रिटायर्ड अध्यापक के देयकों का भुगतान नहीं करने पर सरकार पर लगाया दस हजार का जुर्माना
हाई कोर्ट ने रिटायर अध्यापक के देयकों का भुगतान नहीं करने के मामले में सरकार की विशेष अपील खारिज कर सरकार पर दस हजार का जुर्माना लगाया है।
नैनीताल, जेएनएन। हाई कोर्ट ने रिटायर अध्यापक के देयकों का भुगतान नहीं करने के मामले में सरकार की विशेष अपील खारिज कर सरकार पर दस हजार का जुर्माना लगाया है। वहीं सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया कि वह समस्त देयकों का भुगतान एक माह के भीतर कर देंगे।
मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हरपाल सिंह यादव रिटायर अध्यापक हरिद्वार की याचिका पर सुनवाई हुई। कहा कि 2015 में वह रिटायर हो चुके है अभी तक उनका जीपीएफ व अन्य देयकों का भुगतान नही किया है। पूर्व में उन्होंने पांच लाख रुपया निकाला ,जिस पर खण्ड शिक्षा अधिकारी हरिद्वार सुमन अग्रवाल ने इसके एवज में 10 प्रतिशत कमीशन के रूप में मांगी जिसे उन्होंने दे दिया, साथ ही शिकायत व वीडियो रिकार्डिंग विजिलेंस को दे दी। पूर्व में एकलपीठ ने याचिकर्ता के समस्त देयकों का भुगतान एक सप्ताह में करने के आदेश सरकार को दिए थे । इस आदेश के खिलाफ सरकार ने हाई कोर्ट में बिसेष अपील दायर की है उन्होंने अपील में कहा है कि इनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रो में गड़बड़ी है जिसकी जांच करनी है। सुनवाई के दौरान खण्डपीठ ने कहा कि जब कर्मचारी रिटायर हो चूका अब उसके शैक्षणिक प्रमाण पत्रो की जाँच करने की क्या जरूरत है यह नियमावली के विरुद्ध है इसकी जाँच तो सेवाकाल के दौरान या नियुक्ति होने के समय की जानी चाहिए थी।
मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हरपाल सिंह यादव रिटायर अध्यापक हरिद्वार की याचिका पर सुनवाई हुई। कहा कि 2015 में वह रिटायर हो चुके है अभी तक उनका जीपीएफ व अन्य देयकों का भुगतान नही किया है। पूर्व में उन्होंने पांच लाख रुपया निकाला ,जिस पर खण्ड शिक्षा अधिकारी हरिद्वार सुमन अग्रवाल ने इसके एवज में 10 प्रतिशत कमीशन के रूप में मांगी जिसे उन्होंने दे दिया, साथ ही शिकायत व वीडियो रिकार्डिंग विजिलेंस को दे दी। पूर्व में एकलपीठ ने याचिकर्ता के समस्त देयकों का भुगतान एक सप्ताह में करने के आदेश सरकार को दिए थे । इस आदेश के खिलाफ सरकार ने हाई कोर्ट में बिसेष अपील दायर की है उन्होंने अपील में कहा है कि इनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रो में गड़बड़ी है जिसकी जांच करनी है। सुनवाई के दौरान खण्डपीठ ने कहा कि जब कर्मचारी रिटायर हो चूका अब उसके शैक्षणिक प्रमाण पत्रो की जाँच करने की क्या जरूरत है यह नियमावली के विरुद्ध है इसकी जाँच तो सेवाकाल के दौरान या नियुक्ति होने के समय की जानी चाहिए थी।
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