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    किसानों की आय दोगुनी करने का फंडा बताएगा उत्तराखंड, जानिए क्‍या है योजना nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 11 Feb 2020 12:50 PM (IST)

    किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बजट में प्रस्तावित एक जिला एक उत्पाद योजना में कोसी कटारमल के वैज्ञानिक अहम भूमिका निभाएंगे।

    किसानों की आय दोगुनी करने का फंडा बताएगा उत्तराखंड, जानिए क्‍या है योजना nainital news

    अल्मोड़ा, दीप सिंह बोरा : किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बजट में प्रस्तावित 'एक जिला एक उत्पाद' योजना में कोसी कटारमल के वैज्ञानिक अहम भूमिका निभाएंगे। ये शोध से पता लगाएंगे कि किस जिले में कौन सी फसल, फल या सब्जी का उत्पादन बेहतर होगा। रिपोर्ट तैयार कर राज्य व केंद्र सरकार को सौंपेंगे। उसी आधार पर संबंधित जिले उत्पाद का चयन करेंगे। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल (अल्मोड़ा) ने इस ओर कदम बढ़ाया है। अपने राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत जंगली फलों व बीजों से 11 उत्पाद भी तैयार किए हैं। योजना के तहत इन्हें भी प्राथमिकता में रखा जाएगा।  

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    होम स्टे में उसी गांव का उत्पाद

    होम स्टे में ठहरने वाले सैलानियों को भी संबंधित गांव की ही सब्जी, फल व अनाज से बने व्यंजन परोसे जाएंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार इससे स्थानीय किसानों की आय होगी। स्थानीय उत्पाद को भी बढ़ावा मिलेगा।

    जंगली फल व बीजों से 11 मुख्य उत्पाद तैयार

    राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत वैज्ञानिक जंगली फलों खुबानी, आडू़, मेहल, काफल, बांज बीज, कांठी से अब तक मुख्य 11 उत्पाद तैयार कर चुके हैं। वैज्ञानिक संबंधित क्षेत्र के किसानों को आसपास होने वाले जंगली फलों व बीजों के उत्पाद बनाकर बेचने के लिए प्रेरित करेंगे।

    पीरूल भी जुड़ेगा आजीविका से 

    वैज्ञानिकों की पहल रंग लाई तो चीड़ बहूल वन क्षेत्र वाले पर्वतीय राज्य में वनाग्नि के जनक पीरूल (चीड़ पत्तियां) भी किसानों की आय दूना करेगा। जीबी पंत राष्टï्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान के वैज्ञानिक इससे राखी, कैरी बैग, फाइल फोल्डर, कोयला, आभूषण बनाने में कामयाब रहे हैं।

    पूरे राज्‍य में मॉडल को प्रसारित करेंगे

    प्रो. किरीट कुमार, वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन ने बताया कि हमने राष्‍ट्रीय अध्ययन मिशन के तहत अब तक जो मॉडल तैयार किए हैं उन्हें पूरे राज्य में प्रसारित करेंगे। एक जिला एक उत्पाद में फसल, सब्जी, फल का अध्ययन कर इकोनॉमिक मॉडल बनाएंगे। इसके लिए हिमालयी क्षेत्रों में कार्य कर रहे तीन सौ से ज्यादा लोगों का सहयोग लिया जाएगा।

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