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    Uttarakhand Forest Fire: पहाड़ में जंगल संग 11 लोग भी जले, लेकिन आंकड़ों में पेड़ सिर्फ एक राख!

    Updated: Sat, 24 Aug 2024 12:33 PM (IST)

    Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने इस बार विकराल रूप धारण कर लिया था। कुमाऊं के जंगलों में 902 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ ग ...और पढ़ें

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    Uttarakhand Forest Fire: जंगल में लपटों की चपेट में आने से 11 लोगों की जान गई. File Photo

    गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी । Uttarakhand Forest Fire: वन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट की तकनीकी खामी दूर होने के बाद फायर सीजन में जंगलों में लगी आग के आंकड़े भी अब सार्वजनिक हो चुके हैं। इसमें कुछ चौंकाने वाली बात भी है। पहाड़ के जंगलों में आग ने इस बार विकराल रूप धारण कर लिया था।

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    सिविल सोयम अल्मोड़ा और अल्मोड़ा डिवीजन के जंगल में लपटों की चपेट में आने से 11 लोगों की जान तक चली गई थी। मौतों के आंकड़े से तो वन विभाग इत्तेफाक रखता है मगर विभाग की मानें तो इन दोनों डिवीजन में एक पेड़ भी पूरी तरह नहीं जला। वहीं, पहाड़ से जुड़ी नौ डिवीजनों में सिर्फ एक पेड़ राख हुआ है, जो पिथौरागढ़ डिवीजन से जुड़ा है।

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    सामने आई 1276 आग की घटनाएं

    उत्तराखंड के जंगलों में जून तक हरियाली के जलने का सिलसिला जारी था। इस अवधि में 1276 आग की घटनाएं सामने आई। 1771.665 हेक्टेयर जंगल चपेट में आया। इसमें गढ़वाल का 720.105 हेक्टेयर, वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र में 148.63 हेक्टेयर और कुमाऊं के इलाकों में 902 हेक्टेयर जंगल में नुकसान हुआ। कुमाऊं में यह आंकड़ा मैदान से लेकर पर्वतीय क्षेत्र की डिवीजनों से जुड़ा है।

    वहीं, हालात पर काबू पाने के लिए एसडीआरएफ-एनडीआरएफ के बाद वायुसेना के हेलीकाप्टर तक की मदद लेनी पड़ गई थी। अल्मोड़ा सिविल सोयम डिवीजन में दस और अल्मोड़ा वन प्रभाग में आग की चपेट में आने से 11 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। वहीं, सरकारी आंकड़े कहते हैं कि पहाड़ की नौ डिवीजनों में पूरे फायर सीजन में सिर्फ एक ही पूरा पेड़ जला है।

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    कुमाऊं में पर्वतीय क्षेत्र से जुड़ी डिवीजनों की स्थिति

    • डिवीजन का नाम -जंगल में आग -पेड़ को नुकसान
    • नैनीताल डिवीजन -34.65 हेक्टेयर -शून्य
    • सिविल सोयम नैनीताल -कोई नहीं-  शून्य
    • सिविल सोयम रानीखेत -35.75 हेक्टेयर- शून्य
    • अल्मोड़ा डिवीजन -117.1 हेक्टेयर -शून्य
    • सिविल सोयम अल्मोड़ा -149.95 हेक्टेयर -शून्य
    • बागेश्वर डिवीजन -55.87 हेक्टेयर -शून्य
    • पिथौरागढ़ डिवीजन-  171.87 हेक्टेयर- एक
    • चंपावत डिवीजन -74.54 हेक्टेयर -शून्य
    • हल्द्वानी डिवीजन -31.98 हेक्टेयर -शून्य

    तराई के जंगल में 12 पेड़ जले

    मैदानी क्षेत्र में शामिल तराई केंद्रीय डिवीजन में पेड़ों के जलने का आंकड़ा सबसे ज्यादा है। यहां इस फायर सीजन में 12 पेड़ राख हुए। 19 जून को भीषण आग की वजह से हल्द्वानी-दिल्ली हाईवे को भी दो घंटे तक बंद करना पड़ा था।  चीड़ के जंगलों में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं सामने आईं। लेकिन यह सिर्फ जमीनी स्तर तक सीमित थी। पूरे पेड़ को नुकसान नहीं हुआ। इसलिए आंकड़े शामिल नहीं किए जाते। मानसून सीजन शुरू होते ही अधिकांश क्षेत्र में फिर से हरियाली नजर आने लग गई है।

    धीरज पांडे, सीसीएफ कुमाऊं