Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अल्मोड़ा का प्रकाश पांडे कैसे बना अंडरवर्ल्ड डॉन ? दाऊद इब्राहिम को मारने पहुंचा था पाकिस्तान

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 19 Sep 2022 04:37 PM (IST)

    अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में स्थित खनौइया गांव से निकलकर अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कुख्यात होने वाले पीपी की दहशत बालीवुड तक पहुंची थी। कौन है प्रकाश प ...और पढ़ें

    Hero Image
    Don Prakash Pandey : प्रकाश पांडे रानीखेत में स्थित खनौइया गांव का मूल निवासी है।

    हल्द्वानी, स्कंद शुक्ला : सितारगंज सेंट्रल जेल में कैद उत्तरखंड के कुख्यात माफिया और कभी छोटा राजन (Chota Rajan)  का दाहिना हाथ रहे प्रकाश पांडे (Don Prakash Pandey) उर्फ पीपी (PP) के जरायम की दुनिया में कदम रखने की कहानी बिल्कुल फिल्मों सरीखी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में स्थित खनौइया गांव से निकलकर मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कुख्यात होने वाले पीपी (Don PP) की दहशत बालीवुड तक पहुंची थी। कौन है प्रकाश पांडे? कैसे बना छोटा राजन का कारीबी ? क्या है पाकिस्तान जाकर दाऊद इब्राहिम को मारने के प्लानिंग की कहानी? चलिए जानते हैं।

    माफिया प्रकाश पांडे का बचपन

    प्रकाश पांडे (underworld Don Prakash Pandey) रानीखेत में स्थित खनौइया गांव का मूल निवासी है। उसके पिता पिता फौजी थे,और मां गृहिणी। मां के निधन के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां की वजह से प्रकाश और उसके पिता लक्ष्मी दत्त पांडे के बीच अनबन रहने लगी। जिसका गुस्सा वह स्कूल में निकालने लगा। एक बार उसने अपने स्कूल के दो सीनियरों को बेरहमी से पीट दिया। जिसके बाद वह कुछ शातिर किस्म के छात्रों के संपर्क में आ गया। दुस्साहस बढ़ा तो कुछ समय बाद उसने कुछ बदमाश किस्म के लोगों के साथ मिलकर अपनी गैंग बना ली।

    जरायम की दुनिया में पहला कदम

    जरायम की दुनिया में कदम रखने का पीपी (PP) का यह पहला कदम था। धीरेधीरे प्रकाश ने अवैध शराब और लीसा की रानीखेत, नैनीताल, हल्द्वानी, अल्मोड़ा में स्मगलिंग शुरू की। अवैध कामों से उसकी कमाई बढ़ी तो उसका दुस्साहस भी बढ़ गया। चूंकि इन कामों से खूब मोटी कमाई होने लगी तो प्रकाश को इन कामों की जैसे लत ही लग गई। ऐसे में उसने मुंबाई जाकर डॉन बनने की ठानी। फिर नब्बे के दशक में उसने अकेले मुंबई का रुख कर लिया।

    मुंबई में छोटा राजन गैंग के शूटरों से मिला 

    Uttarakhand Don Prakash Pandey : प्रकाश के मुंबई पहुंचने के दौरान देश बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद फैली सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा था। इसी दौरान हुए मुंबई ब्लास्ट को लेकर लोगों में रोष था। ब्लास्ट का जिम्मेदार दाउद को बताया गया। यही वह दौर था जब छोटा राजन ने दाऊद इब्राहिम से अलग होकर अपना अलग गैंग बना ली। छोटा राजन को अपनी गैंग के लिए कुछ दुस्साहसी शूटरों की जरूरत थी। ऐसे में एक दिन मुंबई के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर प्रकाश की मुलाकात छोटा राजन गैंग के गैंगस्टर पुनीत तानाशाह और विक्की मल्होत्रा से हुई।

    हत्या कर छोटा राजन का खास बना प्रकाश

    पुनीत और विक्की ने प्रकाश की मुलाकात छोटा राजन से करवाई थी। छोटा राजन गैंग में भर्ती करने से पहले सामने वाले का दुस्सहास और भरोसा परखता था। प्रकाश पांडे में कितना दमखम है, देखने के लिए उसने एक कॉन्ट्रेक्ट किलिंग का ठेका दिया। ये कांट्रैक्ट छोटे मोटे आदमी को मारने का नही था बल्कि राजनीति के दिग्गज एक नेता की हत्या का था। प्रकाश पांडे को तो मुंबई का डॉन बनना था सो उसने उस नेता के सुरक्षा घेरे को तोड़कर उसके माथे के बीचोबीच 9 एमएम की पिस्टल से गोली मार दी।

    Prakash Pandey मुंबई में बंटी पांडे बना

    दिन दहाड़े हुई इस हत्या से महाराष्ट्र सरकार भी हिल गयी। उधर छोटा राजन प्रकाश का दुस्साहस देखकर उसे अपने गैंग में शामिल कर लिया। उसे ऐसे शूटरों की ज़रूरत थी। जल्द ही प्रकाश पांडे छोटा राजन के गैंग में उसका सबसे करीबी बन गया। इस बीच गैंग की सहाल पर प्रकाश पांडे ने अपना नाम बदलकर बंटी पांडे (Bunty Pandey) रख लिया। जिसे अविभाजित प्रदेश में लोग प्रकाश पांडे उर्फ पीपी पुकार रहे थे वो मुंबई में अब बंटी पांडे नाम से कुख्यात हो चुका था।

