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    Uttarakhand Panchayat Chunav पर संशय बरकरार, हाईकोर्ट में अब शुक्रवार को होगी सुनवाई

    नैनीताल हाई कोर्ट ने 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक जारी रखी है और याचिकाकर्ताओं से गलत आरक्षण निर्धारण के विवरण मांगे हैं। सरकार ने आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करने को एकमात्र विकल्प बताया, जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसे संवैधानिक बाध्यता बताया। अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। याचिकाकर्ताओं ने 9 और 11 जून की नियमावली को चुनौती दी है, जिसमें पुराने आरक्षण रोस्टर को रद्द कर नया लागू किया गया था।  

    By Jagran News Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 26 Jun 2025 02:36 PM (IST)
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    जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर के विरुद्ध दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई की।

    कोर्ट ने सरकार की दलीलों से सहमत होते याचिकर्ताओं से आरक्षण के गलत निर्धारण से संबंधित निर्धारण से विवरण हो, तो पेश करने को कहा है। कोर्ट ने फिलहाल चुनाव प्रक्रिया पर रोक जारी रखी है, अगली सुनवाई शुक्रवार को जारी रहेगी।

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    गुरुवार को को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।

    महाधिवक्ता एसएल बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सरकार की ओर से बहस करते हुए दोहराया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना एकमात्र विकल्प था, नौ जून जारी नियमावली का 14 जून को गजट नोटिफिकेशन हो गया था जबकि याचिकाकर्ताओं ने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम व संविधान के अनुच्छेद 243 टी व अन्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आरक्षण में रोस्टर अनिवार्य है, यह संवैधानिक बाध्यता है ।

    सरकार की ओर से चुनाव प्रक्रिया पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया गया। बकौल सीएससी कोर्ट सरकार की ओर शुरू प्रक्रिया को नियम विरुद्ध नहीं माना है।

    बागेश्वर निवासी गणेश कांडपाल व अन्य ने याचिका दायर कर राज्य सरकार की ओर से 9 जून व 11 जून को जारी नियमावली व परिपत्र को याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने इस नियमावली में राज्य में अब तक के आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित कर दिया था और आरक्षण का नया रोस्टर जारी कर उसे पहली बार वर्तमान चुनाव से लागू माना।

    याचिकाकर्ता के मुताबिक एक तरफ सरकार का यह नियम कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश के विरुद्ध है और दूसरा पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा-126 के अनुसार कोई भी नियम तभी प्रभावी माना जायेगा जब उसका सरकारी गजट में प्रकाशन होगा, चुनाव प्रक्रिया पर रोक के बाद सवाल उठ रहा है कि 14 जून को गजट नोटिफिकेशन के होने के बाद भी सचिवालय सहित अन्य संस्थाओं को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी ? एक आधिकारिक गलती के कारण पूरा चुनाव प्रक्रिया संकट में आ गई।