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मैदानी क्षेत्र के जंगलों में पाया जाने वाला बाघ केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में दिखा NIANITAL NEWS

वन विभाग व बाघ प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। मैदानी क्षेत्र के जंगलों में पाया जाने वाला बाघ 3400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बुग्याल तक पहुंच चुका है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 09:48 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 09:48 AM (IST)
मैदानी क्षेत्र के जंगलों में पाया जाने वाला बाघ केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में दिखा NIANITAL NEWS
मैदानी क्षेत्र के जंगलों में पाया जाने वाला बाघ केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में दिखा NIANITAL NEWS

हल्द्वानी, गोविंद बिष्‍ट : वन विभाग व बाघ प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। मैदानी क्षेत्र के जंगलों में पाया जाने वाला बाघ 3400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बुग्याल तक पहुंच चुका है। केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में फॉरेस्ट के कैमरा ट्रैप में इसकी फोटो कैद हुई है। उत्तराखंड में पहली बार इतनी ऊंचाई पर बाघ की मौजूदगी प्रमाण के साथ मिली है। वन विभाग अब इसके संरक्षण को योजना बनाने की तैयारी में है। 
बाघ संरक्षण को लेकर वन महकमा बेहतर काम कर रहा है। मैदानी एरिया के जंगल को बाघ का वासस्थल माना जाता है। लंबा मूवमेंट व मनपसंद भोजन की उपलब्धता इसकी बड़ी वजह है। लेकिन, अब केदारनाथ सेंचुरी जोन में शामिल मदमहेश्वर मंदिर (रुद्रप्रयाग) की घाटी में इसका देखा जाना पुरानी धारणाओं को तोड़ रहा है। कैमरा ट्रैप में कैद होने के बाद वन विभाग के अफसर भी खुश है। वहां बेहतर इको सिस्टम व भोजन श्रृंखला की उपलब्धता को यह प्रमाणित कर रहा है। 

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अस्कोट में देखा जा चुका
वन विभाग जुलाई 2016 में अस्कोट के जंगल में बाघ की उपस्थिति देख चुका है। जनपद पिथौरागढ़ में स्थित अस्कोट में करीब 3100 मीटर की ऊंचाई पर बाघ देखा गया था।

सिक्किम के बाद उत्तराखंड का नंबर
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम में अब तक इतनी ऊंचाई में बाघ को देखा जा चुका है। वहां भी ग्रासलैंड के आसपास इसे ट्रैप किया गया था। अब सिक्किम के बाद उत्तराखंड के पास यह उपलब्धि है। 

पांव के निशान से तय होगा लिंग
कैमरा ट्रैप में फोटो आने के बाद वन विभाग अब पता लगा रहा है कि यह बाघ है या बाघिन। इसके लिए उस जगह का सर्वे कर पदचिन्ह को ढूंढा जाएगा। पैरों के निशान से इसका लिंग निर्धारण हो पाएगा। 

दो हजार मीटर से ऊपर मिलना मुश्किल
नैनीताल समुद्र तल से करीब दो हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बाघ की मौजूदगी इससे नीचे ही मानी जाती है। लेकिन, दो साल पहले जिले के बेतालघाट एरिया में बाघ को रेस्क्यू करने के बाद विभाग व एनटीसीए भी हैरान हुआ था। जिसके बाद बाघ गणना में नैनीताल वन प्रभाग की मनौरा, नैना, भवाली व बड़ौन रेंज को भी शामिल किया गया। इन रेंज में 15 कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं। हालांकि तब से कोई बाघ अभी ट्रैप नहीं हुआ है। 

सेंचुरी का हिस्सा रुद्रप्रयाग व चमोली जनपद तक
केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी एक लाख वर्ग किमी में फैली है। रुद्रप्रयाग व चमोली जिले का हिस्सा इसमें आता है। यहां गुलदार, कस्तूरी मृग व हिमालयन भालू बड़ी संख्या में मौजूद है। 

ग्रामीणों की शिकायत पर खोज
डीएफओ अमित कुंवर के मुताबिक मदमहेश्वर घाटी में रहने वाले ग्रामीणों ने बताया था कि इनकी भैंस का वन्यजीव ने शिकार किया था। गुलदार अक्सर इतने बड़े जानवर को निवाला नहीं बनाते। तब लगा कि यहां बाघ की मौजूदगी हो सकती है। 

26 जून सुबह 2.38 पर दिखा
डब्लूडब्लूएफ के साथ चल रहे संयुक्त प्रोजेक्ट के तहत घाटी एरिया में कैमरा ट्रैप लगाए गए थे। 26 जून की सुबह दो बजकर 38 मिनट पर बाघ अपनी चाल से उपर पहाड़ी की तरफ चढ़ता दिखा। 

इस ऊंचाई पर बाघ दिखना शोध का विषय
अमित कंवर, डीएफओ केदारनाथ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ने कहा कि 3400 मीटर की ऊंचाई पर बाघ का दिखना अपने आप में एक शोध का विषय है। प्रदेश में पहली बार बुग्याल व बर्फ वाले इलाके में बाघ दिखा है। अब इसके संरक्षण को कार्ययोजना तैयार होगी।
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