    दाऊद की हत्या करने पाकिस्तान पहुंचा प्रकाश

    मुंबई का बम धमाकों से दहलाने के बाद दाऊद इब्राहिम धंध छोटा शकील सौंपकर पाकिस्तान में जा छुपा। जिसके बाद छोटा राजन बंटी पांडे, विक्की मल्होत्रा और पुनीत तानाशाह ने दाऊद क हत्या की प्लानिंग बनाई।

    छोटा राजन चाहता था कि मुंबई से दाऊद का सूपड़ा साफ हो जाये और उसकी गैंग मुंबई में अपना खौफ पैदा कर राज कर सके। लेकिन पाकिस्तान कौन जाए, चला भी जाए तो हत्या कैसे हो और हत्या हो जाये तो वहाँ से जिंदा लौट आना मुमकिन नहीं था। इसी उलझन में छोटा राजन था। बंटी उर्फ प्रकाश ने छोटा राजन को कहा कि मैं जाऊंगा और प्लान को मैं ही लीड करूंगा।

    दाऊद को मारने का प्लान दो बार फेल

    रिपोर्ट की माने तो साल 1998 में बंटी पुनीत और विक्की किसी तरह पाकिस्तान पहुंचे, जहां छोटा राजन के गुर्गों ने उन्हें हथियार उपलब्ध करवाए और इनपुट दिया कि दाऊद के घर से कुछ दूरी पर स्थत एक मस्जिद में नमाज पढ़ने जाता है। ये जानकारी मिलने के बाद तीनों ने सऊदी सिटीजन का भेष धरा और मस्जिद के आसपास घात लगाकर बैठ गए। लेकिन दाऊद छोटा राजन के साथ काम कर चुका था और उसे उसकी हरकतों के बारे में पता था, इसीलिए हत्या के प्लानिंग की भनक दाऊद को लग गयी और वो मस्जिद गया ही नहीं।

    ये प्लान फेल हो गया तो साल 2000 में राजन गैंग ने फिर दाऊद की बेटी मारिया के इंतेक़ाल पर दाऊद की हत्या का प्लान बनाया। लेकिन ये प्लान भी फेल हुआ। इस बार दाऊद ने गुस्से में आकर उल्टा छोटा राजन पर ही गोलियां चलवा दी। इस गोलीबारी में राजन गैंग का रोहितवर्मा मारा गया।

    शाहरुख की फिल्म हिट होने के बाद मांगी थी रंगदारी

    छोटा राजन पर हुए अटैक के बाद मुंबई में गैंगवार शुरू हो गयी। कई गैंगस्टर मारे गए, सिर्फ भारत पाकिस्तान ही नहीं बल्कि इसका असर नेपाल, मलेशिया, बैंकॉक, कीनिया सहित कई देशों में सक्रिय गैंग पर हुआ। छोटा राजन को गोलियां लगने के बाद बंटी पांडे को मौका मिल गया कि मुंबई का डॉन वो बन सके।

    कुछ समय बाद बंटी पांडे ने भी अपनी अलग गैंग बना ली, 2007 में उसने शाहरुख खान की फ़िल्म ओम शांति ओम की अपार सफलता के बाद हुई करोड़ो की कमाई में रंगदारी की मांग की। इस घटना के बाद ही बंटी पांडे बॉलीवुड में भी चर्चित हो गया।

    कई राज्यों के निशाने पर आया बंटी

    इस बीच बंटी ने मुंबई में शिव सागर रेस्टोरेंट की फ्रेंचाइजी चलाने वाले एक व्यापारी की हत्या कर दी। जिसके बाद से उसका खौफ और बढ़ गया। इस बीच वह लगातार उत्तराखंड और मुंबई में अपनी दहशत बढ़ाता रहा।

    इसी दौरान उसने क्राइम ब्रांच के एसपी राजबीर सिंह की दिन दहाड़े हत्या कर दी,जिससे दिल्ली में भी उसका खौफ हो गया और कई राज्यों की पुलिस के निशाने पर आ गया। जब एक साथ कई राज्यो की पुलिस की आंखों में वो चढ़ गया तो अचानक उसके गायब होने की खबर सामने आई।

    मलेशिया से दबोचा गया माफिया

    इसी बीच पुलिस को इनपुट मिला कि प्रकाश पांडे ने वियतनाम में शरण ली है। जिसके बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने उसकी कॉल ट्रेस कर ली और साल 2010 में उसे वियतनाम से दबोच लायी। बंटी पांडे उर्फ पीपी उर्फ प्रकाश पांडे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। पहले उसे देहरादून जेल में रखा गयाा।

    जेल में भी प्रकाश पांडे की धमक नजर आई। एक बार उसे पेशी पर ले जाया जा रहा था, तो उसने ईयरबड्स लगा रखे थे। फोटो वायरल होने पर पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी। जिसके बाद उसे सितारगंज सेंट्रल जेल ट्रांसफर कर दिया गया।

    मुुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने नैनीताल में देखा मोस्ट वांटेड का पोस्टर

    प्रकाश पांडे की अदावत कुमाऊं के बड़े अपराधी रमेश बंबइया से भी थी। उसने बंबइया को जान से मारने की नियत से उसपर फायरिंग भी की थी। जिसके बाद नैनीताल पुलिस ने मोस्ट वांटेड नाम से उसका पोस्टर जगह जगह चस्पा कर रखा था। इस दौरान मुंबई से क्राइम ब्रांच का एक अफसर नैनीताल घूमने पहुंचा। उसने मोस्ट वांटेड का पोस्टर देखा तो तेज कदमों के साथ मल्लीताल कोतवाली पहुंचा। जहां उसने बताया कि गैंगस्टर प्रकाश पांडे मुंबई अंडरवल्र्ड में बंटी पांडे के नाम से विख्यात है। जिसकी तलाश कई राज्यों की पुलिस को है।