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दिव्यांग युवती से दुष्कर्म मामले में दो आरोपित दोषी करार, भेजे गए जेल

द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी मो. सुल्तान की कोर्ट ने मूक बधिर व मानसिक दिव्यांग युवती से दुष्कर्म मामले में दो आरोपितों को दोषी करार दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 07:53 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 07:58 PM (IST)
दिव्यांग युवती से दुष्कर्म मामले में दो आरोपित दोषी करार, भेजे गए जेल
दिव्यांग युवती से दुष्कर्म मामले में दो आरोपित दोषी करार, भेजे गए जेल

नैनीताल, जेएनएन : द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी मो. सुल्तान की कोर्ट ने मूक बधिर व मानसिक दिव्यांग युवती से दुष्कर्म मामले में दो आरोपितों को दोषी करार दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद दोनों को जेल भेज दिया गया है। सजा पर बहस 19 फरवरी को होगी।

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अभियोजन के अनुसार, पिछले साल सात मार्च को शाम करीब चार बजे हल्द्वानी क्षेत्र की मूक बधिर व मानसिक-शारीरिक रूप से अस्वस्थ युवती घर से लापता हो गई थी। युवती के भाई ने अगले दिन हिमालयन स्कूल वाली रोड पर पावर हाउस के पास लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी तो उसकी बहन को दो युवक अपने साथ ले जाते दिखे। उनकी पहचान मूल चंद्र उर्फ मूला पुत्र डोरी लाल निवासी गालमपुर डिबाई, थाना डिबाई, जिला बुलंदशहर और उसके साथी चालक भूप सिंह उर्फ भूपाली पुत्र ठाकुर दास निवासी ग्राम छररा, जिला अलीगढ़ दोनों हाल निवासी चौकी आंवलागेट झोपड़पट्टी बनभूलपुरा के रूप में की गई।

उसी दिन रात करीब 11 बजे युवती आंवलागेट चौकी से करीब 50 मीटर आगे डरी सहमी हाल में मिली। घर लाने के बाद उससे दुष्कर्म की बात सामने आई। इसके बाद नौ मार्च को बनभूलपुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। मूक बधिर होने से पीडि़ता के 164 के तहत बयान नहीं हो सके तो विवेचक कुमकुम धानिक ने पीडि़ता की सलवार और आरोपित भूप सिंह के अंडरवियर को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा। डीएनए जांच में भूप सिंह द्वारा दुराचार करने की पुष्टि हो गई।

गवाह के बयान व सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग बनी आधार

नैनीताल : डाक्टरी रिपोर्ट में युवती के 73 फीसद दिव्यांग होने की पुष्टिï हुई। मानसिक मंदिता विशेषज्ञ श्रृद्धा कांडपाल ने कोर्ट को बताया कि पीडि़ता बयान देने के काबिल नहीं है। वहीं एडीजीसी घनश्याम पंत ने आरोप साबित करने के बाद छह गवाह पेश किए। एडीजीसी पंत ने कोर्ट के समक्ष सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग पेश करते हुए कहा कि अगर पीडि़ता बोल या सुन नहीं सकती तो ऐसे में उसके 164 के बयान की जरूरत नहीं है। गवाहों के बयान, अभियोजन साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने दोनो ंआरोपितों को धारा-363, 366 ए, 376 (दो)ढ़ के तहत दोषी करार दिया।

मोहरिर ने निभाई अहम भूमिका

नैनीताल: हल्द्वानी के बहुचर्चित इस मामले में एक साल से पहले ही कोर्ट फैसले तक पहुंच गया है। इस मामले में गवाहों को कोर्ट तक पहुंचाने में मोहरिर नरेंद्र बिष्टï द्वारा प्रभावी पैरवी की गई। जिन धाराओं के अंतर्गत दोषी करार दिया है, उसमें आजीवन कारावास तथा 20 साल कैद का प्रावधान वाली धारा भी है।

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