उत्तराखंड बनेगा 'सैफ्रॉन स्टेट', शिवालिक रेंज में कश्मीरी केसर का बढ़ा रकबा
उत्तराखंड को सैफ्रॉन स्टेट का दर्जा दिलाने की दिशा में कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। कोसी कटारमल में उगाए गए कश्मीरी केसर की गुणवत्ता उच्च पाए जाने से उत्साहित शेर ए कश्मीर रिसर्च सेंटर के विज्ञानियों ने उत्तराखंड को केसर बल्ब (गांठनुमा बीज) की बड़ी खेप मुहैया कराई है।

दीप सिंह बोरा, रानीखेत : उत्तराखंड को 'सैफ्रॉन स्टेट' का दर्जा दिलाने की दिशा में कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। कोसी कटारमल में उगाए गए कश्मीरी केसर की गुणवत्ता उच्च पाए जाने से उत्साहित शेर ए कश्मीर रिसर्च सेंटर (जम्मू कश्मीर) के विज्ञानियों ने उत्तराखंड को केसर बल्ब (गांठनुमा बीज) की बड़ी खेप मुहैया कराई है। वहीं विज्ञानियों ने प्रदेश सरकार को तकनीकी सहयोग के लिए हाथ भी बढ़ाए हैं।
नतीजतन, अबकी सीजन औषधीय गुणों वाले केसर का रकबा बढ़ा दिया गया है। मध्य हिमालयी बेल्ट में खिले कश्मीरी केसर ने पलायन से बेजार पहाड़ में आजीविका की नई उम्मीद जगाई है। राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल के विज्ञानियों के सफल प्रयोग से उत्साहित शेर ए कश्मीर विवि एवं सैफ्रान रिसर्च सेंटर ने इस बार पांच कुतल केसर बल्ब भेजे हैं। इन्हें उद्यान विभाग ने बिनसर (रानीखेत) समेत सभी 11 ब्लाक में बराबर बांटकर लगा दिया गया है।
विज्ञानी परीक्षण ने दिखाई सुनहरी राह
जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल के विज्ञानियों ने पहाड़ की आबोहवा पर गहन शोध एवं अध्ययन के बाद केसर पर अभिनव प्रयोग शुरू किया। वर्ष 2018 में यहां दो किलो कश्मीरी केसर के बल्ब लगाए गए। बीते वर्ष फरवरी में केसर की गुणवत्ता परखने को फूल शेर ए कश्मीर अनुसंधान केंद्र की लैब में भेजे गए थे। रिसर्च सेंटर में प्रो. एमएच खान ने खुलासा किया कि विज्ञानी परीक्षण में फूलों में सबसे मुख्य तत्व क्रोसिन (मानक 200) 3.83 व पिकरोक्रोसिन (मानक 70) 20.23 फीसद ज्यादा पाया गया है। जबकि सैफ्रॉनल (20 से 50) 34.78 प्रतिशत तथा विटामिन-सी, फॉलिक एसिड आदि भी प्रचुर मात्रा में मिले हैं।
अपेक्षाकृत गरम धामस में केसर का कमाल
कोसी रेंज का धामस गांव कुछ गरम है। लॉकडाउन में गांव लौटे प्रवासी रणजीत सिंह बिष्टï ने बीते वर्ष कश्मीरी केसर के 12 किलो बल्ब लगाए, जो दोगुने हो चुके हैं। इस सीजन फूल ज्यादा खिले हैं। आकार भी बढ़ा है। विज्ञानी कहते हैं उत्पादन अच्छा होगा। गुणवत्ता भी उच्चकोटी की ही रहेगी। रणजीत सिंह ने अबकी रकबा बढ़ाकर 10 किलो बल्ब और लगाए हैं। इधर कोसी कटारमल में जीबी पंत राष्टï्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान के बागान में दो किलो बल्ब में करीब पांच गुना वृद्धि हुई है। यानि 10 से 12 किलो नए बल्ब बन गए हैं।
धामस में उगाए गए केसर की गुणवत्ता अच्छी
जीबी पंत राष्ट्रीय कोसी कटारमल अल्मोड़ा के निदेशक प्रो. किरीट कुमार ने बताया कि सुखद परिणाम मिल रहे हैं। हमारी ओर से कश्मीरी केसर के बीज ही मंगा कर बांटे जा रहे हैं। जाहिर है धामस गांव में उगाए गए केसर की गुणवत्ता उच्चकोटी की होगी। फिर भी यदि बागवान चाहेंगे तो लैब परीक्षण कराएंगे।
ब्लॉकों में पांच-पांच कुंतल बीज बांटा गया
जिला उद्यान अधिकारी त्रिलोकीनाथ पांडेय कहते हैं कि बीते दो वर्षों में प्रयोग के लिए छोटे स्तर पर बल्ब बांटे गए। इस बार क्षेत्रफल बढ़ाया है। सभी ब्लाकों में पांच-पांच कुंतल बीज बांटा है। धामस गांव से ज्यादा ऊंचाई वाले स्याहीदेवी व शीतलाखेत को भी केसर जोन के रूप में विकसित कर रहे।
विज्ञानियों ने किया प्रोत्साहित
रणजीत सिंह बिष्ट प्रवासी, धामस गांव ने बताया कि विज्ञानियों ने प्रोत्साहित किया है। जीबी पंत संस्थान से गुणवत्ता जांचने के लिए सैंपलिंग का आग्रह करेंगे। बीते वर्ष की तुलना में इस बार फूल ज्यादा खिले हैं। उत्पादन ज्यादा होगा।
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