Uttarakhand Panchayat Chunav: चुनाव में मानसून न डाले खलल, ली जाएगी एसडीआरएफ-एनडीआरएफ और सेना की मदद
गरमपानी में मानसून के दौरान पंचायत चुनाव और आपदा प्रबंधन के लिए प्रशासन तैयार है। एसडीआरएफ एनडीआरएफ और सेना की मदद ली जाएगी। तहसील स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं और जिला मुख्यालय से फीडबैक लिया जा रहा है। सीमावर्ती गांवों में राहत कार्य के लिए पड़ोसी जिलों से समन्वय किया जाएगा। मतदान को सुगम बनाने के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं।

संवाद सूत्र, जागरण गरमपानी। मानसून सत्र में पंचायत चुनाव व आपदा से निपटने को तंत्र विशेष तैयारियों में जुटा हुआ है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ समेत सुरक्षा बलों को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है। तहसील स्तर पर चुनाव व आपदा से संबंधित मामलों की जानकारी को बकायदा अलग अलग कंट्रोल रुम भी स्थापित कर दिए गए हैं जबकि मुख्यालय स्तर पर स्थापित कंट्रोल रुम से लगातार फिडबैक लिया जा रहा है।
खास बात यह है की बार्डर पर स्थित गांवों में जरुरत पड़ने पर राहत व बचाव कार्य के लिए दूसरे जनपद के प्रशासन की भी मदद ली जाएगी। आपातकालीन परिचालन केंद्र प्रभारी कमल मेहरा के अनुसार राहत व बचाव कार्य में सीमा विवाद आड़े नहीं आएगा बल्कि बेहतर तालमेल से कार्य किया जाएगा।
प्रदेश में हरिद्वार को छोड़कर सभी जनपदों में इस वर्ष पहली बार मानसून सत्र में पंचायत चुनाव होने से विभागीय अधिकारियों का सुख चैन छिन लिया है। पंचायत चुनाव में भागीदारी कर रहे प्रत्याशियों के माथे पर भी लगातार बदल रहे मौसम के मिजाज से चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही है।
मौसम बिगड़ने पर विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले गांवों में मतदाता मतदान को कैसे पहुंचेंगे ये सोचकर प्रत्याशी चिंतित हैं पर चुनाव व आपदा से निपटने को तंत्र ने विशेष तैयारी कर ली है। पहले चरण के मतदान की तारिख नजदीक आने के साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग भी अलर्ट मोड पर आ गया है।
किसी भी विपरीत परिस्थितियों से निपटने को अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर छड़ा व जिला मुख्यालय में तैनात एसडीआरएफ तथा भवाली में तैनात एनडीआरएफ ईकाई को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है।
जरुरत पड़ने पर कुमाऊं रेजिमेंट के दो कालम व सीआरपीएफ तथा एसएसबी यूनिट की भी मदद ली जाएगी। इस बार तहसील स्तर पर आपदा के साथ ही चुनाव कंट्रोल रुम भी स्थापित किया गया है। जिला मुख्यालय में बने कंट्रोल रुम से तहसील स्तर पर बनाए गए कंट्रोल रुम से रोजाना फिडबैक लिया जाएगा।
खास बात यह भी है मौसम बिगड़ने पर सीमाओं पर स्थित गांवों में मतदान प्रभावित न हो इसके लिए आपसी समन्वय व तालमेल से दोनों जिलों के अधिकारी व कर्मचारी कार्य करेंगे। आपदा की स्थिति में भी मिलकल राहत व बचाव कार्य किया जाएगा। जरुरत पड़ने पर मतदाताओं को सुरक्षित मतदान केंद्र तक पहुंचाने व मतदान के बाद वापस गांव तक छोड़ने के लिए विशेष रुप चार्ट भी तैयार किया गया है। वैकल्पिक रुट भी तलाशा गया है।
आपदा परिचालन केंद्र प्रभारी कमल मेहरा के अनुसार मानसून सत्र में चुनाव की चुनौती से निपटने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई है। सभी टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। सीमाओं पर स्थित जनपदों के अधिकारियों से भी रोजाना संपर्क साध फिडबैक लिया जा रहा है।
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