फटने की घटना का मुख्य कारण रहा और जलसैलाब आया।

    मानसून के दौरान इस तरह की घटनाओं की उत्पत्ति भविष्य में भी जारी रहेगी। अभी तक बादल फटने की घटनाओं को रोकने का कोई वैज्ञानिक उपाय नहीं खोजा जा सका है, इसलिए सतर्कता ही बचाव है।

    आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ वायुमंडलीय व पर्यावरण विज्ञानी डा.नरेंद्र सिंह का कहना है कि पिछले डेढ़ दशक से बादल फटने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। धराली की पहाड़ियां सीधी खड़ी हैं और बहुत ऊंची भी हैं। जिनके बीच बादल ठहर जाते हैं।

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    बादलों में अत्यधिक नमी होने के कारण इनके फटने की घटना हो जाती है। इस तरह की परिस्थितियां कभी-कभार ही बनती हैं लेकिन जब बनती हैं तो खतरनाक दृश्य सामने आता है। मंगलवार को धराली में यही देखने को मिला है। धराली क्षेत्र की भौगोलिक संरचना बादल फटने के लिए अनुकूल है।

    यदि पहाड़ी की तलहटी में बसासत नहीं होती तो जान-माल की इतनी हानि नहीं होती। मानसून बादल फटने में सहायक होता है और इसी दौरान ही अत्यधिक घटनाएं होती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक स्थानों में खड़े ऊंचे पहाड़ एक दूसरे से सटे हुए हैं, जो बादल फटने को घटनाओं को न्यौता देते प्रतीत होते हैं।

    पर्यावरणीय व भौगोलिक स्थितियों को समझना जरूरी

    डा.नरेंद्र सिंह ने बताया कि बादलों को फटने से रोकने के लिए कोई वैज्ञानिक उपाय अभी तक नहीं खोजे जा सके हैं। इससे बचाव को लेकर सतर्क रहने की अधिक जरूरत है। पहाड़ों में घर बनाने से पहले पर्यावरणीय परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना होगा और भौगोलिक स्थितियों को भी समझना होगा। बादल फटने वाले इलाकों से दूर रहना होगा। साथ ही नदी-गधेरों के नजदीक रहने से भी दूरी बनानी होगी, खासकर मानसून के दौरान।

    हिमालयी क्षेत्र में दिख रहे जलवायु परिवर्तन के बड़े असर

    डा नरेंद्र सिंह के अनुसार जलवायु परिवर्तन के बड़े असर हिमालयी क्षेत्र में देखने को मिल रहे हैं। जिसके चलते कई तरह की आपदाओं का शिकार होना पढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने के लिए पर्यावरण को संतुलित करना पड़ेगा और पर्यावरण के अनुरूप कार्य करने होंगे।