उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स देशभर के संगीत विशेषज्ञों से रूबरू हुए
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी विद्याशाखा के तहत संगीत नृत्य एवं कला प्रदर्शन विभाग की ओर से वर्चुअल कार्यशाला आयोजित की गई।
हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी विद्याशाखा के तहत संगीत, नृत्य एवं कला प्रदर्शन विभाग की ओर से वर्चुअल कार्यशाला आयोजित की गई। दस से 16 जुलाई तक आयोजित कार्यशाला में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के संगीतज्ञों ने व्याख्यान दिया। कार्यशाला में माध्यम से विद्वानों ने गायन, स्वरवाद्य एवं तबला विधा के पाठ्यक्रम से संबंधित सैद्धांतिक एवं प्रयोगात्मक पक्षों पर व्याख्यान दिया।
स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित कार्यशाला काफी उपयोगी साबित हुई। कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यायल के संरक्षक एवं माननीय कुलपति प्रोफेसर ओपीएस नेगी ने किया। संयोजक निदेशक मानविकी विद्याशाखा प्रोफेसर एचपी शुक्ल ने किया। दोनों ने कहा कि भारतीय संगीत की परंपरा काफी समृद्ध है। यह हमारी संस्कृति को पोषित व पल्लवित कर ही है। संगीत की विभिन्न विधाओं से जुड़ने वाले छात्र भारतीय संगीत परंपरा को नई पीढ़ी तक ले जाने का काम करेंगे। समापन सत्र में कार्यशाला के संयोजक प्रो. एचपी शुक्ल, आयोजन सचिव द्विजेश उपाध्याय, जगमोहन परगांई, अशोक चंद्र टम्टा आदि मौजूद रहे।
इन्होंने दिया व्याख्यान
एक सप्ताह तक चली कार्यशाला में देशभर के विभिन्न विद्यालयों के विशेषज्ञों ने छात्रों का ज्ञानवर्धन किया। नैनीताल से प्रो. विजय कृष्ण, दिल्ली से डॉ. मल्लिका बैनजी, गोरखपुर से डॉ. रवि जोशी, डॉ. मुकेश पंत, डॉ. मनीष डंगवाल, डॉ. निर्मला जोशी, डॉ. महेश पांडे, शुभांकर डे हरिद्वार से प्रदीप चोपडा, डॉ. गगनदीप होठी, डॉ. गीता जोशी, रामपुर से शर्मिष्ठा बिष्ट, डॉ. अंकिता व्याख्यान देने वालों में शामिल रहे।
विवि परिसर में लगाए फलदार पौधे
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से चातुर्मास में पौधारोपण किया जा रहा है। विश्वविद्यालय मुख्यालय, विश्वविद्यालय के गोद लिए बसानी गांव और विवि के हल्द्वानी अध्ययन केंद्र परिसर में आम, अमरूद, आंवला आदि प्रजाति के पौधे लगाए गए। विश्वविद्यालय की कुलाधिपति राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के निर्देशों के चले पौधारोपण अभियान में विशेष रूप से काम किया जा रहा है। कुलपति प्रो. आपीएस नेगी ने पौधारोपण के बाद उनकी देखरेख का भी जिम्मा लेने की बात कही गई है। इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव भरत सिंह, डाॅ. राकेश रयाल भी मौजूद रहे।