Uttarakhand में स्थानांतरण अधिनियम के पालन को लेकर हाई कोर्ट सख्त, दिया दो दिन का टाइम
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने स्थानांतरण अधिनियम के पालन को लेकर राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने 30 जून तक पात्रता सूची वेबसाइट पर जारी करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता ने अपने स्थानांतरण को चुनौती दी जिसमें एक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाया गया। कोर्ट ने पात्रता सूची प्रकाशित करने और अभ्यर्थियों को विकल्प देने की अनुमति दी है। अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ल न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को स्थानांतरण अधिनियम के प्रविधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
हरिद्वार के जिला अभिहित अधिकारी महिमानंद जोशी की ओर से याचिका दायर कर अपने 10 जून को हरिद्वार से नैनीताल स्थानांतरण आ आदेश को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता के अनुसार उनकी आयु 58 साल 4 माह हो चुकी है। वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में हैं, सेवा के 20 माह बचे हैं, उनके ट्रांसफर में एक्ट की धारा 14 का उल्लंघन हुआ है।
उनकी 60 प्रतिशत सेवा दुर्गम की है, छह साल टिहरी में दुर्गम की सेवा की है, लेकिन हरिद्वार से 2 साल बाद ही ट्रांसफर करना एक्ट का उल्लंघन है। ट्रांसफर जनहित में किया गया, जबकि एक्ट में जनहित का कोई उल्लेख ही नहीं है।
स्थानांतरण में स्थानांतरण अधिनियम के अनुसार पद रिक्तियों के संबंध में पात्रता सूची तैयार कर विकल्प आमंत्रित करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है। संबंधित पद जिला स्तर के अधिकारी अर्थात् नामित अधिकारी का बताया गया है।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि पदों की संख्या कम होने के कारण यह प्रक्रिया सीमित समयावधि में पूरी की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि 30 जून 2025 तक पात्रता सूची एवं रिक्त पदों की जानकारी विभागीय वेबसाइट पर प्रकाशित की जाए। सभी पात्र अभ्यर्थियों को सात जुलाई तक विकल्प देने की अनुमति होगी।
स्थानांतरण आदेश 11 जुलाई तक पारित किए जाएं। मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई नियत की गई है। कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार यह आदेश 26 जून को जारी किया गया है।

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