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    प्रकृति की गोद में बितानी हो छुट्टियां तो आइए उत्तराखंड के नारायण आश्रम, दाे साल के बाद खुला रास्ता

    By Prashant MishraEdited By:
    Updated: Mon, 21 Mar 2022 09:28 AM (IST)

    Narayan Ashram Pithauragarh आप प्रकृति प्रेमी घूमने के शौकीन और अाध्यात्मिक केंद्र एक ही जगह चाहते हैं तो चले आइए उत्तराखंड। पिथौरागढ़ का नारायण आश्रम इन तीनों का संगम है। हिमालय की चोटी पर बने इस प्राचीन आश्रम में योग ध्यान की कई गतिविधियों का संचालन होता है।

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    1936 में श्री नारायण स्वामी द्वारा स्थापित यह आश्रम मन को असीम शांति देने वाली जगह है।

    संवाद सूत्र, धारचूला (पिथौरागढ़) : Narayan Ashram Pithauragarh: उत्तराखंड में यूं तो कई पर्यटन स्थल हैं। पर पिथौरागढ़ का नारायण आश्रम उच्चकोटि का आध्यात्मिक अनुभव देने वाला केंद्र है। 1936 में श्री नारायण स्वामी द्वारा स्थापित यह आश्रम मन को असीम शांति देने वाली जगह है। नेपाल और चीन सीमा से लगे क्षेत्र में विगत दो साल से बंद तवाघाट-ठाणीधार-नारायण आश्रम मार्ग यातायात के लिए खुल चुका है। 

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    कम हो गई दूरी

    इस मार्ग के खुलने से अब धारचूला से प्रमुख आध्यात्मिक पर्यटन स्थल श्री नारायण आश्रम की दूरी मात्र 32 किमी रह जाती है। श्री नारायण आश्रम पहुंचना सरल होने से पर्यटकों की आवाजाही बढऩे के साथ ही चौदास घाटी के ग्रामीणों को राहत मिली है।

    अभी तक 54 किमी थी दूरी

    धारचूला से अब तक नारायण आश्रम की दूरी 54 किमी थी। वाहन धारचूला से तवाघाट- छिरकिला, कंच्योती होते हुए नाराण आश्रम पहुंंचते थे । यह मार्ग अधिकांश समय बंद रहता था। 

    दुर्गम था रास्ता

    मार्ग बंद होने से चौदास के ग्रामीणों को तवाघाट से ठाणीधार की दुर्गम चढ़ाई चढ़ कर पहुंचना पड़ता था। पर्यटकों को वापस लौटना पड़ता था। चौदास सहित नारायण आश्रम तक दूरी कम करने के लिए तवाघाट से ठाणीधार होते हुए मार्ग निर्माण किया गया। 

    दो साल बनने में लगे

    यह मार्ग दो साल पूर्व पूरा तो हुआ परंतु मार्ग बनते ही मानसून काल में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। कई किमी मार्ग बह गया। मार्ग मरम्मत का कार्य चला। दो साल बाद मार्ग यातायात के लिए खुल चुका है।

    सवा घंटे में आश्रम पहुंचे

    इस मार्ग के बनने से नारायण आश्रम तक की दूरी 22 किमी कम हो चुकी है। अब पर्यटक निजी वाहन से भी एक से  सवा घंटे के भीतर धारचूला से नारायण आश्रम पहुंचेंगे।

    गुजरात से होता है संचालन

    अतीत में दक्षिण के एक संत नारायण स्वामी द्वारा नौ हजार फीट की ऊंचाई पर नारायण आश्रम की स्थापना की गई थी। वर्तमान में इस आश्रम का संचालन गुजरात का एक ट्रस्ट करता है, जिसमें स्थानीय ट्रस्टी भी शामिल हैं।

    यहां के पर्यटक सर्वाधिक

    जिस तरह मुनस्यारी में सर्वाधिक बंगाली पर्यटक आते हैं उसी तरह नारायण आश्रम में गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक के सबसे अधिक पर्यटक आते हैं। 

    यह चलती हैं गतिविधियां

    नारायण आश्रम में प्रतिवर्ष योग, साधना, ध्यान के वृहद शिविर भी लगते हैं। कोरोना के चलते बीते दो वर्ष से यह सब प्रभावित हुआ था । वहीं मार्ग के आए दिन क्षतिग्रस्त होने से यहां तक पर्यटकों का पहुंचना कठिन हो गया था।

    स्थानीय लोगों में खुशी

    अब तवाघाट-ठाणीधार -नारायण आश्रम मार्ग खुलने से इस बार भारी संख्या में पर्यटकों के पहुंचने की संभावना है। जिसे लेकर सीमांत के लोगों में खुशी व्याप्त है।

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