उत्तराखंड की 11900 हेक्टेयर से ज्यादा वन्य भूमि कैप्चर, सुप्रीम कोर्ट ने आवासीय घरों को छोड़ खाली जमीन पर कब्जा लेने का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में आवासीय घरों को छोड़कर खाली वन भूमि को अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया। राज्य के 53.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल मे ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में वन भूमि पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे पर नाराजगी जताते हुए आवासीय घरों को छोड़कर खाली जमीन अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया है। 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर वन भूमि पर कब्जा है। राज्य के 53.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में से लगभग 38 लाख हेक्टेयर वन भूमि है। लेकिन इसमें से अप्रैल 2023 तक 11,900 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा था।
वहीं वर्ष 2022 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने बताया था कि उत्तराखंड में 10,649 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा था। इसके मुताबिक हिमालयी राज्यों में वन भूमि पर कब्जे के मामले में उत्तराखंड तीसरे स्थान पर था। इसकी बड़ी वजह लीज खत्म होने के बाद वन विभाग का अपनी जमीन पर वापस लेने में आ रहीं अलग-अलग अड़चनें हैं। इसके साथ ही नई बसावटों के चलते भी वन भूमि पर कब्जा हो रहा है। वन गुर्जरों को चारे के लिए दी गई वन भूमि पर उनकी ओर से अवैध रूप से खेती की जा रही है।
छह साल में 2400 हेक्टेयर जमीन गंवाई
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में वन विभाग की ओर से दायर किए गए हलफनामे में यह उजागर हुआ है। जनवरी 2025 में वन विभाग ने बताया कि साल 2019 से अब तक यानी लगभग छह साल में 2400 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा हुआ है। यह तब है जब राज्य सरकार की ओर से दावा किया जाता है कि उसने 2023 हेक्टेयर भूमि कब्जामुक्त करवा ली है। बता दें कि वर्ष 2017 में राज्य के 31 वन प्रभागों में 9,506 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा था।
कार्बेट और राजाजी में भी हुए कब्जे
कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व में तक अवैध रूप से वन भूमि पर कब्जे हुए हैं। यहां न सिर्फ वन भूमि कब्जाई गई, बल्कि उसकी खरीद फरोख्त भी हुई। यही नहीं वन भूमि के अंदर अवैध रूप से धार्मिक संरचनाएं तक बना दी गईं। इसके खिलाफ सरकार ने भी कार्रवाई की है। पिछले दिनों रामनगर के पुछड़ी में विभाग ने वन भूमि कब्जा मुक्त कराई थी।

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