मंदिर के नारियल से तैयार कर रहे रोजगार की राह, स्टार्टअप के लिए हो चुके हैं सम्मानित
कोको वेस्ट मैनेजमेंट के तहत तैयार कर रहे कई उत्पाद बेहतरीन स्टार्टअप आइडिएशन के लिए हो चुके हैं सम्मानित।
अभय पांडेय, ऊधमसिंह नगर। जो लोग खुली आंख से सपने देखते हुए उसे पूरा करने की जिद रखते हैं, उनकी किस्मत जरूर चमकती है। भोपाल के प्रकाश सरोकर ने भी मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले नारियल में स्वरोजगार का ऐसा जरिया ढूंढा कि आज अपना स्टार्टअप चला रहे हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान, काशीपुर (उधम सिंह नगर), उत्तराखंड ने कोको वेस्ट मैनेजमेंट के उनके स्टार्टअप को न केवल गति दी बल्कि उसका फलक भी काफी बड़ा कर दिया।
पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की मुहिम के साथ-साथ आज प्रकाश स्टार्टअप से प्रतिमाह एक लाख रुपये तक की बचत कर रहे हैं। 32 वर्षीय प्रकाश प्रत्यक्ष रूप से 20 युवाओं को रोजगार मुहैया करा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत वह मंदिरों से एकत्र नारियल वेस्ट से विभिन्न उत्पाद तैयार करते हैं। पर्यावरण संरक्षण की सोच रखने वाले प्रकाश बचपन से ही घर में मौजूद अनुपयोगी सामान को रि-साइकल कर कुछ न कुछ सामान बनाते रहते थे। भोपाल के ही पॉलीटेक्निक कॉलेज से उन्होंने प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
भोपाल स्थित दुर्गा मंदिर से नारियल वेस्ट को एकत्र कराते प्रकाश (दाएं)। सौजन्य: प्रकाश
2014 में कैंपस से ही दुबई में एक मल्टीनेशनल प्रोडक्शन कंपनी में जॉब भी मिल गई। अच्छी जॉब के बावजूद प्रकाश का कुछ अलग करने का सपना हिलोरे मारता रहा। 2017 में भारत लौट आए और वेस्ट मैनेजमेंट पर स्टार्टअप शुरू करने की ठानी। 2018 में काम की शुरुआत भी कर दी।
2019 में उनके द्वारा आइआइएम काशीपुर को भेजे गए नारियल अपशिष्ट पर आधारित स्टार्टअप प्रोजेक्ट को चयनित कर लिया गया। फाउंडेशन फॉर इनोवेशन इंटरपे्रन्योरशिप डेवलपमेंट (फीड) के तहत प्रकाश समेत 10 राज्यों के नवउद्यमियों ने यहां अक्टूबर में ट्रेनिंग हासिल की। इसमें उन्हें कोको वेस्ट प्रोडक्ट के बिजनेस आइडिया, मार्केटिंग व पैकेजिंग समेत तमाम गुर सिखाए गए।
प्रकाश ने 2018 में अपनी कंपनी (एमपीसीजी कॉइर एलएलपी) शुरू की थी। भोपाल और आसपास के मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले नारियल के अवशेष को एकत्र कराया। शुरू में अपने तीन दोस्तों को भी साथ लिया। मंदिरों में प्रबंधन से बातचीत कर इस अवशेष के लिए एक रुपया प्रति किलो भुगतान किया गया। साथ ही उनकी टीम ने मंदिरों से नारियल उठाने के अलावा सफाई भी की। दो साल में अब उनकी टीम में 20 लोग विभिन्न कार्यों के लिए शामिल हो चुके हैं। अब 25 मंदिरों से तकरीबन 60 टन नारियल अपशिष्ट प्रतिमाह उठाया जा रहा है। उनके उत्पाद की भोपाल, इंदौर, इटारसी, बैतूल आदि शहरों में बिक्री हो रही है। आइआइएम से प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन के बाद स्टार्टअप को मिली तेजी ने प्रकाश के सपनों को पंख लगा दिए हैं। प्रकाश कहते हैं कि जल्द ही इसे अन्य राज्यों में विस्तार दिया जाएगा।
बेस्ट स्टार्टअप आइडिया अवार्ड : आइआइएम के अक्टूबर 2019 में हुए दीक्षा समारोह में उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बेहतरीन स्टार्टअप आइडिया के लिए प्रकाश को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इतना ही नहीं आइआइएम ने उनके प्रोजेक्ट को प्रोत्साहन के लिए भारत सरकार को भेजा है। 10 लाख रुपये उन्हें बतौर प्रोत्साहन मिले भी हंै।
आइआइएम की फीड टीम का मकसद स्टार्टअप शुरू करने वाले नवउद्यमियों को प्रशिक्षित व प्रोत्साहित करना है। हम मार्केट पर रिसर्च कर प्रोडेक्ट की वैल्यू बढ़ाने में उनकी मदद करते हैं। प्रकाश का प्रोजेक्ट बेहतरीन और काफी संभावनाओं वाला है।
- सफल बत्रा, डायरेक्टर फीड, आइआइएम, काशीपुर
बना रहे यह उत्पाद...
कोको हनी पिट पाउडर : शुष्क क्षेत्रों में लंबे समय तक पौधों में पानी की कमी नहीं होने देता है।
कोकोनट वरमिश सॉयल : पौधों को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस आदि पोषक तत्व देने का काम करता है।
कोकोनट सेल : यह एक्टीवेटेड कार्बन के रूप में उद्योगों में निर्माण प्रक्रिया के लिए किया जाता है। वाटर प्यूरीफायर में भी इसका प्रयोग होता है।
क्वॉयल स्टिक : नारियल के जूट से क्वायल स्टिक व मैट्रेस बनाया जाता है।