रंग लाई दो साल की मेहनत, नीलेश्वर की पहाड़ियों पर फिर से लौट आई हरियाली
नीलेश्वर पर्वत में फिर हरियाली लौट आई है। पर्यावरण संरक्षण और सवंर्धन के लिए कर्प फाउंडेशन की दो साल पहले की गई मेहनत रंग लाने लगी है।
बागेश्वर, जेएनएन : नीलेश्वर पर्वत में फिर हरियाली लौट आई है। पर्यावरण संरक्षण और सवंर्धन के लिए कर्प फाउंडेशन की दो साल पहले की गई मेहनत रंग लाने लगी है। नीलेश्वर के समीप बंजर पड़ी जमीन में बांज, फल्यांट, पीपल, रुद्राक्ष, च्यूरा, देवदार समेत विभिन्न प्रजाति के पौध रोपित किए गए हैं। पौधों की देखरेख भी हो रही है और फाउंडेशन के सदस्यों से ट्री गार्ड भी लगाए हैं। जिससे पत्थरीली भूमि एक बार फिर हरियाली से लहलहाने लगी है। अलबत्ता युवाओं के लिए यह अभियान प्रेरणास्रोत बना हुआ है और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाएं भी अभियान में जुडऩे लगी हैं।
नीलेश्वर की पहाड़ी अतिक्रमण के दायरे में आ गई थी और लोग वहां चोरी-चुपके घर बनाने लगे। जिससे पहाड़ी की हरियाली रातोंरात गायब हो गई। कर्प फाउंडेशन के अध्यक्ष एडवोकेट कुंदन परिहार ने करीब तीन हेक्टेयर बंजर भूमि को आबाद करने का लक्ष्य साधा। पिछले तीन सालों से वे वहां विभिन्न प्रजाति के पौध रोपित कर रहे हैं और उनकी देखरेख भी स्वयं करते हैं। पौधों को पानी देना और उन्हें जंगली जानवरों से बचाना के लिए उन्हें स्थानीय युवाओं की टीम बनाई है। जिससे बंजर भूमि फिर से लहलहाने लगी है और पानी के स्रोत भी पुर्नजीवित होने लगे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पहाड़ी पर ढ़ाई सौ पौध लगाए हैं और वे अब पेड़ हो गए हैं। उनका लक्ष्य है कि नीलेश्वर की पहाड़ी पूरी तरह हरियाली से अच्छादित होने के बाद दूसरे स्थान पर का चयन किया जाएगा।
विवाह से हुई पौध रोपण की शुरुआत
एडवोकेट कुंदन परिहार ने बताया कि मांगलिक कार्यों में भी पौध रोपण किए जा रहे हैं। शादी-विवाह, नामकरण, जन्मदिवस, महापुरुषों की जयंती, परिजनों की स्मृति में भी पौध रोपित किए जा रहे हैं। आठ साल पहले स्वयं की शादी से उन्होंने पौध रोपण कर किया था। सिङ्क्षलग का पेड़ फलफूल रहा है और वह शादी की सालगिरह पर पौध रोपित करते हैं। वन विभाग के आरओ मोहन ङ्क्षसह नयाल का कहना है कि एडवोकेट परिहार ने पौध रोपण कार्यक्रम तय किया है। नीलेश्वर की पहाड़ी में हरियाली गायब थी, लेकिन अब लौट आई है। उन्हें इस अभियान में पूरी मदद की जा रही है। पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए पौध रोपण जरूरी है। यदि सभी लोग पौधों से प्रेम करें तो ग्लोबल वाॢमंग की समस्या खत्म हो जाएगी।
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