सूर्य से उठी M क्लास की बड़ी ज्वाला, पृथ्वी के सामने आ रहा सन स्पाट, बढ़ सकता है खतरा, वैज्ञानिक हुए अलर्ट
शुक्रवार सुबह 9.30 बजे एम वन क्लास की बड़ी ज्वाला निकली। असल में जिस सन स्पाट से यह ज्वाला उठी है वह सूर्य के उत्तर-पूर्वी किनारे पर है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (Aries) के विज्ञानी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : सूर्य फिर से सक्रिय हो गया है। शुक्रवार सुबह इसकी सतह से एम क्लास की ज्वाला (SunFlare) निकली। इससे पहले सी क्लास की ज्वाला निकल चुकी है। ऐसे में सन स्पाट के अधिक सक्रिय होने की आशंका जताई जा रही है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (Aries) के विज्ञानी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं।
24 घंटे में 12 से अधिक ज्वालाएं निकलीं
एरीज के वरिष्ठ सौर विज्ञानी व पूर्व निदेशक डा. वहाबउद्दीन ने बताया कि 25वें सोलर साइकिल में सूर्य धीरे-धीरे सक्रिय होने लगा है। इस कारण एक्स क्लास तक की ज्वालाएं पिछले छह माह के अंतराल में इससे निकल चुकी हैं। पिछले 24 घंटे में 12 से अधिक सी क्लास की ज्वाला निकली है। शुक्रवार सुबह 9.30 बजे एम वन क्लास की बड़ी ज्वाला निकली। असल में जिस सन स्पाट से यह ज्वाला उठी है, वह सूर्य के उत्तर-पूर्वी किनारे पर है। यह सन स्पाट विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और सामने की तरफ आ रहा है। एरीज के विज्ञानियों ने इससे बड़ी ज्वाला निकलने की आशंका जताई है। इसके अतिरिक्त इन दिनों सूर्य पर चार अन्य सन स्पाट बने हुए हैं। ऐसे में विज्ञानी एरीज टावर सोलर टेलिस्कोप से सूर्य की सतह पर हो रही गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं।
X क्लास की ज्वाला सबसे ताकतवर
X क्लास की ज्वाला सबसे ताकतवर होती है, जो बड़े पैमाने पर रेडियो ब्लैकआउट के अलावा सेटेलाइट और धरती पर पावर ग्रिड को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर आने वाले दिनों में सन स्पाट का बढ़ना जारी रहता है तो इससे शक्तिशाली ज्वालाएं निकल सकती हैं और वे पृथ्वी की तरफ आ सकती हैं। यह सेटेलाइट और कम्युनिकेशन सिस्टम के लिए संभावित खतरे की घंटी है। लेकिन फिलहाल के लिए धरती को इससे कोई खतरा नहीं है।
ये होते हैं सन स्पाट
सन स्पाट सूर्य की सतह पर ऐसे क्षेत्र होते हैं जो काले दिखाई देते हैं। इनका रंग काला होता है। ये सतह के अन्य हिस्सों की तुलना में ठंडे होते हैं। एरीज के विज्ञानियों के मुताबिक सौर किरणों का एक अचानक विस्फोट होता है जो सन स्पाट के पास चुंबकीय क्षेत्र की रेखाओं के उलझने के कारण होता है।