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    Haldwani Violence: राजनीतिक गलियारों तक पहुंची हल्द्वानी हिंसा की जांच की आंच, अब नेताओं की तलाश में जुटी पुलिस

    Haldwani Violence बनभूलपुरा कांड की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे नए तथ्य सामने आ रहे हैं। पुलिस ने बनभूलपुरा में रहने वाले सफेदपोश नेताओं की भूमिका को लेकर भी तफ्तीश शुरू कर दी है। दावा है कि यह हिंसा सुनियोजित था। जिस तरीके से पत्थर बरसे। इससे साफ है कि पहले से छतों पर पत्थर व ईंट रखे थे।

    By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Thu, 15 Feb 2024 02:21 PM (IST)
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    राजनीतिक गलियारों तक पहुंची हल्द्वानी हिंसा की जांच की आंच

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। बनभूलपुरा कांड की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए तथ्य सामने आ रहे हैं। उपद्रवियों को जेल भेजा जा रहा है। धरपकड़ जारी है। हल्द्वानी से बरेली और दिल्ली से हरियाणा तक मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक समेत नौ नामजद आरोपितों की तलाश है। इस घटना की जांच की आंच अब राजनीतिक गलियारों तक पहुंच चुकी है।

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    पुलिस ने बनभूलपुरा में रहने वाले सफेदपोश नेताओं की भूमिका को लेकर भी तफ्तीश शुरू कर दी है। आठ फरवरी को मलिक के बगीचे में अतिक्रमण हटाने गई नगर निगम, पुलिस व प्रशासन की टीम पर उपद्रवियों ने पथराव किया था। वाहनों को आग लगाकर फूंक दिया था। बनभूलपुरा थाने को पेट्रोल बम से फूंका। वैध व अवैध असलहों से फायरिंग की। गोली लगने से अब तक छह की मौत हो चुकी है।

    हिंसा सुनियोजित होने का दावा

    दावा है कि यह हिंसा सुनियोजित था। जिस तरीके से पत्थर बरसे। इससे साफ है कि पहले से छतों पर पत्थर व ईंट रखे थे। इतनी बड़ी प्लानिंग के पीछे एक व्यक्ति का हाथ नहीं हो सकता है। न ही यह घटना क्षणिक आवेश की है।

    बाहरी नेताओं की भूमिका की भी जांच

    बनभूलपुरा के अलावा बाहरी मुस्लिम समुदाय के नेताओं की भूमिका भी संदिग्ध है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों के मुस्लिम नेता बनभूलपुरा मामले में अभी भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। पुलिस ऐसे नेताओं के विरुद्ध भी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। इंटरनेट मीडिया सेल निगरानी कर रहा है।

    सीधे अधिकारियों को फोन घुमाना इनकी आदत

    मुस्लिम समुदाय के कई नेताओं की पुलिस और प्रशासन में अच्छी पकड़ है। ये अक्सर अधिकारियों को अपना बताते थे और छोटे-छोटे मामले होने पर सीधे अधिकारियों को फोन घुमा देते थे।

    हिंसा के दिन किसी ने नहीं किया फोन

    जिस दिन बनभूलपुरा कांड हुआ उस दिन इन नेताओं के या तो मोबाइल बंद थे या फिर इन्होंने फोन नहीं उठाए। न ही इन्होंने पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क किया। अगर ये चाहते तो अपने लोगों को समझा सकते थे। इन नेताओं पर सूचनाएं लीक करने का भी आरोप है। जैसे अतिक्रमण की कार्रवाई से पहले सूचना प्रसारित कर देना आदि।

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