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चार दिनों से नंदा देवी में हो रही बर्फबारी, आ रहे हैं एवलांच, रेस्‍क्‍यू अभियान प्रभा‍वित NAINITAL NEWS

नंदा देवी में लापता आठवें पर्वतारोही के शव की तलाशी के कार्य पर मौसम ने रोड़ा डाल दिया है। विगत चार दिनों से नंदा देवी में लगातार मौसम खराब है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 27 Jun 2019 06:38 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 09:10 PM (IST)
चार दिनों से नंदा देवी में हो रही बर्फबारी, आ रहे हैं एवलांच, रेस्‍क्‍यू अभियान प्रभा‍वित NAINITAL NEWS
चार दिनों से नंदा देवी में हो रही बर्फबारी, आ रहे हैं एवलांच, रेस्‍क्‍यू अभियान प्रभा‍वित NAINITAL NEWS

पिथौरागढ़, जेएनएन : नंदा देवी में लापता आठवें पर्वतारोही के शव की तलाशी के कार्य पर मौसम ने रोड़ा डाल दिया है। विगत चार दिनों से नंदा देवी में लगातार मौसम खराब है। वहां पर हिमपात हो रहा है और एवलांच आ रहे हैं। जिसे देखते हुए आइटीबीपी ने आठवें शव की तलाशी का कार्य अलग से चलाने के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी है। प्रशासन ने इसके लिए शासन को सूचना देते हुए स्वीकृति की मांग की है।
नंदा देवी में बीते माह 26 मई को नंदा देवी में आए एवलांच में नंदा देवी अभियान में एक बिट्रेन, अमेरिका , आस्ट्रेलिया के सात पर्वतारोही और एक भारतीय लाइजन अफसर लापता हो गए थे। 31 मई को इसकी सूचना मिलते ही वायु सेना के हेलीकॉप्टरों से क्षेत्र की रैकी की गई। रैकी में नंदा देवी क्षेत्र में बर्फ में पांच शव नजर आए। रैकी के दौरान अभियान में शामिल इंग्लैंड निवासी चार पर्वतारोहियों को बेस कैंप से रेस्क्यू कर पिथौरागढ़ लाया गया। बाद में चारों पर्वतारोही अपने देश इंग्लैंड को चले गए। अभियान चलाने के लिए आइटीबीपी के नेतृत्व में एक रणनीति तय की गई। इसके लिए आइटीबीपी के कुशल पर्वतारोहियों को खोज एवं बचाव कार्य के लिए तैनात किया गया। जिसका नेतृत्व बल के नामी पर्वतारोही आरएस सोनाल को सौंपा गया। 
भारत सरकार के गृह मंत्रालय, प्रदेश शासन के विशेष निर्देश पर इस अभियान की जिलाधिकारी डॉ. वीके जोगदंडे और आइटीबीपी के डीआइजी एपीएस निंबाडिया की गहन मंत्रणा से अभियान की सफलता के लिए सशक्त योजना बनाई गई और अभियान को नाम दिया गया डेयर डेविल्स दिया गया। अभियान की अवधि 2 जुलाई तक रखी गई। 14 जून को दल पिथौरागढ़ से रवाना हुआ। 15 जून को वायु सेना के हेलीकॉप्टर से अभियान दल को नंदा देवी बेस कैंप पहुंचाया गया। दल के पर्वतारोही 18 सदस्य पहले चरण में दूसरे बेस कैंप पहुंचे। जहां पर अभ्यास करने के बाद 17800 फीट की ऊंचाई पर एडवांस कैंप बनाया गया।
एडवांस कैंप से यह विशेष अभियान चला ।पहली बार एवलांच में दबे शवों को ढूंढने के अभियान ने 23 जून को सफलता प्राप्त की। आठ में से सात शव अति दुर्गम और दुष्कर स्थान पर बर्फ काट कर निकाले और एडवांस कैंप पहुंचाए। इसके बाद आठवें शव की तलाशी का कार्य चला, परंतु नंदा देवी में मौसम खलनायक बन गया। जिलाधिकारी डॉ. वीके जोगदंडे ने बताया कि नंदा देवी में विगत चार दिनों से मौसम बेहद खराब है। जहां पर आठवें शव की तलाशी का कार्य प्रभावित हो रहा है। जिसे देखते हुए आइटीबीपी ने आठवें शव को ढूंढने का कार्य मौसम सुधरने के बाद अलग से चलाने की अनुमति मांगी है। आइटीबीपी की इस अनुमति पर प्रशासन ने शासन को सूचना देते हुए इसकी स्वीकृति मांगी है। 

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वायु सेना से दो दिन के लिए हेलीकॉप्टर की गई है मांग : डीएम 
डीएम ने बताया कि विगत 14 दिनों से नंदा देवी में अभियान चला रहे आइटीबीपी के पर्वतारोहियों ने नीचे उतरने और सात शवों को लाने की अनुमति मांगी है। इसे देखते हुए प्रशासन ने वायु सेना से शुक्रवार और शनिवार से हेलीकॉप्टर की मांग की है। मौसम के चलते इसमें भी समय लग सकता है। 

नंदादेवी ईष्ट से लापता पर्वतारोहियों के सात शवों को पांच सौ मीटर नीचे की तरफ लाया गया
बागेश्वर : भारतीय पर्वतारोहण संस्थान के १४ सदस्यीय टीम पिंडारी की तरफ से अभियान गुरुवार को भी जारी है। टीम ने पिथौरागढ़ की तरफ से आई आइटीबीपी की टीम से नंदा देवी ईष्ट से लापता एक पर्वतारोही को खोजने में चर्चा की। सात शवों को इंसिडेंट साइट से करीब ५०० मीटर नीचे लाया गया। भारतीय पर्वतारोहण संस्थान नई दिल्ली से जिला प्रशासन को प्राप्त जानकारी के अनुसार पिंडारी की तरफ से खोजबीन में लगी टीम के छह सदस्य इंसिडेंट साइट पर पहुंच गए हैं और वे आइटीबीपी के साथ समन्वय बनाए हुए हैं। आइटीबीपी पिथौरागढ़ और आपदा कंट्रोल रूम से प्राप्त जानकारी के अनुसार गुरुवार को नंदा देवी ईष्ट से लापता सात पर्वतारोहियों के शवों को इंसिडेंट साइट से ५०० मीटर नीचे की तरफ लाया गया है। जिला आपदा अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि टीम लीडर ध्रुव जोशी आपस में समन्वय स्थापित करते हुए एक अन्य लापता पर्वतारोही को खोजने में जुटे हुए हैं। आइएमएफ के छह सदस्य कैंप वन पर हैं और तीन सदस्य बेस कैंप पर हैं। उन्होंने बताया कि सभी सदस्य ठीक हैं। लेकिन ग्लेशियर में पल-पल मौसम बदलने से उनकी दिक्कतें कम नहीं हुई हैं।

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