Uttarakhand Panchayat Chunav: बाहरी लोगों को वोटर लिस्ट में शामिल करने पर हाई कोर्ट सख्त, मांगा जवाब
नैनीताल हाई कोर्ट ने बुढ़लाकोट ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में बाहरी लोगों के नाम शामिल करने पर राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा कि बाहरी लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने के क्या मापदंड थे और किस आधार पर उन्हें निवासी माना गया। आयोग को शुक्रवार तक रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया गया है।

जासं, नैनीताल। हाई कोर्ट ने नैनीताल जिले के ग्राम पंचायत बुढ़लाकोट की मतदाता सूची में शामिल बाहरी क्षेत्र के लोगों के नाम हटाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा है कि बाहरी लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने के कौन से मापदंड अपनाए गए? सूची में शामिल करते समय किस आधार पर चिह्नित किया गया कि बाहरी लोग यहीं के निवासी हैं। कोई रिकार्ड है तो शुक्रवार तक कोर्ट में पेश करें।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट की ओर से कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि मतदाता सूची बनाते समय तय मापदंडों का अनुपालन किया गया। जिन मतदाताओं के नाम पर आपत्तियां दर्ज की गई थी, उनकी कमेटी ने जांच की जबकि इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि जो लोग यहां के निवासी नहीं है, उनकी ओर से आपत्ति दर्ज की है।
उनके नाम ग्राम सभा के परिवार रजिस्टर्ड में दर्ज नहीं है, जिनके हैं, उसमें भी कई तरह की अनियमितता है। अब कोर्ट ने मतदाताओं के सत्यापन का रिकार्ड पेश करने को कहा है। कोर्ट ने वोटरों का वेरिफिकेशन रिकार्ड पेश करने को कहा है।
नैनीताल जिले में किलबरी-पंगोट क्षेत्र के बुढलाकोट निवासी आकाश बोरा ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि गांव की मतदाता सूची में बाहरी क्षेत्र के 82 मतदाताओं के नाम शामिल किए गए हैं। इसमें से अधिकांश उड़ासी के निवासी हैं। जब इसकी शिकायत एसडीएम को हुई तो एसडीएम की ओर से जांच कमेटी गठित की गई।
कमेटी ने मतदाता सूची का अवलोकन कर पाया कि सूची में 18 लोग बाहरी क्षेत्र के निवासी हैं लेकिन अंतिम सूची जारी होने के बाद भी चिन्हित 18 लोगों के नाम मतदाता सूची से नहीं हटाए गए। याचिका दायर करने के बाद 30 अन्य की सूची भी कोर्ट में पेश की गई, शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं।
बीएलओ ने सूची बनाते समय घर-घर मतदाताओं को चिह्नित किया, लेकिन कोर्ट ने आयोग से पूछा कि जब मतदाता सूची बनाई गई क्या उस समय आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र , राशन कार्ड या स्थायी निवास से संबंधित दस्तावेजों की जांच की है तो उसका रिकार्ड कोर्ट में पेश करें। कोर्ट ने पूछा कि मौखिक तौर पर बताया कि क्या ऐसे मतदाताओं के नाम सूची में शामिल कर लिए? मामले में शुक्रवार को भी सुनवाई होगी।
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